नारंगी ---
- उत्तर भारत में नारंगी के पेड़ बहुत दिखाई देते है. जब इन
पर नारंगी लगी रहती है तो यह पेड़ बहुत सुन्दर दिखाई
देता है. यह गमले में भी बहुत सुन्दर लगता है. इसके फूल
सफ़ेद रंग के और बहुत प्यारी सी खुशबू वाले होते है.यह
निम्बू प्रजाति का है , इसलिए इसके पत्तों से निम्बू की तरह खुशबू आती है.
- नारंगी में भरपूर विटामिन सी होता है, कि इसमें
'एन्टि-आक्सिडैंट' भी भरपूर हैं ,जो शरीर के
प्रतिरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करता है, सर्दी जुखाम में लाभ
पहुंचाता है।
- इसका अचार या शरबत बना सकते है.
- नारंगी के एन्टी आक्सीडैन्ट हमारे शरीर के
वृद्धावस्था की दर को कम करते हैं अर्थात कोशिकाओं
को युवा रखकर हमें युवा रखते हैं। बजाय नुकसानदेह
कृत्रिम रसायनों से निर्मित टानिकों को खाने
या त्वचा को युवतर रखने वाली क्रीमों के लगाने के स्थान
पर प्राकृतिक नारंगी खाएं और रोगों से भी मुक्त रहें तथा युवतर भी रहें।
- जिसे खुलकर भूख नहीं लगती म वे सुबह ७ से ९ बजे के
बीच २ नारंगी के रस में १ चुटकी सोठ १ चुटकी काला नमक
मिला कर पिए तो खूब भूख लगेगी .जिन्हें भोजन
नहीं पचता , वे भोजन के बाद इसके रस का सेवन करे.
- रोजाना एक नारंगी खाने की आदत रक्त का थक्का जमने की समस्या से आपको मुक्ति दिला सकती है।
इसका भविष्य में दिल का दौरा पड़ने से बचाने के लिए
इलाज में इस्तेमाल हो सकता है।
- जिसको पेट में गड़बड़ी हैं अथवा खून की कमी है, हृदय
कमजोर है, नेत्र कमजोर है, वो मीठी नारंगी खाए |
- इससे नेत्रों की ज्योति भी बढेगी |
- पेट की गड़बड़ी भी ठीक हो जाएगी |
- जिसकी आँखे जलती हैं, गुस्से वाला स्वभाव है,
वो भी नारंगी के रस में १ चुटकी मिश्री डाल के
पिए,गुस्से वाला स्वभाव में शांति और पित्तजन्य
गर्मी से जो भी रोग होते हैं सब ठीक हो जायेंगे. -
बच्चो को सुखा रोग होता है, होठ फट जाते हैं, एड़ियाँ पैर फट जाते हैं सुखा रोग में,ऐसे बच्चो को भी नारंगी का रस
अथवा नारंगी खिलाने से फायदा होता है |
- गर्भवती स्त्री के लिए भी नारंगी हितकारी है.
- नारंगी के छिलके पीस कर इसका लेप मुंह पर लगा के
सो जाए , दुसरे दिन जीरे के गुनगुने पानी से मुंह साफ़ कर ले
|चेहरा निखर जायेगा.
- जिसको कब्जियत है वो नारंगी के रस में
थोडा पानी मिला के पिए लेकिन भोजन के तुरंत बाद
कभी नारंगी न खाए, भूखे पेट नारंगी बहुत फायदा करती है
अथवा भोजन के २-3 घंटे के बाद .
- जिनको घुटनों में दर्द
है वो लोग खट्टी नारंगी से बचे और नारंगी से परहेज करे |
जिनको कफ है, दमा है, वो नारंगी से बचे |
- नारंगी शीतल होती है , बल को बढती है चित्त
को प्रसन्न करती है |
- नारंगी के अर्क में काली मिर्च ,सेंधा नमक पीस कर
डाल पिने से पीत्त जन्य उपद्रव शांत होता है |
- नारगी अर्क चार तोला , इलायची 5 ,मिश्री 1
तोला पीस कर मिलावे | इसके पीने से पीत्त जनित दाह शांत हो जाती है |
- नारंगी के छिलके का तेल छाजन और
मुख छाया (झाँई) को दूर करती है |
- बहुत मीठी नारंगी प्रतिदिन तीसरे पहर दिन में खाने
से बल की वृद्धी होती है तथा हृदय के अनेक रोग ,तृषा ,
पित्त ज्वर , रक्त पित्त मन्दाग्नि रोग शांत होते हैं |
- नारंगी का रस और जवाखार के सेवन से संधिवात में फायदा होता है |
- नारंगी का रस पित्त के वमन को दूर करता है |
- नारंगी के छिलके पेट के किडे को दूर करता है |
- नारंगी का गूदा बांधने से पुराना नासूर भर जाता है |
- नारंगी का रस खून की खराबी को दूर करता है |
- नारंगी का रस नाक में डालने से नाक के खून को बन्द करता है |
- नारंगी से संक्रामक रोगों का असर नहीं होता |
नारंगी का अचार बिना तेल का अजीर्ण,ज्वर,और
तृषा को दूर करता है | इससे भोजन भी जल्दी पचता है |
- २ से ६ महीने की आयु के बच्चों को नारंगी की २
फांकों का रस पिलाया जाए तो उन्हें कोई रोग नहीं हो पायेगा .
- यह रक्तादी धातुओं को बढ़ाती है , इसलिए कमज़ोर से
कमज़ोर व्यक्ति भी इसका सेवन कर बलवान हो जाएगा
पर नारंगी लगी रहती है तो यह पेड़ बहुत सुन्दर दिखाई
देता है. यह गमले में भी बहुत सुन्दर लगता है. इसके फूल
सफ़ेद रंग के और बहुत प्यारी सी खुशबू वाले होते है.यह
निम्बू प्रजाति का है , इसलिए इसके पत्तों से निम्बू की तरह खुशबू आती है.
- नारंगी में भरपूर विटामिन सी होता है, कि इसमें
'एन्टि-आक्सिडैंट' भी भरपूर हैं ,जो शरीर के
प्रतिरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करता है, सर्दी जुखाम में लाभ
पहुंचाता है।
- इसका अचार या शरबत बना सकते है.
- नारंगी के एन्टी आक्सीडैन्ट हमारे शरीर के
वृद्धावस्था की दर को कम करते हैं अर्थात कोशिकाओं
को युवा रखकर हमें युवा रखते हैं। बजाय नुकसानदेह
कृत्रिम रसायनों से निर्मित टानिकों को खाने
या त्वचा को युवतर रखने वाली क्रीमों के लगाने के स्थान
पर प्राकृतिक नारंगी खाएं और रोगों से भी मुक्त रहें तथा युवतर भी रहें।
- जिसे खुलकर भूख नहीं लगती म वे सुबह ७ से ९ बजे के
बीच २ नारंगी के रस में १ चुटकी सोठ १ चुटकी काला नमक
मिला कर पिए तो खूब भूख लगेगी .जिन्हें भोजन
नहीं पचता , वे भोजन के बाद इसके रस का सेवन करे.
- रोजाना एक नारंगी खाने की आदत रक्त का थक्का जमने की समस्या से आपको मुक्ति दिला सकती है।
इसका भविष्य में दिल का दौरा पड़ने से बचाने के लिए
इलाज में इस्तेमाल हो सकता है।
- जिसको पेट में गड़बड़ी हैं अथवा खून की कमी है, हृदय
कमजोर है, नेत्र कमजोर है, वो मीठी नारंगी खाए |
- इससे नेत्रों की ज्योति भी बढेगी |
- पेट की गड़बड़ी भी ठीक हो जाएगी |
- जिसकी आँखे जलती हैं, गुस्से वाला स्वभाव है,
वो भी नारंगी के रस में १ चुटकी मिश्री डाल के
पिए,गुस्से वाला स्वभाव में शांति और पित्तजन्य
गर्मी से जो भी रोग होते हैं सब ठीक हो जायेंगे. -
बच्चो को सुखा रोग होता है, होठ फट जाते हैं, एड़ियाँ पैर फट जाते हैं सुखा रोग में,ऐसे बच्चो को भी नारंगी का रस
अथवा नारंगी खिलाने से फायदा होता है |
- गर्भवती स्त्री के लिए भी नारंगी हितकारी है.
- नारंगी के छिलके पीस कर इसका लेप मुंह पर लगा के
सो जाए , दुसरे दिन जीरे के गुनगुने पानी से मुंह साफ़ कर ले
|चेहरा निखर जायेगा.
- जिसको कब्जियत है वो नारंगी के रस में
थोडा पानी मिला के पिए लेकिन भोजन के तुरंत बाद
कभी नारंगी न खाए, भूखे पेट नारंगी बहुत फायदा करती है
अथवा भोजन के २-3 घंटे के बाद .
- जिनको घुटनों में दर्द
है वो लोग खट्टी नारंगी से बचे और नारंगी से परहेज करे |
जिनको कफ है, दमा है, वो नारंगी से बचे |
- नारंगी शीतल होती है , बल को बढती है चित्त
को प्रसन्न करती है |
- नारंगी के अर्क में काली मिर्च ,सेंधा नमक पीस कर
डाल पिने से पीत्त जन्य उपद्रव शांत होता है |
- नारगी अर्क चार तोला , इलायची 5 ,मिश्री 1
तोला पीस कर मिलावे | इसके पीने से पीत्त जनित दाह शांत हो जाती है |
- नारंगी के छिलके का तेल छाजन और
मुख छाया (झाँई) को दूर करती है |
- बहुत मीठी नारंगी प्रतिदिन तीसरे पहर दिन में खाने
से बल की वृद्धी होती है तथा हृदय के अनेक रोग ,तृषा ,
पित्त ज्वर , रक्त पित्त मन्दाग्नि रोग शांत होते हैं |
- नारंगी का रस और जवाखार के सेवन से संधिवात में फायदा होता है |
- नारंगी का रस पित्त के वमन को दूर करता है |
- नारंगी के छिलके पेट के किडे को दूर करता है |
- नारंगी का गूदा बांधने से पुराना नासूर भर जाता है |
- नारंगी का रस खून की खराबी को दूर करता है |
- नारंगी का रस नाक में डालने से नाक के खून को बन्द करता है |
- नारंगी से संक्रामक रोगों का असर नहीं होता |
नारंगी का अचार बिना तेल का अजीर्ण,ज्वर,और
तृषा को दूर करता है | इससे भोजन भी जल्दी पचता है |
- २ से ६ महीने की आयु के बच्चों को नारंगी की २
फांकों का रस पिलाया जाए तो उन्हें कोई रोग नहीं हो पायेगा .
- यह रक्तादी धातुओं को बढ़ाती है , इसलिए कमज़ोर से
कमज़ोर व्यक्ति भी इसका सेवन कर बलवान हो जाएगा
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें