मिरगी
रोगी को अचानक बेहोशी आ जाती है। उसके हाथ-पैर कांपते हैं। मुंह से झाग आते हैं। शरीर में कड़ापन आ जाता है और मस्तिष्क में संतुलन का अभाव हो जाता है।
🔹अकरकरा 100 ग्राम, पुराना सिरका 100 ग्राम शहद। पहले अकरकरा को सिरके में खूब घोंटे बाद में शहद मिला दें। 5 ग्राम दवा प्रतिदिन प्रात: काल चटावें। मिरगी का रोग दूर होगा।
🔹बच का चूर्ण एक ग्राम प्रतिदिन शहद के साथ चटावें। ऊपर से दूध पिलायें। बहुत पुरानी और घोर मिरगी भी दूर हो जाती है।
🔹बेहोश रोगी को लहसुन कूटकर सुंघाने से होश आ जाता है।
🔹प्रतिदिन 3-5 काली लहसुन दूध में उबालकर पिलाने से मिरगी दूर हो जाती है।
किसी भी परिस्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर ले
🔹अकरकरा 100 ग्राम, पुराना सिरका 100 ग्राम शहद। पहले अकरकरा को सिरके में खूब घोंटे बाद में शहद मिला दें। 5 ग्राम दवा प्रतिदिन प्रात: काल चटावें। मिरगी का रोग दूर होगा।
🔹बच का चूर्ण एक ग्राम प्रतिदिन शहद के साथ चटावें। ऊपर से दूध पिलायें। बहुत पुरानी और घोर मिरगी भी दूर हो जाती है।
🔹बेहोश रोगी को लहसुन कूटकर सुंघाने से होश आ जाता है।
🔹प्रतिदिन 3-5 काली लहसुन दूध में उबालकर पिलाने से मिरगी दूर हो जाती है।
किसी भी परिस्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर ले
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