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अलसी ऐक चमत्कारि आैषधी

अलसी ऐक  चमत्कारि आैषधी विविध नाम अलसी , फ्लेक्स सिड्स , लिन सिड्स वगैरा उसके नाम है.  दोस्तो अलसी से सभी  परिचित होंगे लेकिन उसके चमत्कारि फायदे से बहोत हि कम लोग जानते है. मै डाक्टर प्रयाग डाभी आज अलसी के फायदे जो बता रहा हु उनसे आप जरुर रोग मुक्त हो जायेगै. अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है, अलसी में 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं  अलसी में रेशे भरपूर 27% पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह के लिए आदर्श आहार है 💥 *ब्लड शुगर* 💥 ••••••••••••••••••••••••••••• ☘ अगर आपको ब्लड शुगर , डायाबिटिस , मिठी पैशाब कि तकलिफ है तो आपके लिऐ अलसी किसी वरदान से कम नहि है. 👉 सुबह खालि पेट २ चमच अलसी लेकर २ ग्लास पानि मे उबालै जब आधा पानि बचे तब छीनकर पिऐ. ☘ *थाईराईड*  ☘ •••••••••••••••••••••••••••• 👉 सुबह खालि पेट २ चमच अलसी लेकर २ ग्लास पानि मे उबालै जब आधा पानि बचे तब छीनकर पिऐ. 👉 य...

वैदिक+पंचगव्य घृत बनाने की विधि

वैदिक+पंचगव्य घृत बनाने की विधि  सबसे पहले  भारतीय नश्ल की  "गौ माता" का दूध लेते हैं और फिर उसमे निम्न औषधियां डालते हैं -  👉शंखपुष्पी 👉ब्राह्मी बूंटी 👉सतावरी 👉अश्वगन्धा जड़ 👉निमगिलोय 👉पुनर्नवा फिर उस दूध को मिटी की हांडी में डालकर उसको गोबर के उपलों पर गर्म रखते हैं शुबह 9 बजे से पहले-  और उसको फिर शाम को 6 -7 बजे उतार कर मिटी बिलोने में दही जमाने के लिये रख देते हैं - और सुबह ब्रह्ममहूर्त यानि 4 से 6 बजे के बीच लकड़ी की मथानी से बिलोकर उसका मखन एक छोटी हांडी में निकाल कर रख लेते हैं - फिर उस हांडी को जिसमे ये मखन है- उसमे श्याम तुलसी के कुछ पत्र डालते हैं , क्यों की दूध में तुलसी का सेवन आयुर्वेद में निषेध बताया है - फिर उस हांडी में मखन को बिलकुल मन्द उपलों के अग्नि पर गर्म करते हैं , इस दौरान तीन भाग हो जाते हैं -- एक ऊपर घृत के जो जिसको हम अपनी भाषा में छछेडू बोलते हैं-  उसको अलग निकाल ले और घृत बिच में हैं उसको अलग करें लस्सी से - अब एक बार फिर उस घृत को हम हांडी में डालकर दोबारा गर्म करते हैं ताकि लस्सी न रह जाये...

नाभी मे ३बूंद घी,तेल का उपाय करने के फायदे

नाभी मे ३बूंद घी,तेल  का उपाय करने के फायदे नाभी मे गायका घी ३बूंद डालकर चारो तरफ  हलके हाथ  से धुमाऐ यह करने से शरीर मे जहाँ  भी drynessहोगी वहां lubrication होगा शरीर की नस मे  कोइ भी नस चाहे वो eyes के तरफ जानेवाली  ,कान के तरफ जानेवाली ,जबडों के तरफ जानेवाली ,pancreas,brain,liver के तरफ जानेवाली  नस मे dryness हो तो ३बूंद गाय का घी  नाभी मे डालकर मसाज करने से फायदा  होगा होठ,ऐडी,चहेरे पर चमक लाने के लीऐ घी या नारीयेल तेल  का ३बूंद से नाभी की चारोतरफ मालिश करे सांधो मे dryness के लीऐ ऐरंड का तेल  ३बूंद डालकर मालीश करे घूटनो मे dryness के लीऐ तील का तेल ३बूंद डालकर मालिश करे ठंडा  शरीर हो जाय  तब सरसो का तेल ३बूंद का इस्तेमाल  करे कइबार eyes मे dryness आनेपर eye drops डालने पडते है पर यह ३बूंद तेल  या घी बहुत जल्दी  असर देगी कफ जम जाता है तब छाती पर साबुत नमक या बारीक नमक गरम करके लगाने से  जमा हुआ कफ की तकलीफ  से राहत मीलती है

जुकाम से बचाव के घरेलू इलाज़

जुकाम से बचाव के घरेलू इलाज़ जुकाम नाम सिर्फ तीन अक्षरों का है पर इसकी व्याधि बहुत खतरनाक होती है। दूषित और धूल भरे वातावरण, विषाक्त धुआं, मिलावटी खाद्य पदार्थों का सेवन, किसी प्रकार से संक्रमण, अतिशीत का प्रभाव, तेज ठंडी हवा, अति शीतल वातावरण, शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति में कमी होना, शरीर के रक्त में कफ अथवा अम्लीय खाद्य पदार्थों की मात्रा बढ़ जाना आदि कारणों से सर्दी-जुकाम नामक व्याधि उत्पन्न होती है। यह व्याधि वैसे किसी भी मौसम में हो सकती है पर शीतलकाल में विशेष रूप से होती है। कारण कोई भी हो पर जुकाम तो जुकाम ही है। लक्षण : सर्दी-जुकाम होते ही बड़ी आंत में कब्ज रहने लगता है, जिससे भूख कम हो जाती है, जुकाम के ही कारण सिरदर्द, कमर दर्द, मुंह का स्वाद खराब होना, नाक में जलन होना, नाक भरी रहना या नाक से पानी टपकना, मुंह का स्वाद खराब होना, बेचैनी, कमजोरी होना, तेज छींक आना, गले में खराश और दर्द होना, पहले हरारत होना व फिर हल्का बुखार होना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। उपाय : रोग के लक्षण प्रकट होते ही आप निम्न घरेलू उपाय अपना सकते हैं :- शहद और अदरक का रस एक-एक चम्मच मिलाकर सुब...

नाक बंद रहने के घरेलू इलाज

नाक बंद रहने के घरेलू इलाज यदि आपको अकसर नाक बंद रहने की समस्‍या रहती है तो कोशिश करें कि गुनगुने पानी से स्‍नान करें। गुनगुने पानी से स्‍नान करने से आपको बंद नाक में आराम मिलेगा। इस तरह की समस्‍या में प्‍याज भी फायदेमंद होती है, कच्‍ची प्‍याज खाने से बंद नाक खुल जाती है। यदि आप चटपटा खाने के शौकीन है तो यह आपके लिए बंद नाक में बहुत ही फायदेमंद साबित होगा। चटपटी चीजें नाक बंद होने पर आपकी नाक को खोल देती हैं। घर पर गरम- गरम टमाटर जूस बनाकर पीने से भी बंद नाक में राहत मिलेगी। टमाटर जूस में लहसुन, नींबू रस और नमक मिलाकर पिएं, आराम मिलेगा नाक बंद रहने की समस्‍या कई बार जुखाम या एलर्जी होने पर भी हो जाती है। ज्‍यादा लंबे समय तक नाक बंद रहने से आपके लिए समस्‍या भी पैदा हो सकती है। इसलिए जब कभी भी आपके साथ ऐसा हो तो घरेलू उपचार के जरिए इसे सही करने की कोशिश करें। नाक खोलने के लिए आप गर्म चाय ट्राई कर सकते हैं। ज्‍यादा मात्रा में गर्म चाय पीने से आपकी बंद नाक को राहत मिलेगी। यदि आप ग्रीन टी, पिपरमिंट या फिर अदरक की चाय पीते हैं तो यह और ज्‍यादा फायदेमंद होगी। यदि इससे आपको राहत नहीं मिल ...

बहरेपन का घरेलू इलाज़

बहरेपन का घरेलू इलाज़ मालूम हो कि कान शरीर का बेहद संवेदनशील अंग है। इसलिए इसके साथ छेड़छाड़ व्यक्ति के लिए और गंभीर परेशानियां खड़ी कर देती हैं। कान का परदा बहुत नाजुक होता है, और इसके साथ ज्यादा लापरवाही बहरेपन का कारण बन सकती है। इसलिए इस ठंड में जररूरत है आपको कान के प्रति ज्यादा सजग रहने की। कुछ साधारण बातों को ध्यान में रखकर आप सही वक्त पर सही इलाज करवा सकते हैं। अगर कान के परदे का छिद्र बड़ा हो, कभी-कभी कान से खून बहता होकान में खुजली होती हो, दर्द होता हो कान की समस्या के चलते चक्कर आते हों, या कान में कुछ आवाजें आती हों, तो तुरंत चिकित्सक के पास जाएं और चिकित्सक द्वारा बताई गई उपचार पद्धति अपनाएं। खून और मूत्र की जांच समेत कान का ऑडियोग्राम कराना चाहिए। ऑडियोग्राम कान की सुनने की शक्ति की पहचान करनेवाली एक वैज्ञानिक पद्धति है। इससे कान की स्थिति की समस्त जानकारी हो जाती है। बहरे हो जाएंगे और पता भी नहीं चलेगा यूं तो कान से जुड़ी बीमारी का उम्र से कोई विशेष संबंध नहीं है, क्योंकि यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। फिर भी 50 वर्ष की उम्र से अधिक व्यक्तियों में का...

कान की मैल से जुड़े तथ्य

कान की मैल से जुड़े तथ्य 1. इस मैल के कारण : कानों के अंदर खुजली नहीं हो पाती है। इसलिए कहा जा सकता है कि कान की मैल का एक व्यवहारिक पक्ष यह भी है कि इससे कानों में चिकनाई बनी रहती है और इस कारण से कान के अंदर के हिस्सों में खुजली नहीं होने पाती है। 2. यह कानों को स्वच्छ भी रखती है: इस मैल के निर्माण का कारण चिकनाई पैदा करने वाले स्राव, त्वचा के मरी हुई कोशिकाएं, गंदगी और धूल का सम्मिश्रण है। जब यह सब आपके कान के अंदरूनी हिस्सों में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं तो इन्हें कान के बाहरी हिस्से में ही रोक दिया जाता है। भले ही आप इस पर विश्वास करें या नहीं, तथ्य यह है कि यह अपने आप ही खुद को साफ कर लेती है। आपके निचले जबड़े में कोई भी गतिविधि, चाहे आप बात कर रहे हों या चबा रहे हों तो यह क्रिया मैल को ऊपर की ओर धकेलती है। इसके लिए आपको कॉटन के फाहे की जरूरत नहीं होती है। वास्तव में कान की मैल साफ करने की कोशिश अच्छी होने की बजाय बुरी साबित होती है। अगर मैल को निकालने के दौरान कान की नली में और गहरे धकेल दिया जाता है तो यह नुकसानदेह होती है। इसलिए ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि आप...

गले के दर्द में हल्दी का इस्तेमाल करे घरेलू इलाज़

अनगिनत औषधी के गुणों वाला हल्दी हर भारतीय घर में मसाले के रूप में पाई जाती है। इसमें विटामिन, मिनरल, डाइटरी फाइबर और प्रोटीन होता है, जो हल्दी को एंटी-इंफ्लेमेटॉरी (प्रज्वलनरोधी), एन्टी- ऑक्सीडेंट , कफ निस्सारक, एन्टी-फंगल(फंगसरोधी) , एन्टीसेप्टिक (रोगाणुरोधक), और कैंसर विरोधी घटक बनाता है-जिसके कारण यह गले के दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है। हल्दी कच्ची हो या पकी, दोनों ही रूपों में यह लाभदायक होती है। इसके अलावा हल्दी के जड़ों में भी कई तरह के एसेंशियल ऑइल होते हैं, जो उपचार करने में सक्षम होते हैं। हल्दी गले के दर्द में सूजन को कम करके जलन, खुजली, दर्द आदि से राहत दिलाने में मदद करती है गरारा/कुल्ला: इस पद्धति से गले के सतह पर हल्दी का एक स्तर जम जाता है जो जीवाणु को मिटाने में मदद करता है। इन्हीं जीवाणुओं के कारण गले में दर्द होता है। नियमित रूप से गरारा करने पर गले का दर्द भी धीरे-धीरे ठीक होने लगता है। इस उपचार के लिए आधा कप गुनगुना गर्म पानी लें उसमें आधा चम्मच नमक और एक चौथाई चम्मच हल्दी पावडर डालें। इस मिश्रण से सुबह पहले गरारा करें। गरारा करने के बाद आधा घंटे तक कुछ ...

कफ से मुक्ति पाने के घरेलू इलाज़

उबलते पानी के टब से या गर्म पानी के फव्वारे से भाप लें जिसे गले की कफ ढीली हो जाये और अवरुद्ध साइनस भी खुल जाये।प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास पानी पियें जिसे कफ ढीली हो जाये - साथ ही यह प्रक्रिया आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिये भी लाभदायक है।अपने नाक को निरन्तर साफ करें जिससे कि कफ गले में न उतरे।गुनगुने पानी और नमक का नियमित कुल्ला करें।जकड़न से आराम पाने और कफ को ढीला करने के लिये वेपोराइज़र में यूकेलिप्टस तेल की कुछ बूँदे डालें।डेयरी उत्पादों, माँस या तले-भुने व्यञ्जनों को खाने से बचें जिन्हें श्लेष्म उत्पादन के लिये जाना जाता है।हर्बल चाय या चिकन शोरबा जैसे गरम पेयों को लें जो श्वास मार्गों को नम कर श्लेष्म को तोड़ते हैं।आधे गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर पियें - हल्दी में रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता होती है।शहद और नींबू का प्रयोग करें। एक कप गुनगुने पानी में लगभग दो चम्मच नींबू रस और एक चम्मच शहद मिलायें। इससे आपका गला साफ होगा क्योंकि नींबू श्लेष्म को काटता है और शहद गले को आराम देता है।घर में साफ-सफाई, पेन्ट के धूम, रसायनों या सिगरेट के धुयें जैसी उत्तेजकों से दूर रहें।जकड़न स...

कान से पानी बाहर निकालने के घरेलू इलाज़

कान से पानी बाहर निकालने के घरेलू इलाज़ पहला उपाय अपने सिर को इस प्रकार मोडि़ये कि आपके कान जमीन के समांतर हो जाएं। अपनी हथेली से कुछ सेकेण्ड के लिए कान पर दबाव डालिये और फिर एक झटके में हाथ हटा लीजिये। इससे एक अस्थायी निर्वात यानी वैक्यूम पैदा होता है, जिससे पानी बाहर निकलने में मदद मिलती है। इसके बाद आप कॉटन बड से अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल सकते हैं। दूसरा उपाय अपना मुंह बंद रखें और नाक को उंगली से पकड़ लें। गहरी सांस लें और फिर धीरे से नाक से सांस बाहर छोड़ें। यह हवा के दबाव को नियंत्रित करती है और  यूस्टकी ट्यूब को खोल देती है। इससे कान में होने वाली झुनझुनाहट से आराम मिलता है। तीसरा उपाय आप कान में जमा पानी को बाहर निकालने के लिए ड्रायर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ब्लो ड्रायर को कान से करीब एक फुट की दूरी पर रखें। हीट और ब्लो को सबसे निचले स्तर पर रखें। अब इसे खोलकर कान में हवा ब्लो करें। कुछ सेकेण्ड तक ऐसा करें। अगर जरूरत महसूस हो, तो ही इस प्रक्रिया को दोहरायें। चौथा उपाय एक चौथाई कप नमक को माइक्रोवेव में गरम करें। इस नमक को सूती कपड़े पर डालें। कपड़े को कस...

गले में खराश के लिए घरेलू इलाज़

गले में खराश के लिए घरेलू इलाज़ गुनगुने पानी में नमक मिला कर दिन में दो-तीन बार गरारे करें। गरारे करने के तुरन्त बाद कुछ ठंडा न लें। गर्म चाय या गुनगुना पानी पिएं जिससे गले को आराम मिलेगा।कच्चा सुहागा आधा ग्राम मुंह में रखें और उसका रस चुसते रहें। दो तीन घण्टों मे ही गला बिलकुल साफ हो जाएगा।सोते समय एक ग्राम मुलहठी की छोटी सी गांठ मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर मुंह में रखकर सो जाए। सुबह तक गला साफ हो जायेगा। मुलहठी चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर लिया जाय तो और भी अच्छा रहेगा। इससे सुबह गला खुलने के साथ-साथ गले का दर्द और सूजन भी दूर होती है।रात को सोते समय सात काली मिर्च और उतने ही बताशे चबाकर सो जायें। बताशे न मिलें तो काली मिर्च व मिश्री मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसते रहने से बैठा गला खुल जाता है।जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या जुकाम में एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है, वह सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पांच मुनक्का के दानों को खूब चबाकर खा लें, लेकिन ऊपर से पानी ना पिएं। दस दिनों तक लगातार ऐसा करने से लाभ होगा।1 कप पानी में 4-5 कालीमिर्च एवं तुलसी की थोंडी...

आइए जानें कैंसे भरपेट भोजन करके वजन घटाया जा सकता है

 लोग वजन घटाने के लिए क्या-क्या नहीं करते। कुछ लोग जिम ज्वाइन करते हैं, कुछ डायटिंग करना शुरू करते हैं तो कुछ दवाईयां लेते हैं। लेकिन फिर भी वजन घटाने में असमर्थ रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं यदि आप सचमुच अपना वजन कम करना चाहते हैं तो आपको इसमें से कुछ नहीं करना होगा बल्कि इसके बजाय आपको पारंपरिक आहार लेना होगा यानी वजन कम करने के लिए आपको भोजन भरपेट खाना होगा। आइए जानें कैंसे भरपेट भोजन करके वजन घटाया जा सकता है। वजन घटाने के तरीके - 1. वजन घटाने के लिए जरूरी नहीं कि आप डायटिंग करें या फिर हमेशा वजन कम करने के लिए तनाव में रहें बल्कि आपको अपना वजन घटाने के लिए संतुलित डाइट लेनी चाहिए। 2. यदि आप सचमुच सही तरीके से अपना वजन कम करना चाहते हैं तो आपको सुबह-दोपहर और शाम के खाने के बीच बहुत ज्यादा अंतराल नहीं रखना चाहिए बल्कि आपको बीच-बीच में भी कुछ हेल्दी चीजें खाते रहना चाहिए जैसे- फल या सलाद। 3. अचानक से वजन घटाने के बजाय आप यह सुनिश्चित करें की आपको हर माह कम से कम एक से डेढ़ किलो वजन घटाना है। 4. ऐसा नहीं कि आप दिनभर खाते रहें बल्कि आप दिनभर शारीरिक श्रम करें और अपनी...

आंखों के नीचे काले घेरे और आंखों के नीचे की त्वचा को टाइट करने के उपाय....

आंखों के नीचे काले घेरे और आंखों के नीचे की त्वचा को टाइट करने के उपाय.... आंखो के आस पास की त्वचा बेहद नरम और मुलायम होती है। जिस वजह से बहुत ही जल्दी यहां त्वचा ढीली होने लगती है। इस बात का इंसान को तब पता चलता है जब वह हंसता है और उसके आंखों के आस पास की त्वचा में झुर्रियां दिखने लगती है। और इंसान को लगता है कि वह बूढ़ा हो रहा है। लेकिन आयुर्वेद में आंखों के नीचे और आस पास की त्वचा को टाइट करने के अनोखे हेल्थ टिप्स मौजूद हैं। जिन्हें आप इस्तेमाल कर सकते हो। खीरा आयुर्वेद में खीरे के प्रयोग के बारे में बताया गया है। यह त्वचा को टाइट करने का काम करता है। आप सुबह उठकर खीरे की मसाज चेहरे पर करें। एलोवेरा 1 चम्मच एलोवेरा के रस को सुबह-शाम दो बार चेहरे पर, नहाने के बाद और सोने से पहले लगाएं। यह आपकी त्वचा को टाईट करेगा। केला पके हुए केले को मसल लें और इसमें गुलाब जल डालें। इसे आंखों के आस पास लगाएं। और आधे घंटे के बाद गुनगुने पानी से चेहरे को धो लें आलू आलू के रस को आँखों के नीचे हलके हाथ से मसाज करने से काले घेरे दूर होते हैं। एैसे बनाएं प्राकृतिक पेस्ट 1 चम्मच बेसन, 1 च...

धूम्रपान से मुंह की बीमारियों का खतरा क्यों!

सिगरेट पीने से न सिर्फ कुछ जीवाणु मुंह में जमा हो जाते हैं, बल्कि वे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र पर भी हावी हो जाते हैं, जिसके कारण मुंह संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। एक नए शोध से यह जानकारी मिली है। ये जीवाणु दांत, हृदय वॉल्व और धमनियों में बायोफिल्म्स का निर्माण करते हैं। बॉयोफिल्म कई सारी सूक्ष्म जीवाणुओं से मिलकर बनी जटिल संरचना होती है। शोधकर्ताओं में से एक अमेरिका के युनिवर्सिटी ऑफ लूईसविले स्कूल ऑफ डेंटिस्ट्री के डेविड स्कॉट ने कहा, ‘‘एक बार ये रोगाणु अपने आप को बॉयोफिल्म में तब्दील कर लेते हैं। फिर इसका उन्मूलन काफी कठिन हो जाता है, क्योंकि यह मेजबान के प्रतिरक्षा तंत्र के खिलाफ अवरोध उत्पन्न कर देता है। यहां तक कि इनपर एंटीबायोटिक दवाओं का भी असर नहीं होता है और लगातार संक्रमण में मदद करने लगता है।’’ स्कॉट ने कहा, ‘‘इसके अलावा बॉयोफिल्म जीवाणुओं के समुदाय के बीच अनुवांशिक सामग्रियों का भी आदान-प्रदान करते हैं, जिसके कारण इनकी एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है और संक्रमण को काफी अधिक बढ़ावा मिलने लगता है।’’शोधकर्ताओं का कहना है कि जीवाणुओं से बना यह बॉयोफि...

अब पैरों से पता करें अपनी बीमारी

अब पैरों से पता करें अपनी बीमारी आज साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है, लेकिन क्यों आज भी आयुर्वेदिक चीज़ों से बीमारियों का पता लगाया जाता है, क्योंकि पहले के जमाने में न कोई एक्सरे मशीन न एलर्जी चेक करने का कोई कोई उपकरण। लेकिन तब बीमारी के लक्षण देखकर बीमारी का पता लगा लिया जाता था, ठीक वैसे आज हम आपको बताने जा रहे है कि पैर देखकर कैसे आप अपने बीमारियों का पता लगा सकते है। अगर गर्मियों में आपके पैर सूखे रहते तो तो ये किसी खतरे से खाली नहीं, ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाइए, नहीं तो ये किसी बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है।अगर अक्सर आपके पैरों में दर्द रहता है या ऐठन होती है तो, इसे गम्भीरता से ले और तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।अगर आपके पैर बारह महीने ठन्डे रहते है तो आपको थाइरोइड जैसी बीमारी हो सकती है, ऐसी स्थिति तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आपका पैर में जखम है और वे भरने में समय ले रहा है तो आपको डायबिटीज का खतरा हो सकता है।

त्वचा को चमकदार बनाएं, अपनाएं कुछ आसान टिप्स

त्वचा को चमकदार बनाएं, अपनाएं कुछ आसान टिप्स जून का महीना चल रहा है, लू लपट का इस समय कोई जवाब नहीं और मान लीजिए ऐसे में किसी पार्टी में जाना पड़े तो आप मेक अप तो करने से रहे और सादे सिंपल इंसान को कोई देखता नहीं। इसलिए आज हम आपको सिंपल सुन्दर और गर्मी से बचने के कुछ ऐसे टिप्स आपको बताने जा रहे , जो आपको गर्मी से भी बचाएगा और पार्टी में सीधे साधे लुक में आप सुन्दर भी लग सकेंगे।जी हाँ आज हम आपको चेहरे को चमकदार बनाने के घरेलु उपाय बताने जा रहे है, जिसे आप आसानी से कर सकती है। दही और शहद जैसे की आप सभी जानते है कि दही और शहद को एक सोफेटिनिंग एजेंट माना जाता है, इस पेस्ट को मनाने के लिए दही और शहद लें और उसका पेस्ट बनाए, फिर इस पैक को चेहरे और गर्दन पर अच्छी तरह लगा लीजिए और अच्छे से सूखने दीजिए। सूखने के बाद इसे ठन्डे पानी से धो दें। इस पेस्ट को लगाने से आपकी त्वचा चमकदार हो जाएगी, ये पेस्ट एक मॉस्चराइज़र का काम भी करता है। हल्दी और दूध चेहरे पर चमक लाने के लिए हल्दी और दूध को सबसे अच्छा माना जाता है। अगर किसी लड़की की शादी होने वाली है तो उसके लिए ये पैक अच्छा रहेगा। इस फेसपैक क...

सावन व् भादो मास में खान पान का विशेष् ध्यान रखे क्या न खाए क्या खाएं

सावन व् भादो मास में खान पान का विशेष् ध्यान रखे। इस मौसम में जठराग्नि (पाचन शक्ति) कमजोर व् मंद हो जाती है।इसलिए वात् पित्त व् कफ रोग बढ़ जाते है।वर्षा ऋतू में जलवायु में विषाक्त कीटाणु पैदा हो जाते है।जो बीमारियां फैलाते है। क्या न खाए --- 1. दूध,दही, लस्सी न पिए। 2. हरी पते वाली सब्ज़िया न खाएं। 3. रसदार फल न खाएं। 4. बैंगन न खाएं इनमे कीड़े हो जाते है   और गैस भी बनाते है। 5. चकुंदर,खीरा, ककड़ी न खाए। 6. फ़ास्ट फूड न खाएं। 7. ज्यादा मिठाई न खाएं। 8. मास मदिरा न ले। 9.ठंडी व् बासी चीज न खाय। 10. आइस क्रीम व् कोल्ड ड्रिंक्स न पियें। क्या खाएं ---- आयुर्वेद के अनुसार इस महीने में जल्दी पचने वाले ताज़ा व् गर्म खाना चाहिए। 1. सेब,केला,अनार,नासपाती आदि मौसमी फल खाये। 2. टमाटर का सुप ले सकते है। 3. अदरक,प्याज, लहसन खाएं। 4. बेसन की चीजें व् हलवा खाये। 5. पानी उबाल कर पिए। 6. हल्दी वाला  दूध पिए। 7. देसी चाय पिए। 8. पुराना चावल, गेहूं,मक्का, सरसों,मुंग, अरहर की दाल खाएं। 9.छोटी हरड खाएं पेट साफ़ रहेगा व् पेट की बीमारियो से बचाव रहेगा।

शुगर का सबसे बढ़िया आयुर्वेदिक इलाज ।

शुगर का सबसे बढ़िया आयुर्वेदिक इलाज । भारत में 5 करोड़ 70 लाख से ज्यादा लोगों को डाइबटीज है और 3 करोड़ से ज्यादा को हो जाएगी अगले कुछ सालों में (सरकार ऐसा कह रही है ) , हर 2 मिनट में एक आदमी डाइबटीज से मर जाता हैं ! और complications बहुत है ! किसी की किडनी खराब हो रही है ,किसी का लीवर खराब हो रहा है , किसी को paralisis हो रहा है किसी को brain stroke हो रहा है ,किसी को heart attack आ रहा है ! कुल मिलकर complications बहुत है diabetes के !! मधुमेह या चीनी की बीमारी एक खतरनाक रोग है। रक्त ग्लूकोज (blood sugar level ) स्तर बढा़ हूँआ मिलता है, यह रोग मरीजों के (रक्त मे गंदा कोलेस्ट्रॉल,) के अवयव के बढने के कारण होता है। इन मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है। भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईंधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शर्करा होती है। ग्लूकोज हमारे रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है। pancreas (अग्न्याशय) ग्लूकोज उत्पन्न करता है इनसुलिन भी रक्तधारा...

थायरायड/पैराथायरायड ग्रंथियां

थायरायड/पैराथायरायड ग्रंथियां थायरायड ग्रंथि गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनो तरफ दो भागो में बनी होती है | एक स्वस्थ्य मनुष्य में थायरायड ग्रंथि का भार 25 से 50 ग्राम तक होता है | यह 'थाइराक्सिन' नामक हार्मोन का उत्पादन करती है | पैराथायरायड ग्रंथियां, थायरायड ग्रंथि के ऊपर एवं मध्य भाग की ओर एक-एक जोड़े [ कुल चार ] में होती हैं | यह "पैराथारमोन" हार्मोन का उत्पादन करती हैं | इन ग्रंथियों के प्रमुख रूप से निम्न कार्य हैं- थायरायड ग्रंथि के कार्य थायरायड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालता है | थायरायड ग्रंथि के प्रमुख कार्यों में - • बालक के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान है | • यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में उत्प्रेरक का कार्य करती है | • शरीर के ताप नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका है | • शरीर का विजातीय द्रव्य [ विष ] को बाहर निकालने में सहायता करती है | थायरायड के हार्मोन असंतुलित होने से निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं – अल्प स्राव [HYPO THYRODISM]...

आयुर्वेद के अनुसार पानी पीते समय जरूर ध्यान रखनी चाहिए ये बातें

आयुर्वेद के अनुसार पानी पीते समय जरूर ध्यान रखनी चाहिए ये बातें पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कहते हैं शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिनभर में कम से कम आठ से दस गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। पानी पीना फायदेमंद तो होता ही है, लेकिन तब जब सही मात्रा में और सही तरीके से पिया जाए। अगर पानी को गलत तरीके से पिया जाए या गलत समय में अधिक मात्रा में पिया जाए तो वह शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसा आयुर्वेद में वर्णित है। आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान माना जाता है,भोजन से लेकर जीवनशैली तक की चर्चाएं इस शास्त्र में समाहित हैं। आज हम आयुर्वेदिक ग्रन्थ अष्टांग संग्रह (वाग्भट्ट) में बताए गए पानी पीने के कुछ कायदों से आपको रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। चलिए जानते हैं पानी कब, कैसे और कितना पीना चाहिए…… 1. *भक्तस्यादौ जलं पीतमग्निसादं कृशा अङ्गताम!!*                    खाना खाने से पहले यदि पानी पिया जाए तो यह जल अग्निमांद (पाचन क्रिया का मंद हो जाना) यानी डायजेशन में दिक्कत पैदा करता है। 2. *अन्ते करोति स्थूल्त्वमूध्र्वएचा...

महिलाओं के स्तनों में दूध की कमी के कारण

आज के युग में बात करे आहार  की तो आज हम जहर खा रहे है  जिससे हर मर्द व् स्त्री को किसी न किसी बीमारी से घेर रखा है आज हम बात करेंगे स्त्री के रोग के बारे वेसे तो न जाने स्त्रियों में बहुत से रोग होते हुए भी अपने पति या किसी अन्य परिवार के सदस्य से कहते हुए डरती है या रोग को क्यों छुपाये रखना कहती है।। आज 57%महिलाओं के स्तनों में  दूध की कमी होती है। इसका मुख्य  कारण हमारा अनुचित आहार और दिनचर्या है  शरीर में हार्मोन्स का बिगड़ना स्वेत प्रदर या रक्त प्रदर जैसे भयंकर रोग जो स्त्री को धीरे धीरे अंदर से खोखला बना देते है। अनुचित समय पर खाना पीना पौष्टिक आहार न मिलना   तली चीजे व् मार्किट में बने फ़ास्ट फ़ूड इत्यादि का सेवन करना। खून व् अन्य मिनरल्स की शरीर में कमी होना इत्यादि कारण है । अपने घर में स्वयं आप अपनी समस्या का समाधान कर सकते है  सफेद जीरा          -60ग्राम शतावर                -60ग्राम सौंफ                ...

बाल (बच्चों) रोग का उपचार

बाल (बच्चों) रोग का उपचार ➖➖➖➖➖➖➖➖ ⚫छोटे बच्चों को उलटी, दस्त, बुखार, निमोनिया, सर्दी लगना, कमजोरी का उपचार ➖त्रिकटु चूर्ण       10 ग्राम ➖सितोपलादि      20 ग्राम ➖संजीवनी वटी    10 ग्राम ➖अभ्रक भष्म        5 ग्राम ➖गोदंती भष्म        5 ग्राम ➖प्रवाल पिष्टी        5 ग्राम ➖कुमार कल्याण रस  1 ग्राम ⚫सभी को मिला कर रख लें 6 महीने तक के बच्चे को चौथाई ग्राम(एक चुटकी) 6 महीने से 12 महीने के बच्चे को आधा ग्राम दवा माँ के दूध में या शहद में मिला कर सुबह शाम दें। बच्चा स्वस्थ रहेगा।

स्त्री रसायन वटी

मासिक में अधिक ब्लीडिंग ➖➖➖➖➖➖➖➖ ➖प्रवाल पिष्टी             10 ग्राम ➖कहरवा पिष्टी            10 ग्राम ➖गिलोय सत्              20 ग्राम ➖मुक्ता पिष्टी                4 ग्राम ⚫मिला कर 60 खुराक बनायें, 1-1 खुराक सुबह शाम शहद या पानी से लें। ⚫स्त्री रसायन वटी   1 -1 गोली सुबह शाम लें। ⚫अशोकारिष्ट  4 चम्मच दवा को आधा कप पानी मिला कर सुबह-शाम पियें। पुराना थाइराइड या घेंघा रोग ➖➖➖➖➖➖➖➖ ➖त्रिकटु चूर्ण        50 ग्राम ➖बहेड़ा चूर्ण        20 ग्राम ➖प्रवाल पिष्टी      10 ग्राम ➖गोदंती भष्म     10 ग्राम ➖मुक्ता पिष्टी       4 ग्राम ➖शिला सिंदूर      2 ग्राम ➖ताम्र भष्म        1 ग्राम सभी को मिला कर 60 पुड़िया बनायें, 1 -1 पुड़िया शहद के साथ सुबह शाम लें। ⚫कांचनार गुग्गल वृद्धि वधिका...

खून व् अन्य मिनरल्स की शरीर में कमी, घर में स्वयं आप अपनी समस्या का समाधान कर सकते है

आज के युग में बात करे आहार  की तो आज हम जहर खा रहे है  जिससे हर मर्द व् स्त्री को किसी न किसी बीमारी से घेर रखा है आज हम बात करेंगे स्त्री के रोग के बारे वेसे तो न जाने स्त्रियों में बहुत से रोग होते हुए भी अपने पति या किसी अन्य परिवार के सदस्य से कहते हुए डरती है या रोग को क्यों छुपाये रखना कहती है।।माफ़ करना बहनो। आज 57%महिलाओं के स्तनों में  दूध की कमी होती है। इसका मुख्य  कारण हमारा अनुचित आहार और दिनचर्या है  शरीर में हार्मोन्स का बिगड़ना स्वेत प्रदर या रक्त प्रदर जैसे भयंकर रोग जो स्त्री को धीरे धीरे अंदर से खोखला बना देते है। अनुचित समय पर खाना पीना पौष्टिक आहार न मिलना   तली चीजे व् मार्किट में बने फ़ास्ट फ़ूड इत्यादि का सेवन करना। खून व् अन्य मिनरल्स की शरीर में कमी होना इत्यादि कारण है । अपने घर में स्वयं आप अपनी समस्या का समाधान कर सकते है  सफेद जीरा          -60ग्राम शतावर                -60ग्राम सौंफ             ...

नहाने का वैज्ञानिक तरीका

*अपने स्वस्थ एवं सुरक्षित जीवन के लिये इस पोस्ट को अवश्य पढे और पढ़ायें.* *क्या आपने कभी अपने आस पास ध्यान से देखा या सुना है कि नहाते समय बुजुर्ग को लकवा लग गया?* *दिमाग की नस फट गई ( ब्रेन हेमरेज), हार्ट अटैक आ गया |* *छोटे बच्चे को नहलाते समय वो बहुत कांपता रहता है, डरता है और माता समझती है की नहाने से डर रहा है,* *लेकिन ऐसा नहीँ है; असल मे ये सब गलत तरीके से नहाने से होता है ।* *दरअसल हमारे शरीर में गुप्त विद्युत् शक्ति रुधिर (खून) के निरंतर प्रवाह के कारण पैदा होते रहती है, जिसकी स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक दिशा ऊपर से आरम्भ होकर नीचे पैरो की तरफ आती है।* *सर में बहुत महीन रक्त् नालिकाये होती है जो दिमाग को रक्त पहुँचाती है।* *यदि कोई व्यक्ति निरंतर सीधे सर में ठंडा पानी डालकर नहाता है तो ये नलिकाएं सिकुड़ने या रक्त के थक्के जमने लग जाते हैं* *और जब शरीर इनको सहन नहीं कर पाता तो ऊपर लिखी घटनाएं वर्षो बीतने के बाद बुजुर्गो के साथ होती है।* *सर पर सीधे पानी डालने से हमारा सर ठंडा होने लगता है, जिससे हृदय को सिर की तरफ ज्यादा तेजी से रक्त भेजना पड़ता है, जिससे या तो...

सेंधा नमक : भारत से कैसे गायब कर दिया गया

सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है सेंधा नमक :- आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं !! एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock slat) !! सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है !! पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है ! जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है !! वहाँ से ये नमक आता है ! मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले ! काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे !! क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है !! और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता !! आयोडीन के नाम पर हम जो नमक खाते हैं उसमें कोर्इ तत्व नह...

मिरगी

रोगी को अचानक बेहोशी आ जाती है। उसके हाथ-पैर कांपते हैं। मुंह से झाग आते हैं। शरीर में कड़ापन आ जाता है और मस्तिष्क में संतुलन का अभाव हो जाता है। 🔹अकरकरा 100 ग्राम, पुराना सिरका 100 ग्राम शहद। पहले अकरकरा को सिरके में खूब घोंटे बाद में शहद मिला दें। 5 ग्राम दवा प्रतिदिन प्रात: काल चटावें। मिरगी का रोग दूर होगा। 🔹बच का चूर्ण एक ग्राम प्रतिदिन शहद के साथ चटावें। ऊपर से दूध पिलायें। बहुत पुरानी और घोर मिरगी भी दूर हो जाती है। 🔹बेहोश रोगी को लहसुन कूटकर सुंघाने से होश आ जाता है। 🔹प्रतिदिन 3-5 काली लहसुन दूध में उबालकर पिलाने से मिरगी दूर हो जाती है। किसी भी परिस्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर ले

*चीनी एक जहर है जो अनेक रोगों का कारण है*

जानिये कैसे... (1)-- चीनी बनाने की प्रक्रिया में गंधक का सबसे अधिक प्रयोग होता है । गंधक माने पटाखों का मसाला (2)-- गंधक अत्यंत कठोर धातु है जो शरीर मेँ चला तो जाता है परंतु बाहर नहीँ निकलता । (3)-- चीनी कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाती है जिसके कारण हृदयघात या हार्ट अटैक आता है । (4)-- चीनी शरीर के वजन को अनियन्त्रित कर देती है जिसके कारण मोटापा होता है । (5)-- चीनी रक्तचाप या ब्लड प्रैशर को बढ़ाती है । (6)-- चीनी ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण है । (7)-- चीनी की मिठास को आधुनिक चिकित्सा मेँ सूक्रोज़ कहते हैँ जो इंसान और जानवर दोनो पचा नहीँ पाते । (8)-- चीनी बनाने की प्रक्रिया मेँ तेइस हानिकारक रसायनोँ का प्रयोग किया जाता है । (9)-- चीनी डाइबिटीज़ का एक प्रमुख कारण है । (10)-- चीनी पेट की जलन का एक प्रमुख कारण है । (11)-- चीनी शरीर मे ट्राइ ग्लिसराइड को बढ़ाती है । (12)-- चीनी पेरेलिसिस अटैक या लकवा होने का एक प्रमुख कारण है। (13) चीनी बनाने की सबसे पहली मिल अंग्रेजो ने 1868 मेँ लगाई थी ।उसके पहले भारतवासी शुद्ध देशी गुड़ खाते थे और कभी बीमार नहीँ पड़ते थे । (14) कृपया जि...

अशोक की छाल

धरती पर मौजूद हर पेड़-पौधे में कोई न कोई गुण होता है। विशेषकर सजावट के काम में आने वाले पेड़-पौधों में भी कुछ ऐसे गुण होते हैं, जिनका उपयोग दवा निर्माण या किसी परेशानी से मुक्ति के लिए किया जा सकता है। अशोक के वृक्ष में ज्योतिषीय गुण भी होते हैं। तांत्रिक रूप से अशोक आवास की उत्तर दिशा में लगाना विशेष मंगलकारी माना जाता है तथा अशोक के पत्ते घर में रखने से शांति रहती है। अशोक के पेड़ को पवित्र माना जाता है। शोक-दु:ख को दूर करने के कारण ही संभवत: इसे अशोक नाम की उपमा दी गई है। भगवान राम ने खुद ही इसे शोक दूर करने वाले पेड़ की उपमा दी थी। कामदेव के पंच पुष्प बाणों में एक अशोक भी है। अशोक को बंगला में अस्पाल, मराठी में अशोक, गुजराती में आसोपालव तथा देशी पीला फूलनों, सिंहली में होगाश तथा लैटिन में जोनेशिया अशोका (Jonasia Ashoka) अथवा सराका-इंडिका (Saraca Indica ) कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिस पेड़ के नीचे बैठने से शोक नहीं होता, उसे अशोक कहते हैं, अर्थात् जो स्त्रियों के सारे शोकों को दूर करने की शक्ति रखता है, वही अशोक है। ऐसा माना जाता है कि अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को...

थायरायड की प्राकृतिक चिकित्सा :-

थायरायड/पैराथायरायड ग्रंथियां थायरायड ग्रंथि गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनो तरफ दो भागो में बनी होती है | एक स्वस्थ्य मनुष्य में थायरायड ग्रंथि का भार 25 से 50 ग्राम तक होता है | यह 'थाइराक्सिन' नामक हार्मोन का उत्पादन करती है | पैराथायरायड ग्रंथियां, थायरायड ग्रंथि के ऊपर एवं मध्य भाग की ओर एक-एक जोड़े [ कुल चार ] में होती हैं | यह "पैराथारमोन" हार्मोन का उत्पादन करती हैं | इन ग्रंथियों के प्रमुख रूप से निम्न कार्य हैं- थायरायड ग्रंथि के कार्य थायरायड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालता है | थायरायड ग्रंथि के प्रमुख कार्यों में - • बालक के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान है | • यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में उत्प्रेरक का कार्य करती है | • शरीर के ताप नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका है | • शरीर का विजातीय द्रव्य [ विष ] को बाहर निकालने में सहायता करती है | थायरायड के हार्मोन असंतुलित होने से निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं – अल्प स्राव [HYPO THYRODISM]...

आयुर्वेद के अनुसार पानी पीते समय जरूर ध्यान रखनी चाहिए ये बातें...

आयुर्वेद के अनुसार पानी पीते समय जरूर ध्यान रखनी चाहिए ये बातें..... पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कहते हैं शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिनभर में कम से कम आठ से दस गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। पानी पीना फायदेमंद तो होता ही है, लेकिन तब जब सही मात्रा में और सही तरीके से पिया जाए। अगर पानी को गलत तरीके से पिया जाए या गलत समय में अधिक मात्रा में पिया जाए तो वह शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसा आयुर्वेद में वर्णित है। आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान माना जाता है,भोजन से लेकर जीवनशैली तक की चर्चाएं इस शास्त्र में समाहित हैं। आज हम आयुर्वेदिक ग्रन्थ अष्टांग संग्रह (वाग्भट्ट) में बताए गए पानी पीने के कुछ कायदों से आपको रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। चलिए जानते हैं पानी कब, कैसे और कितना पीना चाहिए…… 1. *भक्तस्यादौ जलं पीतमग्निसादं कृशा अङ्गताम!!*                    खाना खाने से पहले यदि पानी पिया जाए तो यह जल अग्निमांद (पाचन क्रिया का मंद हो जाना) यानी डायजेशन में दिक्कत पैदा करता है। 2. *अन्ते करोति स्थूल्त्वमूध्र...

बातें बिल्व वृक्ष की----

बातें बिल्व वृक्ष की---- ⚡1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते । ⚡2. अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है । ⚡3. वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है । ⚡4. चार पांच छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है । ⚡5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है। और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है। ⚡6. सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है। ⚡7. बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते है। ⚡8. बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। ⚡9. बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे । ⚡10. जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते है । ⚡11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है। कृपया बिल्व पत्र का पे...

*कुत्‍ता काटने पर-* *ततैया काटने पर-*

*कुत्‍ता काटने पर-* १) जंगली चौलाई की जड़ १२५ ग्राम लेकर पीस लें और पानी के साथ बार बार रोगी को पिलाएं। इससे कुत्‍ते के काटने से पागल हुए रोगी को बचाया जा सकता है। २) प्‍याज का रस और शहद मिलाकर पागल कुत्‍ते के काटने से हुए घाव पर लगाने से जहर उतरता है। ३) लाल मिर्च पीसकर तुरंत घाव में भर दें। इससे कुत्‍ते का जहर जल जाता है और घाव भी जल्‍दी ठीक हो जाता है। ४) हींग को पानी में पीस कर लगाने से पागल कुत्‍ते के काटने से हुए घाव का जहर उतर जाता है। *ततैया काटने पर-* * ततैया या बर्रे ने काटा हो तो उस स्‍थान पर खटटा अचार या खटाई मल दें। जलन खत्‍म हो जाएगी। * काटे हुए स्‍थान पर फौरन मिटटी का तेल लगाएं। जलन शांत हो जाएगी।  * ततैया के काटने पर उस स्‍थान पर नींबू का रस लगाएं। सूजन और दर्द चला जाएगा।  * *मधुमक्‍खी के डंक* पर सोआ और सेंधा नमक को चटनी बनाकर लेप करने से दर्द दूर हो जाता है। * *मकड़ी के काटने* पर अमचुर को पानी में मिलाकर घाव पर लगाएं। आराम मिलेगा। * *कनखजूरे के काटने* पर प्‍याज और लहसुन पीसकर लगाने से उसका जहर उतर जाता है।  * *छिपकली के काटने* पर सरसो...