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यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन से कैसे बचा जाए

यूरीनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन यानी मूत्र मार्ग में संक्रमण महिलाओं को होने वाली बीमारी है, इसे यूटीआई नाम से भी जाना जाता है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 40 प्रतिशत महिलाएं जीवन में कभी न कभी यूटीआई से ग्रसित होती हैं। मूत्र मार्ग संक्रमण जीवाणु जन्य संक्रमण है जिसमें मूत्र मार्ग का कोई भी भाग प्रभावित हो सकता है। हालांकि मूत्र में तरह-तरह के द्रव होते हैं किंतु इसमें जीवाणु नहीं होते। यूटीआई से ग्रसित होने पर मूत्र में जीवाणु भी मौजूद होते  हैं। जब मूत्राशय या गुर्दे में जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं और बढ़ने लगते हैं तो यह स्थिति आती है। आइए हम आपको इससे बचने के उपाय के बारे में बताते हैं। सफाई पर ध्‍यान दें यूटीआई की समस्‍या सफाई न रखने के कारण अधिक होती है। इसलिए संक्रमण से बचने के लिए शरीर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अपना टॉयलेट हमेशा साफ और सुथरा रखें। खानपान में सावधानी बरतें खानपान की स्वच्छता का ध्यान रखना भी जरुरी है। गंदी जगह पर बनाया गया खाना खाने से भी यह परेशानी हो सकती है। खाने का संक्रमण खून में मिल जाता है इसलिए उससे भी मूत्र मार्ग में संक्रमण हो स...

त्रिफला : आयुर्वेद का अनमोल उपहार

त्रिफला क्या है? तीन बोतनिकल्स के एक मिश्रण, त्रिफला में एक लोकप्रिय उपाय है आयुर्वेद (भारत में पारंपरिक चिकित्सा). त्रिफला अमला के सूखे और पाउडर फल औषधीय पौधे हैं जो सभी (ऐम्ब्लिका ओफ्फिकिनालिस), आंवला (टर्मीनालिया चेबुला), और बेलरिक हरड़ (टर्मीनालिया बेलेरिका), शामिल हैं. त्रिफला के स्वास्थ्य लाभ: परखनली पढ़ाई त्रिफला एंटीऑक्सिडेंट, बैक्टीरिया की हत्या, और प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लाभ प्रदान करता है कि सुझाव दिया है. और पशु आधारित अनुसंधान में वैज्ञानिकों ने हर्बल मिश्रण की जांच में कोलेस्ट्रॉल रखने में मदद मिल सकती है कि पता चला है. जानवरों पर अन्य अध्ययनों में, त्रिफला कैंसर विरोधी प्रभाव का प्रदर्शन किया है. एक रिपोर्ट 2008 में प्रकाशित, उदाहरण के लिए, चूहों को त्रिफला खिला अग्नाशय के कैंसर कोशिकाओं के विकास को दबाने में मदद मिली है कि पाया. यह जानवरों के अध्ययन मनुष्यों में बराबर प्रभावशीलता को साबित नहीं करते कि, हालांकि, याद रखना महत्वपूर्ण है

कड़ी पत्ते के फायदे

कड़ी पत्‍ता या फिर जिसको हम मीठी नीम के नाम से भी जानते हैं, भोजन में डालने वाली सबसे अहम सामग्री मानी जाती है। यह खास तौर पर साउथ इंडिया में काफी पसंद किया जाता है। अक्‍सर लोग इसे अपनी सब्‍जियों और दाल में पड़ा देख, हाथों से उठा कर दूर कर देते हैं। पर आपको ऐसा नहीं करना चाहिये। कड़ी पत्‍ते में कई मेडिकल प्रोपर्टी छुपी हुई हैं। यह हमारे भोजन को आसानी से हजम करता है और अगर इसे मठ्ठे में हींग और कुडी़ पत्‍ते को मिला कर पीया जाए तो भोजन आसानी से हजम हो जाता ह ै। चलिए जानते हैं इसके बारे में और भी महत्‍वपूर्ण बातें- क्‍या है इसका उपयोग- 1. मतली और अपच जैसी समस्‍या के लिए कड़ी पत्‍ते का उपयोग बहुत लाभकारी होता है। इसको तैयार करने के लिए कड़ी पत्‍ते का रस ले कर उसमें नींबू निचोडें और उसमें थोड़ा सी चीनी मिलाकर प्रयोग करें। 2. अगर आप अपने बढ़ते हुए वजन से परेशान हैं और कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। तो रोज कुछ पत्‍तियां कड़ी नीम की चबाएं। इससे आपको अवश्‍य फायदा होगा। 3. कड़ी पत्‍ता हमारी आंखों की ज्‍योती बढाने में भी काफी फायदेमंद है। साथ ही यह भी माना जाता है कि यह कैटरैक्‍ट जैसी भंयकर...

कालमेघ : औषधीय गुण

कालमेघ एक बहुवर्षीय शाक जातीय औषधीय पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम एंडोग्रेफिस पैनिकुलाटा है। कालमेघ की पत्तियों में कालमेघीन नामक उपक्षार पाया जाता है, जिसका औषधीय महत्व है। यह पौधा भारत एवं श्रीलंका का मूल निवासी है तथा दक्षिण एशिया में व्यापक रूप से इसकी खेती की जाती है। इसका तना सीधा होता है जिसमें चार शाखाएँ निकलती हैं और प्रत्येक शाखा फिर चार शाखाओं में फूटती हैं। इस पौधे की पत्तियाँ हरी एवं साधारण होती हैं। इसके फूल का रंग गुलाबी होता है। इसके पौधे को बीज द्वारा तै यार किया जाता है जिसको मई-जून में नर्सरी डालकर या खेत में छिड़ककर तैयार करते हैं। यह पौधा छोटे कद वाला शाकीय छायायुक्त स्थानों पर अधिक होता है। पौधे की छँटाई फूल आने की अवस्था अगस्त-नवम्बर में की जाती है। बीज के लिये फरवरी-मार्च में पौधों की कटाई करते है। पौधों को काटकर तथा सुखाकर बिक्री की जाती है| औसतन ३००-४०० कि शाकीय हरा भाग (६०-८० किग्रा सूखा शाकीय भाग) प्रति हेक्टेयर मिल जाती है। औषधीय गुण भारतीय चिकित्सा पद्वति में कालमेघ एक दिव्य गुणकारी औषधीय पौधा है जिसको हरा चिरायता, बेलवेन, किरयित् के नामों से भी जान...

***आयुर्वेदिक अप्रचलित क्यों******

 अक्सर कहाँ जाता हैं की आयुर्वेदिक धीमें काम करता हैं इसी भ्रांति के चलतें लोगों का विशवास आयुर्वेदिक से हटता चला जा रहा हैं प रन्‍तु रोगी थोड़े से विशवास से एक बार आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करता हैं तो वहीं हमेशा के लिए आयुर्वेदिक से अपना मजबूत संबंध कायम कर लेता हैं | हम आजकल ऐलोपैथिक दवाओं पर अधिक विशवास करतें हैं कारण हैं हमें जल्दी ही स्वस्थ होना हैं हल्के सर्दी जुकाम ,बुखार ,खांसी के लिए ऐलोपैथिक चिकित्सक के पास जाकर सूइयों Injections लगवा कर antibiotics दवाईयां लेकर जल्दी ही अपने काम पर लोटना चाहते हैं | लेकिन हमें कोई वास्तविक मे आयुर्वेदिक लेने की सलाह दे तो हमारा जवाब होगा नहीं यार आयुर्वेदिक से कब ठीक होगा | इसी पर आज हम विस्तार से समझते हैं ताकि आयुर्वेदिक के प्रति हमारे कुछ नजरिये बदले ठोड़ी देर के लिए मान भी ले की आयुर्वेदिक देर से काम करता हैं लेकिन हमें जानना जरूरी हैं की क्या ऐलोपैथिक दवाओं से हमारे सामान्य रोगों सर्दी खांसी बुखार का उपचार एक दिन में हो जाता हैं हमें इन रोगों के उपचार में किसी भी प्रकार की दवाइयां लेने पर ठीक होने मे सामान्यता तीन दिन से एक सप्ताह...

गोंद के औषधीय गुण

गोंद के औषधीय गुण किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमे से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कडा हो जाता है उसे गोंद कहते है .यह शीतल  और पौष्टिक होता है . उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते है . आयुर्वेदिक दवाइयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पावडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है . • कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है . • नीम का गोंद रक्त की गति बढ़ाने वाला, स्फूर्तिदायक पदार्थ है।इसे ईस्ट इंडिया गम भी कहते है . इसमें भी नीम के औषधीय गुण होते है पलाश के गोंद से हड्डियां मज़बूत होती है .पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है।यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है। • आम की गोंद स्तंभक एवं रक्त प्रसादक है। इस गोंद को गरम करके फोड़ों पर लगाने से पीब पककर बह जाती है और आसानी से भर जाता है। आम की गोंद को नीबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है। • सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है, यह पित्त का शमन करता है...

एरंड

1.सिर पर बाल उगाने के लिए : ऐसे शिशु जिनके सिर पर बाल नहीं उगते हो या बहुत कम हो या ऐसे पुरुष-स्त्री जिनकी पलकों व भौंहों पर बहुत कम बाल हों तो उन्हें एरंड के तेल की मालिश नियमित रूप से सोते समय करना चाहिए। इससे कुछ ही हफ्तों में सुंदर, घने, लंबे, काले बाल पैदा हो जाएंगे। 2.सिर दर्द : एरंड के तेल की मालिश सिर में करने से सिर दर्द की पीड़ा दूर होती है। एरंड की जड़ को पानी में पीसकर माथे पर लगाने से भी सिर दर्द में राहत मिलती है। 3.जलने पर : एरंड का तेल थोड़े-से चूने में फेंटकर आग से जले घावों पर लगाने से वे शीघ्र भर जाते हैं। एरंड के पत्तों के रस में बराबर की मात्रा में सरसों का तेल फेंटकर लगाने से भी यही लाभ मिलता है। 4.पायरिया : एरंड के तेल में कपूर का चूर्ण मिलाकर दिन में 2 बार नियमित रूप से मसूढ़ों की मालिश करते रहने से पायरिया रोग में आराम मिलता है 5.शिश्न (लिंग) की शक्ति बढ़ाने के लिए : मीठे तेल में एरंड के पीसे बीजों का चूर्ण औटाकर शिश्न (लिंग) पर नियमित रूप से मालिश करते रहने से उसकी शक्ति बढ़ती है

लिंग में वृद्धि

लिंग में वृद्धि परिचय : संभोग करने के लिए लिंग का छोटा या बड़ा होना ज्यादा मायने नहीं रखता है। कुछ लोग अपने लिंग को छोटा होने पर अपने दिमाग में कुछ हीन भावना बना लेते हैं। इससे वह मानसिक रूप से प्रभावित हो जाते है। ऐसी स्थिति में लिंग बढ़ाना आवश्यक हो जाता है। विभिन्न औषधियों से उपचार: लौंग लौंग के तेल को शहर के ओलिव ऑयल में मिलाकर सुपारी को (लिंग का अगला हिस्सा) छोडकर मालिश करने से लिंग में वृद्धि हो जाती है। कायफल लिंग को मोटा करने और बढ़ाने के लिए कायफल को भैंस के कच्चे दूध में घिसकर या पीसकर लिंग पर रात को सोते समय लेप करें और सुबह गर्म-गर्म पानी से लिंग को धोने से लिंग मोटा और बढ़ जाता है। उटंगन : लिंग के बढ़ाने और मोटा करने के लिए उटंगन के बीज कूट-छानकर पानी में घिसकर लिंग पर प्रतिदिन 2 बार लेप करने से लिंग मोटा होता है। इन्द्रजौ लिंग को मोटा करने के लिए रात को सोते समय 7 ग्राम इन्द्रजौ को भैंस के कच्चे दूध में पीसकर 4 बार घोटकर हल्का गुनगुना लेप लगाकर ऊपर से कपड़ा बांध दें। सुबह उठकर गर्म-गर्म पानी से लिंग को धोने से लिंग मोटा और बढ़ जाता है। मूसली मूसली के...

याद रखने वाली बाते

1)  सेब की चमक देखकर ज्यादा खुश मत होइए। ज्यादातर यह.चमक सेब पर वैक्स पॉलिश की वजह से दिखती है। इसकी जांच.के लिए बस एक ब्लेड लीजिए और सेब को हल्के-हल्के खुरचिए। अगर कुछ सफेद पदार्थ निकले ,  तो आपको बधाई क्योंकि आप मोम खाने से बच गए! 2)  अगली बार चाय बनाने से पहले चायपत्ती को जरूर जांचें। चायपत्ती ठंडे पानी में डालने पर रंग छोड़े तो साफ है कि उसमें.मिलावट है या वह एक.बार यूज हो चुकी है। 3)  मटर के दाने खरीदें हैं ,  तो उसमें से एक हिस्से को पानी में डालकर हिलाएं और  30  मिनट तक छोड़ दें। अगर पानी रंगीन हो जाता है तो नमूने में मेलाकाइट हरे की मिलावट है। ऐसी मिलावटी चीजें खाने से पेट से संबंधित गंभीर बीमारियां ( अल्सर ,  ट्यूमर आदि) होने का खतरा रहता है। 4)  खाने में पिसी हल्दी का रोजाना इस्तेमाल होता है। हल्दी में मेटानिल येलो की मौजूदगी से कैंसर हो सकता है। इसका टेस्ट भी हल्दी पाउडर में पांच बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड और पांच बूंद पानी डालकर कर सकते हैं। अगर सैंपल बैंगनी हो जाए ,  तो हल्दी मिलावटी है। 5)  अगर आप पिसी हल्दी म...

बालों को घने काले और लम्बे बनाने के घरेलु उपचार

बालों को घने काले और लम्बे बनाने के घरेलु उपचार 1-  घी खाएं और बालों के जड़ों में घी मालिश करें। 2-  गेहूं के जवारे का रस पीने से भी बाल कुछ समय बाद काले हो जाते हैं। 3-  तुरई या तरोई के टुकड़े कर उसे धूप मे सूखा कर कूट लें। फिर कूटे हुए मिश्रण में इतना नारियल तेल डालें कि वह डूब जाएं। इस तरह चार दिन तक उसे तेल में डूबोकर रखें फिर उबालें और छान कर बोतल भर लें। इस तेल की मालिश करें। बाल काले होंगे। 4-  नींबू के रस से सिर में मालिश करने से बालों का पकना ,  गिरना दूर हो जाता है। नींबू के रस में पिसा हुआ सूखा आंवला मिलाकर सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होते हैं। 5-  बर्रे(पीली) का वह छत्ता जिसकी मक्खियाँ उड़ चुकी हो  25 ग्राम , 10-15 देसी गुड़हल के पत्ते ,1/2 लीटर नारियल तेल में मंद मंद आग पर उबालें सिकते-सिकते जब छत्ता काला हो जाये तो तेल को अग्नि से हटा दें. ठंडा हो जाने पर छान कर तेल को शीशी में भर लें. प्रतिदिन सिर पर इसकी हल्के हाथ से मालिश करने से बाल उग जाते हैं और गंजापन दूर होता है. 6-  कुछ दिनों तक ,  नहाने से पहले...

आयुर्वेद - मधुमेह (Diabetes)

आयुर्वेद - मधुमेह ( Diabetes)  1.  ताजे आंवले के रस में शहदमिलाकर पीने से मधुमेह में आराम मिलता है 2,  मधुमेह की बीमारी में नीम की कोमल पत्तियों को खाने से चीनी की मात्रा कम होती है तथा खून साफ़ होता है । 3. 10 gm  जामुन की गुठली  20 gm  गुडपार चूरा तथा  10 gm  सोंठ इन तीनो को बारीक चूर्ण में पीस ले इन्हे ग्वारपाठे के रस में मिलकर मटर के दाने के बराबर गोलिया बना ले । दिन में तीन बार  1  गोली शहद के साथ ले इससे मूत्र में शुगर की मात्रा कम होने लगती है. 4.  पीसी दनामेथी और सूखे करेले को पीस ले प्रातः  2  चम्मच बासी मुह पानी के साथ ले । 5.  आटे में मेथी का चूर्ण मिला कर खाने से मधुमेह में बहुत आराम मिलता है. 6.  आम की कोमल पत्तियों को पानी में रात भर भिगोकर रखे और सुबह पत्तिया निचोड़कर वही पानी पीले इससे भी मधुमेह में आराम मिलता है. अगर हो सके तो इसे आगे भी फॉरवर्ड कर दें। क्या पता किसी ज़रूरतमंद को वक़्त पर मिल जाये। "शुक्रिया"

सर दर्द ,रुसी और बदहजमी दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

सर दर्द  , रुसी और बदहजमी दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय   सर दर्द से राहत के लिए १. तेज़ पत्ती की काली चाय में निम्बू का रस निचोड़ कर पीने से सर दर्द में अत्यधिक लाभ होता है. २ .नारियल पानी में या चावल धुले पानी में सौंठ पावडर का लेप बनाकर उसे सर पर लेप करने भी सर दर्द में आराम पहुंचेगा. ३. सफ़ेद चन्दन पावडर को चावल धुले पानी में घिसकर उसका लेप लगाने से भी फायेदा होगा. ४. सफ़ेद सूती का कपडा पानी में भिगोकर माथे पर रखने से भी आराम मिलता है. ५. लहसुन पानी में पीसकर उसका लेप भी सर दर्द में आरामदायक होता है. ६. लाल तुलसी के पत्तों को कुचल कर उसका रस दिन में माथे पर २  ,  ३ बार लगाने से भी दर्द में राहत देगा. ७. चावल धुले पानी में जायेफल घिसकर उसका लेप लगाने से भी सर दर्द में आराम देगा. ८. हरा धनिया कुचलकर उसका लेप लगाने से भी बहुत आराम मिलेगा. ९ .सफ़ेद सूती कपडे को सिरके में भिगोकर माथे पर रखने से भी दर्द में राहत मिलेगी. बालों की रूसी दूर करने के लिए १. नारियल के तेल में निम्बू का रस पकाकर रोजाना सर की मालिश करें. २. पानी ...

आयुर्वेद - दमा (asthma) का इलाज

आयुर्वेद - दमा ( asthma)  का इलाज 1.  बच्चो में अस्थमा रोग में आधा चम्मच शहद में  5  बून्द तुलसी के पत्तो का रस मिलकर देने से बहुत लाभ होता है. 2.  तुलसी के  20  पत्ते काली मिर्च के पावडर के साथ खाने से दमा मे राहत मिलती है। 3.  अस्थमा का दौरा पड़ने पर हल्दी एक चम्मच दो चम्मच शहद में मिलाकर चाटलें। 4.  आयुर्वेदिक दवाएं बहुत सुरक्षित हैं और काफी हद तक समस्या का इलाज है। कुछ आम दवाओं कंटकारी अवालेह ,  अगस्त्याप्रश ,  चित्रक ,  कनाकसव का प्रयोग किया जा सकता है। 5.  रात का खाना हल्का व सोने से एक घंटे पहले लें। 6.  सुबह या शाम टहलें और योग में मुख्य रूप से  ‘ प्राणायाम ’  और भावातीत ध्यान करें। अधिक व्यायाम से बचे। 7.  हवादार कमरे में रहें और सोएं। एयर कंडीशनर ,  कूलर और पंखों की सीधी हवा से बचें। ठंडे और नम स्थानों से दूर रहें। 8.  धूम्रपान चबाने वाली तम्बाकू ,  शराब और कृत्रिम मिठास और ठंडे पेय न लें। जिन्हें इत्र से इलर्जी हैं ,  वे अगरबत्ती ,  मच्छर ...