2 मिनट में कैसे करे बच्चो के लिए हेल्थी फ़ूड तैयार
छुट्टियों में बच्चें हर दो घंटे बाद कहते है मम्मी भूख
लगी है . बस २ मिनिट .... इसके बाद एक कटोरे में खूब
सारा मुरमुरा और उसमे थोड़ी सेव मिला कर बच्चों को दे
दे. यह पौष्टिक भी है और ज़्यादा खाने पर वजन
भी नहीं बढ़ता. बच्चों के लिए दानों के साथ फ्राई करके
दे . यह बहुत स्वादिष्ट लगेगा .यह यात्रा में भी साथ में रखा जा सकता है.मैगी या चिप्स के विदेशी हमले से बचने
का यह सेहतमंद और स्वादिष्ट उपाय है. धान और चावल दोनों फुलाए जाते हैं। धान को फुलाने पर
जो उत्पाद मिलता है उसे खील कहते हैं और उसे पीसकर
प्राप्त किया गया आटा सत्तू कहलाता है, फिर भी चावल
को फुलाकर प्राप्त किए गए उत्पाद मुड़ी या मुरमुरा बनाने
की क्रिया की अपेक्षा यह छोटी प्रक्रिया है। फुलाने
के लिए उसना चावल ज्यादा पसंद किया जाता है। आग के ऊपर कढ़ाई में गर्म रेत में मुट्ठी से चावल डाला जाता है।
धातु के करछुले से रेत को उलटा पलटा जाता है, और जैसे
ही चावल फूलने और फूटने लगता है, कढ़ाई
की पूरी सामग्री एक छलनी में उलट दी जाती है। फूला हुआ
चावल यानी मुरमुरा छलनी में एकत्रित कर
लिया जाता है और गर्म रेत को फिर से उपयोग में लाने के लिए वापस कढ़ाई में डाल दिया जाता है। नमक मिले
पानी में भिगोया गया चावल पूर्वी भारत में भूनने के लिए
ज्यादा पसंद किया जाता है। व्यावसायिक इकाइयों में
भूनने के लिए बेलनाकार बर्तनों का उपयोग
किया जाता है, जिनके द्वारा चावल गर्म रेत में से
गुजरता है और छनकर वापस बेलनाकार बर्तन में आ जाता है।
चपटा किया हुआ चावल यानी चिउड़ा - धान को नरम
होने तक दो या तीनदिन भिगोकर रखा जाता है और
फिर उसी पानी को कुछ मिनट के लिए उबालकर
ठंड़ाकर लिया जाता है। फिर उन फूले हुए दानों को कुछ
मिनट के लिए उबालकर ठंडा कर लिया जाता है। फिर उन फूले हुए दानों को लोहे या मिट्टी के अवतल पात्रमें
रखकर तब तक तेज आंच पर चढा़ए रखते हैं जब तक
कि दाने फूट न जाएं। इसके बाद दानों को चपटा करने और
छिलका अलग करने के लिए मूसल से कूटा जाता है,जिसे
बाद में फटकर अलग अलग कर दिया जाता है।
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