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जनवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आसव-अरिष्ट

अर्जुनारिष्ट : शरीर में वायु अधिक होने से हृदय की धड़कन बढ़ना, पसीना अधिक आना, मुँह सूखना, नींद कम आना, दिल घबराना, फेफड़े के रोग तथा हृदय रोगों में लाभकारी। अभ्रयारिष्ट : सभी प्रकार के बवासीर की प्रसिद्ध दवा है। कब्जियत, मंदाग्नि आदि उदर रोगों को नष्ट कर अग्नि को बढ़ता है। पीलिया, तिल्ली, उदर रोग, झांई, अर्बुद, ग्रहणी तथा ज्वरनाशक है। अमृतारिष्ट : सब तरह के बुखार में लाभकारी। विषम ज्वर, जीर्ण ज्वर व पित्त ज्वर में विशेष लाभ करता है। बालकों के यकृत बढ़ने पर लाभकारी। अरविन्दासव : बालकों को सूखा रोग, अतिसार, दूध न पचना आदि रोगों को दूर कर उन्हें हृष्ट-पुष्ट, बलवान बनाता है। पाचन क्रिया ठीक होकर रक्त, मांस व बल वृद्धि होती है। बुद्धि वर्द्धक व रक्त शुद्धि कारक है। अशोकारिष्ट : स्त्रियों के सब प्रकार के रोग, प्रदर, (लाल, पीला, सफेद पानी), मासिक धर्म के विकार, सिर पेडू व कमर वगैरह के दर्द, पित्त दाह (हाथ व पाँव के तलवों की जलन), प्रमेह, अरुचि, उदरशूल आदि इसके सेवन से नष्ट होते हैं। शरीर की शक्ति व मुख की कांति बढ़ती है। अश्वगंधारिष्ट : दिमागी ताकत बढ़ाने और शरीर को पुष्ट करने में विशेष...

*चिकनगुनिया के दर्द से राहत दिलाने वाला

चिकनगुनिया के दर्द से राहत दिलाने वाला स्वस्थ भारत की और छोटा सा कदम........👣👣* की कोशिश आपके घर में बीमारी के कारण कोई भी दुखी न हो और *प्रत्यके भाई ओर बहन के चहरे पे ख़ुशी के लिये करीब 950 ग्रुप के द्वारा 16000 लोगो तक यह टिप्स भेज कर आपकी बीमारी को जड़ सर खत्म करने की कोशिश कर रहे है* और आप से निवेदन है कि आप लोग कम से कम 5 ग्रुप मैं भेज दे सामग्री :- 50 ग्राम सरसों का तेल 50 ग्राम सफेद तिल का तेल 15 लौंग 1 टुकडा दालचीनी 2 टेबल स्पून अजवायन 1 टेबल स्पून मेथी दाना 1 छोटा टुकडा अदरक पिसा हुआ 1 टी स्पून हल्दी 2 बडे पीस कपूर 1 टेबल स्पून एलोवेरा जैल विधि :- कढाई मे दोनो तेल डाल कर तेज गैस पर गर्म करो फिर गैस को धीमी करके हल्दी और कपूर को छोड कर  सारी चीजो को डाल दो , जब तक सारी चीजे जल न जाए और उन का सत तेल मे ना आ जाऐ , करीब 20-25 मिन्ट लगेंगे इन्हें जलने मे जब ये भून जाएगें तब तेल का रंग गहरा हो जाएगा फिर गैस बंद कर दे और उसमे हल्दी ,कपूर मिला दे जब तक कपूर घुल ना जाए तब तक तेल को ठंडा होने दे फिर तेल को छान कर एक शीशी मे भर कर रखो , कैसा भी बुरा  दर्द हो ...

महिलाये क्यों पहनती है बिछिया ? वैज्ञानिक तर्क -

महिलाये क्यों पहनती है बिछिया ? हमारे देश में शादीशुदा महिलाये बिछिया पहनती है. वैज्ञानिक तर्क - पैर की दूसरी ऊँगली में चांदी का बिछिया पहना जाता है और उसकी नस का कनेक्शन बच्चेदानी से होता है| बिछिया पहनने से बच्चेदानी तक पहुचने वाला रक्त का प्रवाह सही बना रहता है इससे बच्चेदानी स्वस्थ बनी रहती है और मासिक धर्म नियमित रहता है |  चांदी पृथ्वी से ऊर्जा को ग्रहण करती है और उसका संचार महिला के शरीर में करती है |

सिर पर चोटी वैज्ञानिक तर्क-

सिर पर चोटी हिंदू धर्म में ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे। आज भी लोग रखते हैं। वैज्ञानिक तर्क- जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं। इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता, सोचने की क्षमता बढ़ती है।

हाथ जोड़कर नमस्ते करना वैज्ञानिक तर्क-

हाथ जोड़कर नमस्ते करना जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं। वैज्ञानिक तर्क- जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।

गुप्त रोगों का स्थायी समाधान

गुप्त रोगों का स्थायी समाधान शीघ्रपतन, धात गिरना , सवपनदोष , नपुंसकता के स्थायी इलाज के लिए नुसखा सूरण :- 9 ग्राम तुलसी :- 9 ग्राम अशवगंधा :- 9 ग्राम सफेद मुसली :- 4.5 ग्राम गोखरू :- 1.8 ग्राम शतावरी :- 4.5 ग्राम कौंच बीज :- 9 ग्राम विदारीकंद :- 9 ग्राम नागौरी असगंध :- 1.8 ग्राम शुद्ध शिलाजीत :- 900  मिलीग्राम अकलकरा :- 1.8 ग्राम स्वर्ण भसम :- 1.8 मिलीग्राम जायफल :- 900 मिलीग्राम लौंग :- 900 मिलीग्राम सौंठ :- 1.8 ग्राम केसर :- 90 मिलीग्राम पीपर :- 900 मिलीग्राम जावित्री :- 900 मिलीग्राम इलायची :- 900 मिलीग्राम दालचीनी :- 900 मिलीग्राम तामलपत्र :- 900 मिलीग्राम नागकेशर :- 1.8 ग्राम वंशलोचन :- 7.2 ग्राम उपरोक्त सभी औषधियों को आपस मे मिला दे और हर रोज 430 मिलीग्राम रात को सोने से पहले दूध के साथ ले । नोट :- औषधि सेवन के दौरान खटाई का सेवन और कच्चे प्याज का सेवन बंद कर दे ।
मित्रो बहुत से लोग नशा छोडना चाहते है पर उनसे छुटता नहीं है !बार बार वो कहते है हमे मालूम है ये गुटका खाना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे ??? बार बार लगता है ये बीड़ी सिगरेट पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे !?? बार बार महसूस होता है यह शाराब पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब हो जाती है तो क्या करे ! ???? तो आपको बीड़ी सिगरेट की तलब न आए गुटका खाने के तलब न लगे ! शारब पीने की तलब न लगे ! इसके लिए बहुत अच्छे दो उपाय है जो आप बहुत आसानी से कर सकते है ! पहला ये की जिनको बार बार तलब लगती है जो अपनी तलब पर कंट्रोल नहीं कर पाते नियंत्रण नहीं कर पाते इसका मतलब उनका मन कमजोर है ! तो पहले मन को मजबूत बनाओ! मन को मजबूत बनाने का सबसे आसान उपाय है पहले थोड़ी देर आराम से बैठ जाओ ! आलती पालती मर कर बैठ जाओ ! जिसको सुख आसन कहते हैं ! और फिर अपनी आखे बंद कर लो फिर अपनी दायनी(right side) नाक बंद कर लो और खाली बायी(left side) नाक से सांस भरो और छोड़ो ! फिर सांस भरो और छोड़ो फिर सांस भरो और छोड़ो ! बायीं नाक मे चंद्र नाड़ी होती है और दाई नाक मे सूर्य नाड़ी ! चंद्र ना...

उबलतें दूध में जब डाली जाती हैं तुलसी की पतियाँ तो होता है चमत्कार

घरेलू नुस्‍खे बिना किसी साइड इफेक्‍ट के कई बीमारियों को दूर करते हैं। पीढि़यों से चले आ रहे ये नुस्‍खे हमेशा से फायदेमंद साबित हुए है और शायद आगे भी होते रहेंगे। ऐसे ही कुछ टिप्‍स तुलसी को लेकर भी है। तुलसी एक ऐसा हर्ब है जो कई समस्याओं को आसानी से दूर कर सकती है। सर्दी जुकाम हो या सिरदर्द तुलसी का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि तुलसी को अगर दूध के साथ मिला लिया जाये तो ये कई बीमारियों के लिए रामबाण साबित होती है। आज हम आपको बता रहे हैं कैसे तुलसी की तीन से चार पत्तियां उबलते हुए दूध में डालकर खाली पेट पीने से आप सेहतमंद रह सकते हैं। *किडनी की पथरी में* यदि किडनी में पथरी की समस्या हो गई हो और पहले दौर में आपको इसका पता चलता है तो तुलसी वाला दूध का सेवन सुबह खाली पेट करना शुरू कर दें। इस उपाय से कुछ ही दिनों में किडनी की पथरी गलकर निकल जाएगी। आपको इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। *दिल की बीमारी में* यदि घर में किसी को दिल से सबंधित कोई बीमारी है या हार्ट अटैक पड़ा हो तो आप तुलसी वाला दूध रोगी को सुबह के समय खाली पेट पिलाएं। इससे दिल से संबंधित कई...

हींग के लाभ:

 हींग के लाभ: 1. दांत में कीड़ा लग जाने पर रात में सोते वक्त दांतों में हींग दबाकर साएं। ऐसा करने से कीडे अपने-आप निकल जाएंगे। 2. कांटा चुभने पर उस स्थान पर हींग का घोल भर दीजिए। इससे पीड़ा भी समाप्त होगी और कांटा अपने आप निकल जाएगा। 3. दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोगों के लिए हींग बहुत फायदेमंद है। चर्म रोग होने पर हींग को पानी में घिसकर लगाने से फायदा होता है। 4. बवासीर की समस्या पर हींग का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। बवासीर होने पर हींग का लेप लगाने से बवासीर में आराम मिलता है। 5. कब्ज होने पर हींग के चूर्ण में थोडा सा मीठा सोडा मिलाकर रात में सोने से पहले लीजिए। इससे पेट साफ हो जाएगा। 6. पेट में दर्द व ऐंठन होने पर अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करने से फायदा होता है। 7. अगर किसी खुले जख्म पर कीडे पड़ गए हों तो, उस जगह पर हींग का चूर्ण लगाने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं। 8. खाने से पहले घी में भुनी हुई हींग एवं अदरक का एक टुकडा मक्खन के साथ में लेने से भूख ज्यादा लगती है। 9. पीलिया होने पर हींग को गूलर के सूखे फलों के साथ खाना चाहिए। पीलिया होने पर हींग को...

नाभि का खिसकना

नाभि का खिसकना - योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभिस्थान है। - आधुनिक जीवन-शैली इस प्रकार की है कि भाग-दौड़ के साथ तनाव-दबाव भरे प्रतिस्पर्धापूर्ण वातावरण में काम करते रहने से व्यक्ति का नाभि चक्र निरंतर क्षुब्ध बना रहता है। इससे नाभि अव्यवस्थित हो जाती है। इसके अलावा खेलने के दौरान उछलने-कूदने, असावधानी से दाएँ-बाएँ झुकने, दोनों हाथों से या एक हाथ से अचानक भारी बोझ उठाने, तेजी से सीढ़ियाँ चढ़ने-उतरने, सड़क पर चलते हुए गड्ढे, में अचानक पैर चले जाने या अन्य कारणों से किसी एक पैर पर भार पड़ने या झटका लगने से नाभि इधर-उधर हो जाती है। कुछ लोगों की नाभि अनेक कारणों से बचपन में ही विकारग्रस्त हो जाती है। - प्रातः खाली पेट ज़मीन पर शवासन में लेतें . फिर अंगूठे के पोर से नाभि में स्पंदन को महसूस करे . अगर यह नाभि में ही है तो सही है . कई बार यह स्पंदन नाभि से थोड़ा हट कर महसूस होता है ; जिसे नाभि टलना या खिसकना कहते है .यह अनुभव है कि आमतौर पर पुरुषों की नाभि बाईं ओर तथा स्त्रियों की नाभि दाईं ओर टला करती है। - नाभि में लंबे समय ...

जुका़म बना रहता है, नाक बहती रहती है तो .....

१ . सितोपलादि चूर्ण २ ग्राम + त्रिभुवन कीर्ति रस एक गोली + लक्ष्मी विलास रस(नारदीय)एक गोली + श्रंग भस्म दो रत्ती(यानि २५० मिग्रा.) + रस सिंदूर एक रत्ती + गोदन्ती भस्म दो रत्ती : इन सभी को मिला कर एक खुराक बना लीजिये व दिन में शहद के साथ मिला कर तीन बार सुबह-दोपहर-शाम चाटिये। २ . षड्बिन्दु तेल की छह बूंदें नाक के दोनो छेदों में डालिये सुबह - शाम। ३ . हरिद्रा खण्ड आधा चम्मच दिन में दो बार सेवन करें। ऊपर से गुनगुना गर्म जल पी लीजिये। इस औषध को तीन माह तक लीजिये फिर जीवन भर कभी आपको इस तरह की समस्या न होगी।

मूंगफली

मूंगफली में बोरोन नामक एक माइक्रोएलीमैंट बहुत भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो दिमाग की इलैक्ट्रिक गतिविधि पर प्रभाव डालता है। मूंगफली की साढ़े तीन औंस मात्रा ...तथा 2 सेब प्रतिदिन खाने से खुराक का संतुलन बहुत बढिय़ा बन जाता है। जो खाद्य बोरोन से भरपूर होते हैं उनसे ऑर्गेनिकम में एस्ट्रोजन भरपूर मात्रा में प्राप्त होता है इसलिए जो महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद की अवस्था में हैं उन्हें मूंगफली के सेवन की सलाह दी जाती है। प्रतिदिन साढ़े तीन औंस मूंगफली तथा 2 सेब खाने से इस हार्मोन का स्तर ऊंचा किया जा सकता है। मूंगफली शरीर को ऊर्जा की भरपूर मात्रा उपलब्ध करवाती है। जो लोग गाय का दूध नहीं पी सकते वे इसके स्थान पर मूंगफली के दूध (पीनट मिल्क) का सेवन कर सकते हैं। मूंगफली आयरन, विटामिन ई, के और बी6, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम और जिंक का अच्छा स्रोत है। मूंगफली में विटामिन ई और एंटीआक्सीडैंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए इसके सेवन से स्किन प्रॉब्लम्स नहीं सतातीं। त्वचा का सूखापन दूर करती है तथा होंठ भी कोमल और गुलाबी हो जाते हैं। इसमें कैल्शियम और विटामिन डी अध...

गठिया का आयुर्वेदिक नुस्खा

गिलोय चूर्ण- 100 ग्राम मैथी दाना   -100 ग्राम अजवायन   -100ग्राम काली जीरी - 50 ग्राम कड़ु          - 50 ग्राम सुरजन जीरी -50 ग्राम हारसिंगार के -50 ग्राम पते नागौरी असगन्ध -50ग्राम सौंठ             -50 ग्राम अलसी बीज -50 ग्राम               * कैसे सेवन करें * 2 से 3 ग्राम दिन में 3 बार दूध के साथ  सेवन करें साथ यह काढ़ा जरूर शामिल कीजिए । असगंधरिषट+महारास्नादि काढा और दशमूलारिष्टा २-२ चम्मच मिलाकर 3 बार लें ।       *कब तक सेवन करना चाहिए * यूरिक एसिड के लिए 21 से 45 दिन तक गठिया में 90 दिन से 180 दिन तक सेवन करें ।

हल्दी दूध से किसको नहीं पीना चाहिए ::

चोट लग जाने या सर्दी- बुखार होने पर हम अक्सर हल्दी दूध का सेवन करते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि अनेक फायदों वाले इस हल्दी दूध से कुछ नुकसान भी होते हैं।अधिक हल्दी के सेवन से आपकी त्वचा रूखी और खुजलीदार हो सकती है। सामान्यता 240 से 500 मिग्रा हल्दी वो भी तीन बार में प्रयोग करने की हिदायत दी जाती है। सर्जरी के बाद न लें हल्दी यदि आपकी सर्जरी हुई हैं तो इसका ज्यादा मात्रा में सेवन बुरा है, हल्दी खाने से शरीर में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या हो जाती है. यह उनके लिए रिस्की हो सकता है जिनकी हाल ही में सर्जरी हुई हो। इंर्फटिलिटी और गैस की समस्या ज्यादा हल्दी खाने से पुरुषों को इंर्फटिलिटी की भी समस्या हो जाती है। इससे स्पर्म का प्रोडक्शन कम हो जाता है।ज्यादा हल्दी खाने से पेट में गैस की समस्या होती है। इससे डायरिया और कब्ज भी हो सकता है। एलर्जी और गॉलब्लैडर की समस्या अगर आपको मसालों के सेवन से एलर्जी हो जाती है तो हल्दी का भी प्रयोग बंद कर दें। यह आपकी एलर्जी को और बढ़ा सकती है। हल्दी गॉलब्लैडर में स्टोन बनाने का भी काम कर सकती है। इसके अलावा यह गैस भी बनाती है। लीवर की समस्या बढ़ाए जिन...

नारी कल्याण पाक

नारी कल्याण पाक ____________________________________________________ यह पाक युवतियों, गर्भिणी, नवप्रसूता माताएँ तथा महिलाएँ – सभीके लिए लाभदायी है | लाभ : यह बल व रक्तवर्धक, प्रजनन – अंगों को सशक्त बनानेवाला, गर्भपोषक, गर्भस्थापक (गर्भ को स्थिर – पुष्ट करनेवाला), श्रमहारक (श्रम से होनेवाली थकावट को मिटानेवाला) व उत्तम पित्तनाशक है | एक – दो माह तक इसका सेवन करने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया, अत्यधिक मासिक रक्तस्राव व उसके कारण होनेवाले कमरदर्द, रक्त की कमी, कमजोरी , निस्तेजता आदि दूर होकर शक्ति व स्फूर्ति आती है | जिन माताओं को बार-बार गर्भपात होता हो उनके लिए यह विशेष हितकर है | सगर्भावस्था में छठे महीने से पाक का सेवन शुरू करने से बालक हृष्ट-पुष्ट होता है, दूध भी खुलकर आटा है | धातु की दुर्बलता में पुरुष भी इसका उपयोग कर सकते है | सामग्री : सिंघाड़े का आटा, गेंहू का आटा व देशी घी प्रत्येक २५० ग्राम, खजूर १०० ग्राम, बबूल का पिसा हुआ गोंद १०० ग्राम, पिसी मिश्री ५०० ग्राम | विधि : घी को गर्म कर गोंद को घी में भुन लें | फिर उसमें सिंघाड़े व गेंहू का आटा मिलाकर धीमी आँच पर सें...

नारंगी ---

- उत्तर भारत में नारंगी के पेड़ बहुत दिखाई देते है. जब इन पर नारंगी लगी रहती है तो यह पेड़ बहुत सुन्दर दिखाई देता है. यह गमले में भी बहुत सुन्दर लगता है. इसके फूल सफ़ेद रंग के और बहुत प्यारी सी खुशबू वाले होते है.यह निम्बू प्रजाति का है , इसलिए इसके पत्तों से निम्बू की तरह खुशबू आती है. - नारंगी में भरपूर विटामिन सी होता है, कि इसमें 'एन्टि-आक्सिडैंट' भी भरपूर हैं ,जो शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करता है, सर्दी जुखाम में लाभ पहुंचाता है। - इसका अचार या शरबत बना सकते है. - नारंगी के एन्टी आक्सीडैन्ट हमारे शरीर के वृद्धावस्था की दर को कम करते हैं अर्थात कोशिकाओं को युवा रखकर हमें युवा रखते हैं। बजाय नुकसानदेह कृत्रिम रसायनों से निर्मित टानिकों को खाने या त्वचा को युवतर रखने वाली क्रीमों के लगाने के स्थान पर प्राकृतिक नारंगी खाएं और रोगों से भी मुक्त रहें तथा युवतर भी रहें। - जिसे खुलकर भूख नहीं लगती म वे सुबह ७ से ९ बजे के बीच २ नारंगी के रस में १ चुटकी सोठ १ चुटकी काला नमक मिला कर पिए तो खूब भूख लगेगी .जिन्हें भोजन नहीं पचता , वे भोजन के बाद इसके रस का...

2 मिनट में कैसे करे बच्चो के लिए हेल्थी फ़ूड तैयार

छुट्टियों में बच्चें हर दो घंटे बाद कहते है मम्मी भूख लगी है . बस २ मिनिट .... इसके बाद एक कटोरे में खूब सारा मुरमुरा और उसमे थोड़ी सेव मिला कर बच्चों को दे दे. यह पौष्टिक भी है और ज़्यादा खाने पर वजन भी नहीं बढ़ता. बच्चों के लिए दानों के साथ फ्राई करके दे . यह बहुत स्वादिष्ट लगेगा .यह यात्रा में भी साथ में रखा जा सकता है.मैगी या चिप्स के विदेशी हमले से बचने का यह सेहतमंद और स्वादिष्ट उपाय है. धान और चावल दोनों फुलाए जाते हैं। धान को फुलाने पर जो उत्पाद मिलता है उसे खील कहते हैं और उसे पीसकर प्राप्त किया गया आटा सत्तू कहलाता है, फिर भी चावल को फुलाकर प्राप्त किए गए उत्पाद मुड़ी या मुरमुरा बनाने की क्रिया की अपेक्षा यह छोटी प्रक्रिया है। फुलाने के लिए उसना चावल ज्यादा पसंद किया जाता है। आग के ऊपर कढ़ाई में गर्म रेत में मुट्ठी से चावल डाला जाता है। धातु के करछुले से रेत को उलटा पलटा जाता है, और जैसे ही चावल फूलने और फूटने लगता है, कढ़ाई की पूरी सामग्री एक छलनी में उलट दी जाती है। फूला हुआ चावल यानी मुरमुरा छलनी में एकत्रित कर लिया जाता है और गर्म रेत को फिर से उपयोग में ...

त्रिफला सेवन के लाभ

 त्रिफला सेवन के लाभ 1⭐ शिशिर ऋतू में ( 14 जनवरी से 13 मार्च) 5 ग्राम त्रिफला को आठवां भाग छोटी पीपल का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। 2⭐ बसंत ऋतू में (14 मार्च से 13 मई) 5 ग्राम त्रिफला को बराबर का शहद मिलाकर सेवन करें। 3⭐ ग्रीष्म ऋतू में (14 मई से 13 जुलाई ) 5 ग्राम त्रिफला को चोथा भाग गुड़ मिलाकर सेवन करें। 4⭐ वर्षा ऋतू में (14 जुलाई से 13 सितम्बर) 5 ग्राम त्रिफला को छठा भाग सैंधा नमक मिलाकर सेवन करें। 5⭐ शरद ऋतू में(14 सितम्बर से 13 नवम्बर) 5 ग्राम त्रिफला को चोथा भाग देशी खांड/शक्कर मिलाकर सेवन करें। 6⭐ हेमंत ऋतू में (14 नवम्बर से 13 जनवरी) 5 ग्राम त्रिफला को छठा भाग सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।   ओषधि के रूप में त्रिफला ⭐ रात को सोते वक्त 5 ग्राम (एक चम्मच भर) त्रिफला चुर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होता है। अथवा त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लें इससे कब्ज दूर होता है। इसके सेवन से नेत्रज्योति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है। ⭐ सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण साफ़ मिट्टी के बर्तन में भिगो कर...

ऐसे रखें नाखूनों को स्वस्थ

हर कोई जानता है कि बडे़ नाखूनों को न काटने से उनमें गंदगी का ढेर जमा हो जाता है। अगर आपके नाखून लंबे हैं और आप अपने हाथों से किचन में आटा गूथने या अन्‍य काम करती हैं, तो आपके पूरे परिवार का स्‍वास्‍थ्‍य खतरे में पड़ सकता है। नाखून चाहे हाथों के हों या फिर पैरों के, उन्‍हें नियमित रूप से काटने में ही भलाई है। देखा गया है कि लड़के अपने नाखूनों पर बिल्‍कुल भी ध्‍यान नहीं देते। वे नाखून काटने को या तो बोरिंग काम समझते हैं या फिर इतनी ज्‍यादा अहमियत नहीं देते। पर नाखून के अंदर गंदे बैक्‍टीरिया जब जमा हो जाते हैं, तो भयानक बीमारियां पैदा करते हैं। आइये जानते हैं नाखून काटने के बेहतरीन स्‍वास्‍थ्‍य लाभ। नाखून काटने के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ चमड़े में धंसे हुए नाखून यह एक गंभीर चिकित्सा हालत है जो कि नाखून ना काटने की वजह से किसी किसी को हो जाती है। यह दर्दनाक भी हो सकता है। इस तरह के नाखून अधिकतर पैरों के अंगूठे में पाए जाते हैं। इसलिये आपको हमेशा आपने नाखूनों को काटने चाहिये। बैक्टीरियल संक्रमण अगर आप लगातार बंद जूते या मोजे पहनते हैं तो आपके पैरों की उंगलियों में पसीने की वजह से बैक्‍टीरियल संक...

भारतीय विज्ञानं: नदियों में सिक्के क्यों डाले जाते है?

नदियों में सिक्के डालना सौभाग्य से जोड़ा गया है परन्तु इसका वास्तविक विज्ञानं है की हमारे पूर्वजो ने हमारे स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत बुद्दिमत्ता भरा निर्णय लिया था पहले सिक्के तांबे के बनते थे और ताम्बा मनुष्य के शरीर के लिए आवश्यक धातु है पहले पीने के लिए नदियों का पानी मुख्य स्त्रोत थे और उस पानी को पीने से शरीर में ताम्बे की कमी न हो इसके लिए नदियों में सिक्के डालने को एक परंपरा और आस्था से जुड़ा बनाकर उसे अभी तक जिंदा रखा गया है हालाँकि अब उसका वो महत्त्व नहीं रहा परन्तु इस से हमारे पूर्वजो की प्रति हमारा आदर और बढ़ जाता है उन्हें नमन है

नाड़ी परीक्षण

नाड़ी परीक्षण................ किसी भी व्यक्ति का शरीर का तापमान की जानकारी लेना हो बिना किसी भी थर्मामीटर या किसी भी अन्य यंत्र के तो नीचे लिखे तरीके से जानकारी ले सकते है । पुरुष की नाड़ी परीक्षण हमेशा दाहिनी हाथ से किया जाता है और महिला की बायी हाथ से। अगर किस भी व्यक्ति का शरीर का 60-65 पल्स है तो शरीर का तापमान 98 डिग्री फ़रेनहाएट 70 पल्स है तो 99 डिग्री फ़रेनहाएट तापमान 80 पल्स है तो 100 डिग्री तापमान 90 पल्स = 101 डिग्री फ़रेनहाएट 100 पल्स = 102 डिग्री फ़रेनहाएट 110 पल्स = 103 डिग्री फ़रेनहाएट 120 पल्स = 104 डिग्री फ़रेनहाएट 130 पल्स = 105 डिग्री फ़रेनहाएट 140 पल्स = 106 डिग्री फ़रेनहाएट यानि हर 10 स्पंदन बढ़ने पर 10 डिग्री तापमान शरीर का बढ़ेगा गर्भ में बच्चा का पल्स 140 से 150 होगा सबसे अच्छा पल्स 70 से 74 के बीच होना चाहिए । उम्र के हिसाब से ब्लड प्रेसर नापने का अद्भुत तरीका । बिना किसी भी यंत्र के । गर्भ में बच्चा का बी पी माँ के बी पी के बराबर होगा जन्म से 5 साल तक बी पी का हाईयर लिमिट 81 और लोअर लिमिट 45 5 साल से 10 साल तक बी पी का हाईयर लिमिट 90 और लोअर 50 10 साल ...

स्वादिष्ट चटनी आवले की

आवला को कोन नही जानता आवला रोग प्रिरोधक समता को बढाता है यह आखों की ज्योती को बढाता है बालों को छडने से रोकता है पित कफ वात  अलग अलग अनूपात में दिया जाता है यह त्रिदोशक है  आवले का हर मोसम में सेवन करे किसी न किसी रूप में  आवले की चटनी कैसे बनाये आवला का गूदा एक किलो ले गूदा बनाने के लिये आवले को पानी में उबाले  जब नरम हो जाये तब बहार निकाल कर बारीक पिस ले यह आवले का गूदा है आवला का गूदा 1किलो मैथी का दाना बारीक पिस कर पाउडर  50ग्राम हल्दी पीसी 3ग्राम लालमिर्च पीसी 2ग्राम अदरक पीसी 10ग्राम लहसून पीसा 10ग्राम कालीमिर्चपीसी 2ग्राम राई भूनी कर पीसी 1ग्राम जीराभून कर पीसा 10ग्राम नमक 50ग्राम चीनी 1कुलो चीनी एक किलो की जगह आप1.25किलोग्राम ले क्योकी एक किलो में आवला खटटा पन रह गया था थोडा इसलिये सिरका 40मि०ली० पर मैने सिरका नही डाला आप चाहे तो डाल सकते है विधी जो समान बताया सब पास रखे फिर एक कढाई में चीनी डालकर पानी डालकर पानी हिसाब से डाल ले न ज्यादा न कम पानी आधा लिटर से भी कम या इतना ही डाले  चूहले पर मन्दमन्द अग्नि पर पकने दे जब पक चीनी घूल जाय...

POWERFUL HEALTH BENEFITS OF HONEY & GARLIC ?!

POWERFUL HEALTH BENEFITS OF HONEY & GARLIC ?! It seems that this day and age is even more important to care about your health than earlier. Humans are exposed to many damaging influences, and it is essential to know how to protect yourself from them. Visiting a doctor regularly is one of the options, but sometimes that is neither enough nor necessary. Some ingredients that are very beneficial for your health, is sometimes easy to find in your very own kitchen. Honey and garlic are thought to be the healthiest kitchen ingredients that can provide alternative for some medicines and immunity boost. Why are these two groceries so healthy and how can you get the best out of them? Health benefits of garlic. ------------------------- For centuries now, garlic has been touted as one of the healthiest foods. Compounds from digested garlic are processed by red blood cells and turned into cell messenger hydrogen sulfide (H2S) causing blood vessels to relax and increase in blood flow...

एसिडिटी को चुटकी में गायब

 स्वास्थ भारत की और छोटा सा कदम ....... क्या आप जानते हैं, एसिडिटी की दवा से हो सकती हैं आपकी किडनी खराब। जब हम खाना खाते हैं तो इस को पचाने के लिए शरीर में एसिड बनता हैं। जिस की मदद से ये भोजन आसानी से पच जाता हैं। ये ज़रूरी भी हैं। मगर कभी कभी ये एसिड इतना ज़्यादा मात्रा में बनाता हैं के इसकी वजह से सर दर्द, सीने में जलन और पेट में अलसर और अलसर के बाद कैंसर तक होने की सम्भावना हो जाती हैं। ऐसे में हम नियमित ही घर में इनो या *पीपीआई (प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स)* दवा का सेवन करते रहते हैं। मगर आपको जान कर आश्चर्य होगा के ये दवाये सेहत के लिए बहुत खतरनाक हैं। *पीपीआई ब्लड में मैग्नीशियम की कमी* कर देता है। अगर खून पर असर पड़ रहा है तो किडनी पर असर पड़ना लाज़मी है। जिसका सीधा सा अर्थ की ये दवाये हमारी सेहत के लिए खतरनाक हैं। तो ऐसी स्थिति में कैसे करे इस *एसिडिटी का इलाज* आज हम आपको बता रहे हैं भयंकर से भयंकर एसिडिटी का चुटकी बजाते आसान सा इलाज। ये इलाज आपकी सोच से कई गुना ज़्यादा कारगार हैं। तो क्या हैं ये उपचार। ये हर रसोई की शान हैं। हर नमकीन पकवान इसके बिना अधूरा हैं। ये हैं आप...

सरसों तेल के फायदे

सर्दियों में हल्का गर्म सरसों तेल और गर्मियों में ठंडा सरसों तेल तीन बूँद दोनों कान में कभी कभी डालते रहे। इस से कान स्वस्थ रहेंगे। रात को सोते समय नित्य सरसों का तेल नाक में लगाये। हर तीसरे दिन दो कली लहसुन रात को भोजन के साथ ले। प्रात: दस तुलसी के पत्ते और पांच काली मिर्च नित्य चबाये। सर्दी, बुखार, श्वांस रोग नहीं होगा। नाक स्वस्थ रहेगी।

सुबह की सैर के फायदे

सुबह सूर्य निकलने से पहले पार्क या हरियाली वाली जगह पर सैर करना सम्पूर्ण स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हैं। इस समय हवा में प्राणवायु का बहुत  संचार रहता हैं। जिसके सेवन से हमारा पूरा शरीर रोग मुक्त रहता हैं और हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती हैं।

हरड़ के फायदे

हर रोज़ एक छोटी हरड़ भोजन के बाद दाँतो तले रखे और इसका रस धीरे धीरे पेट में जाने दे। जब काफी देर बाद ये हरड़ बिलकुल नरम पड़ जाए तो चबा चबा कर निगल ले। इस से आपके बाल कभी सफ़ेद नहीं होंगे, दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे और पेट के रोग नहीं होंगे।

मालिश के फायदे

स्नान करने से आधा घंटा पहले सर के ऊपरी हिस्से में सरसों के तेल से मालिश करे। इस से सर हल्का रहेगा, मस्तिष्क ताज़ा रहेगा। रात को सोने से पहले पैर के तलवो, नाभि, कान के पीछे और गर्दन पर सरसों के तेल की मालिश कर के सोएं। निद्रा अच्छी आएगी, मानसिक तनाव दूर होगा। त्वचा मुलायम रहेगी। सप्ताह में एक दिन पूरे शरीर में मालिश ज़रूर करे।

दालचीनी के लाभ

टाइफाइड चुटकी भर दालचीनी की फंकी चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ दिन में दो बार लेने से टाइफाईड नहीं होता।

सौंठ के लाभ

सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम और कफ से बचने के लिए पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में इतना उबाले के आधा पानी रह जाए। रात को सोने से पहले यह पिए। बदलते मौसम, सर्दी व वर्षा के आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं। सौंठ नहीं हो तो अदरक का इस्तेमाल कीजिये।

ताम्बे के पानी का लाभ

रात को ताम्बे के बर्तन में रखा पानी सुबह उठते बिना कुल्ला किये ही पिए, निरंतर ऐसा करने से आप कई रोगो से बचे रहेंगे। ताम्बे के बर्तन में रखा जल गंगा जल से भी अधिक शक्तिशाली माना गया हैं।

छाछ के फायदे

तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर हैं। सुबह और दोपहर के भोजन में नित्य छाछ का सेवन करे। भोजन में पानी के स्थान पर छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं।

दांतो की मजबूती का घरेलू नुस्खा

ऐसी आदत डाले के नित्य शौच जाते समय दाँतो को आपस में भींच कर रखे। इस से दांत मज़बूत रहेंगे, तथा लकवा नहीं होगा।

नेत्र स्नान

*नेत्र स्नान* मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोये। ऐसा दिन में तीन बार करे। जब भी पानी के पास जाए मुंह में पानी का कुल्ला भर ले और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये। मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले। मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहे। भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे। आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर चेहरा व कानो तक मले। इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं। नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं।

स्वदेशी विदेशी वस्तुओ की सूची

स्वदेशी विदेशी वस्तुओ की सूची दन्त मंजन / पेस्ट = स्वदेशी — विको वज्रदंती, बैद्यनाथ, चोइस, नीम, डाबर , एंकर, मिस्वाक, बबूल, प्रोमिस, दन्त कांति दन्त मंजन। विदेशी — अधिकतर दन्त पेस्ट हड्डियों के पावडर से बनते है, जेसे कोलगेट, हिंदुस्तान यूनिलीवर ( पहले हिन्स्तान लीवर ), क्लोस-अप, पेप्सोडेंट, एम, सिबाका, एक्वा फ्रेश, एमवे, ओरल बी, क्वांटम आदि । टुथ ब्रश ( दन्त साफ करने का उपकरण ) == स्वदेशी — पतंजलि ,प्रोमिस, अजय, अजंता, मोनेट, रोयल, क्लास्सिक, डोक्टर स्ट्रोक आई एम् सी , केवा आदि। विदेशी — कोलगेट, क्लोस-अप, पेप्सोडेंट, सिबाका, अक्वा फ्रेश, ओरल-बी, हिंदुस्तान यूनिलीवर । बाथ सोप (स्नान करने का साबुन) == स्वदेशी — निरमा , मेदिमिक्स, निम्, नीमा, जस्मीन, मेसोर सेंडल, कुटीर, सहारा, पार्क अवेन्यु, सिंथोल, हिमानी ग्लिसरीन, फिर फ्लो, न १,पतंजलि , आई एम् सी ,केवा , शिकाकाई, गंगा, विप्रो, संतूर, काया कांति, काया कांति एलो वेरा । विदेशी — हिंदुस्तान यूनिलीवर, लो’ ओरीअल , लाइफ ब्वाय ( कोई डर नहीं ) , ले सेंसि, डेनिम, चेमी, डव, रेविओं, पिअर्स, लक्स, विवेल, हमाम, ओके, पोंड्स, क्लिअर्सिल, पम...

सुबह की मुह की लार का महत्व

ये सभी उपाय रात्रि में सोने से पहले दातों को साफ करके सोएँ और सुबह उठकर बीना कुल्ला किये बिना थूके प्रयोग करे ये मुह की लार हमारे शरीर कें सर्वोत्तम है 1:- यदि किसी भाई बहन के आखों के नीचे काले घेरे हो गये हैं वो सुबह मे मुह की लार से मालिश करें धीरे धीरे, 2:- जिनको चश्मा लगा है वे भाइ बहन शुबह उठकर आखों में ये मुह की लार लगाये काजल की तरह से 3:- डायबिटीज के रोगियों के लिए जहाँ चोट लगी है वहां सुबह की लार लगाये 4:- जिन लोगों के जलने का दाग नही जा रहा वे इसी लार की मालिश करें 5:- जिन लोगों के दाद हो गये हैं वे भी इस लार को प्रतिदिन सुबह उठते ही मूंह की लार लगाये और अनेको बीमारी का इलाज है ये मुह की लार होता क्या है इस मूह की लार में टायलिन नामक एंजाइम होता है जो हमारी पाचन क्रिया को बढाता है और जो मित्र गुटखा खाते हैं या थूकते रहते हैं धीरे धीरे ये लार बनना बंद हो जाती है और मुह के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है इस लार का PH मान 8.3 होता है और आप ये सभी पेस्ट करना बंद करे क्योकि इससे लार को हम थूक देते हैं इसके स्थान पर नीम या बबूल की दातुन करे ये दातुन करने से ...

आँखों के सब प्रकार के रोगों के लिये अति उतम औषधि।

 आँखों के सब प्रकार के रोगों के लिये अति उतम औषधि। यह दवाई शुरू हुआ मोतियाबिंद,नजर की कमजोरी,आँखों के सब रोग व छोटी उम्र में लगी ऐनक भी उतार देती है।योग निमन है:— हरड़ 50 ग्राम। बहेड़ा 50 ग्राम। मुलठी का कपड़छान चूर्ण 50 ग्राम। आँवला 50 ग्राम। लौह भसम (100 पुठी) 50 ग्राम। मोती पिषटी 10 ग्राम।चाँदी भसम 10 ग्राम।सब चीजों को मिकसी चलाकर मिकस करके इसमें 250 ग्राम महा त्रिफला घृत व 250 ग्राम शहद मिलादें। शहद मिलनेे के बाद यह योग चयवनप्रयाष की तरह हो जायेगा। इसका 1 चमच सुवह खाली पेट व 1 चमच रात को सोते समय खाकर सो जायें। दवाई के 1 घंटे बाद कुछ नहीं खायें। आँखों के सब रोगों के लिये रामबाण है। दवाई थोड़ी महंगी जरूर है लेकिन आँखों के लिये वरदान है। यह दवाई बचों के आँखों के टीर (भैंगापन) में भी काम करती है लेकिन उसमें अभ्रक भसम (100 पुठी)  मिलाकर बनाई जाती है। 

शुगर के लिये आयुर्वेदिक नुस्खे

शुगर के लिये आयुर्वेदिक नुस्खे ........ बैलपञ.        30 gms नीम के पत्ते    30 gms सौंठ.           20 gms  कढी पत्ता     20 gms लहसुन.       30 GMs ऊपर बताइ गई चीजो को लाकर सुखा करके फिर उसका चूरन बना लिजिये आैर मिक्स कर दिजिये. बादमे आप २ चम्मच चूरन + २ ग्लास पानी लेकर उबालिये जब एक ग्लास पानी बचे तब छानकर ठंडा होने पर पीऐ. यह प्रयोग के 1 धंटे तक कुछ भी ना खाऐ. यह प्रयोग खाली पेट करनां है शुगर के लिये............ .करेला             100 gms जांमुन की गुठली   150 gms  मैथीदाना         100 gms बैलपञ           250 gms  सभी चीजो को सुखाकर पावडर बनाकर मिक्स कर लिजीये , बाद मे आप इसको खाने से १ धंटे पुवॅ सुबह शाम १-१ चम्मच लिजिएे .

नारियल पानी पीने के स्वास्थवर्धक गुण

गर्मियों में नारियल पानी के सेवन से, आपको दिव्य आनंद प्राप्त होगा। यह केवल आपको ताजगी ही नहीं, बल्कि इस में कई सारे स्वास्थवर्धक गुण भी छुपे हैं। नारियल पानी में विटामिन, मिनरल, इलेक्ट्रोलाइट्स, एंजाइमस्, एमिनो एसिड और साइटोकाइन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। आपको यह जान कर हैरानी होगी कि नारियल पानी महिलाओं के स्वािस्य्ना के लिये बहुत ही अच्छाय माना गया है। यदि पेशाब में जलन हो रही हो, डीहाड्रेशन हो गया हो, त्वयचा में निखार चाहिये हो या फिर मोटापा घटाना हो तो नारियल पानी पीजिये। नारियल की तासीर ठंडी होती है इसलिए नारियल का पानी हल्का, प्यास बुझाने वाला, अग्निप्रदीपक, वीर्यवर्धक तथा मूत्र संस्थान के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसमें स्वास्थवर्धक गुण तो है ही, साथ ही इसकी ताजगी से भरा स्वाद इसे पूरे विश्व में लोकप्रिय बनाता है। आइये जानते हैं नारियल पानी के बारे में कुछ स्वागस्य्िश वर्धक बातें। 1. दस्तम मिटाए अगर आप दस्त से परेशान है, तो नारियल पानी का सेवन आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा, यह आपके शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। नारियल पानी में एमिनो एसिड, एंजाइमस्, डाइटेरी फाइबर...

गुप्त रोगों का स्थायी समाधान

गुप्त रोगों का स्थायी समाधान  शीघ्रपतन, धात गिरना , सवपनदोष , नपुंसकता के स्थायी इलाज के लिए नुसखा सूरण :- 9 ग्राम तुलसी :- 9 ग्राम अशवगंधा :- 9 ग्राम सफेद मुसली :- 4.5 ग्राम गोखरू :- 1.8 ग्राम शतावरी :- 4.5 ग्राम कौंच बीज :- 9 ग्राम विदारीकंद :- 9 ग्राम नागौरी असगंध :- 1.8 ग्राम शुद्ध शिलाजीत :- 900 मिलीग्राम अकलकरा :- 1.8 ग्राम स्वर्ण भसम :- 1.8 मिलीग्राम जायफल :- 900 मिलीग्राम लौंग :- 900 मिलीग्राम सौंठ :- 1.8 ग्राम केसर :- 90 मिलीग्राम पीपर :- 900 मिलीग्राम जावित्री :- 900 मिलीग्राम इलायची :- 900 मिलीग्राम दालचीनी :- 900 मिलीग्राम तामलपत्र :- 900 मिलीग्राम नागकेशर :- 1.8 ग्राम वंशलोचन :- 7.2 ग्राम उपरोक्त सभी औषधियों को आपस मे मिला दे और हर रोज 430 मिलीग्राम रात को सोने से पहले दूध के साथ ले ।  नोट :- औषधि सेवन के दौरान खटाई का सेवन और कच्चे प्याज का सेवन बंद कर दे ।

गौमूत्र के 20 रोचक गुण

गौमूत्र के 20 रोचक गुण- जो आप नहीं जानते आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग कहे गए हैं। गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली कई बीमारियां दूर ही रहती हैं। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है। इसके कुछ गुण इस प्रकार गए हैं :- 1. गौ मूत्र कड़क, कसैला, तीक्ष्ण और ऊष्ण होने के साथ-साथ विष नाशक, जीवाणु नाशक, त्रिदोष नाशक, मेधा शक्ति वर्द्धक और शीघ्र पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, ताम्र, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड, पोटाशियम, सल्फेट, फास्फेट, क्लोराइड और सोडियम की विभिन्न मात्राएं पायी जाती हैं। यह शरीर में ताम्र की कमी को पूरा करने में भी सहायक है। 2. गौमूत्र को न केवल रक्त के सभी तरह के विकारों को दूर करने वाला, कफ, वात व पित्त संबंधी तीनो दोषों का नाशक, हृदय रोग...

चूना का चमत्कार

चूना का चमत्कार // पत्थर के रोगी को चुना नहीं खाना है// चूना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक कर देता है !!!! जैसे किसीको पीलिया हो जाये माने जोंडिस उसकी सबसे अच्छी  दवा है चूना; गेहूँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक कर देता है । और यही चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है – अगर किसीके शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे; और जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अच्छी दवा है ये चूना । विद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत अच्छी है जो लम्बाई बढाती है – गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिलाके खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिलाके खाओ, दाल नही है तो पानी में मिलाके पियो – इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छा होता है । जिन बच्चोकी बुद्धि कम काम करती है मतिमंद बच्चे उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना, जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से ठीक हो जायेंगे । ...