***आयुर्वेदिक अप्रचलित क्यों******

 अक्सर कहाँ जाता हैं की आयुर्वेदिक धीमें काम करता हैं इसी भ्रांति के चलतें लोगों का विशवास आयुर्वेदिक से हटता चला जा रहा हैं परन्‍तु रोगी थोड़े से विशवास से एक बार आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करता हैं तो वहीं हमेशा के लिए आयुर्वेदिक से अपना मजबूत संबंध कायम कर लेता हैं | हम आजकल ऐलोपैथिक दवाओं पर अधिक विशवास करतें हैं कारण हैं हमें जल्दी ही स्वस्थ होना हैं हल्के सर्दी जुकाम ,बुखार ,खांसी के लिए ऐलोपैथिक चिकित्सक के पास जाकर सूइयों Injections लगवा कर antibiotics दवाईयां लेकर जल्दी ही अपने काम पर लोटना चाहते हैं | लेकिन हमें कोई वास्तविक मे आयुर्वेदिक लेने की सलाह दे तो हमारा जवाब होगा नहीं यार आयुर्वेदिक से कब ठीक होगा | इसी पर आज हम विस्तार से समझते हैं ताकि आयुर्वेदिक के प्रति हमारे कुछ नजरिये बदले ठोड़ी देर के लिए मान भी ले की आयुर्वेदिक देर से काम करता हैं लेकिन हमें जानना जरूरी हैं की क्या ऐलोपैथिक दवाओं से हमारे सामान्य रोगों सर्दी खांसी बुखार का उपचार एक दिन में हो जाता हैं हमें इन रोगों के उपचार में किसी भी प्रकार की दवाइयां लेने पर ठीक होने मे सामान्यता तीन दिन से एक सप्ताह समय लगता हैं | अब हमें आयुर्वेदिक को भी देखना चाहीये की वो हमारे सामान्य रोगों को ठीक करने में कितना समय लगाता हैं | अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से ठीक प्रकार से उचित मात्राओं में आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन किया जाएँ तो साधारण रोग ऐलोपैथिक दवाओं से अधिक प्रभावी तरिके से मात्र एक या दो दिनों मे आपको बेहतर स्वास्थ्य लाभ देती हैं साथ ही आयुर्वेदिक दवाएं सामान्य रोगों से होनेवाले गंभीर परिणामों से भी लम्बे समय तक बचाव करतीं हैं हमें आवश्यकता हैं आयुर्वेदिक को समझने समझाने की आयुर्वेदिक सामान्य रोगों के अलावा गंभीर रोगों मे आचर्यजनक परिणाम देती हैं साथ ही आयुर्वेदिक , ऐलोपैथिक दवाओं के सेवन से पडने वाले दुष्प्रभाव से हमारे शरीर की रक्षा भी करता | जेसे की हम सब जानते हैं बरसात के मौसम मे अनेकों प्रकार के संक्रमण से संक्रमित रोगों का खतरा बना रहता हैं ऐसी स्थितियों में हमें हमेशा सावधानी बरतनी होती हैं हमारे पास संक्रमण से होने वालें रोगों से बचने का कोई उपाय हैं तो वो एक मात्र आयुर्वेदिक हैं जो हमें पुर्व संक्रमण से बचने के लिए हजारों की संख्याओं मे वनस्पतिक नीम,तुलसी गीलोय,अदरक,लविंग,दालचीनी आदी ढेरों औषधीय देता जीसके नियमित सेवन करने से गहरे संक्रमित जगहों पर रहनेवाले लोग भी संक्रमण से होनेवाले सामान्य या गंभीर रोगों से अपना बचाव कर सकते हैं | संक्रमण से पीड़ित भी आयुर्वेदिक या घरेलू नुस्खे का उपयोग करने पर आसानी से अपने रोगों को नियत्रित कर सकते हैं | बरसाती मौसम को धयान मे रखतें हुए हमें किसी भी प्रकार के संक्रमण से होनेवाले संक्रमित रोगों से बिमार होने से पहले अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श कर उचित आयुर्वेदिक दवाएं लेना चाहीये या नीम,तुलसी ,गीलोय,अदरक,दालचीनी लविंग कालीमिर्च जायफल इत्यादि अनेकों घरेलू नुस्खे अपनाकर भी हम अधिक संक्रमित जगहों पर रहकर भी संक्रमण से बच सकते हैं | हमें और किसी भी पद्दति मे पुर्व संक्रमण से बचने के लिए उपाय नहीं मिलेगा संक्रमित होने पर हमें काफी सारी पद्दतियो मे उपचार तो मिलते हैं परन्‍तु वो मंहगे भी होते हैं उलट उसका आयुर्वेदिक हमे रोगों से पहलें भी उपचार बताता हैं रोगों के बाद भी उचित उपचार देता हैं कुछ समय पहले आयुर्वेदिक उपचार महंगा लगता था ओर हैं भी मंहगा लेकिन अभी ऐलोपैथिक वालो ने दवाइयां के जो उत्पादन बाजारों मे उतारे हैं उनके उस उत्पादन को चिकित्सको ने अपने कमाई का साधन बाना रखा है उसके के आगें आयुर्वेदिक काफ़ी हद तक सस्ता हो गया हैं आयुर्वेदिक चिकित्सक चाहते हुए भी ऐलोपैथिक चिकित्सक के मुकाबले मे आप से इतने अधिक पैसे नहीं ले सकता जितने की वो चिकित्सक लेते हैं उनके पास लूटने के अनेकों हथियार हैं आयुर्वेदिक चिकित्सक लूट के मामलों मे निहत्थे होते हैं |कुछेक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी ऐसा करते देखा गया हैं उन चिकित्सक मे अक्सर वो लोग होतें हैं जो आयुर्वेदिक विशवविद्यालय भारी दान (पैसे ) देकर मे प्रवेश लेते है ओर विशवविद्यालय से सांठगांठ कर अनुपस्थित रहकर पढ़ाई करते हैं साथ सांठगांठ से परिक्षा उर्तीण कर अनुभवहीनता के साथ अपना क्लिनिक खोलते हैं बिना अनुभव उपचार करतें हैं | रोगी को सहीं उपचार नहीं मिलने से धीरे धीरे उनके क्लिनिक पर रोगी कम जो जातें हैं तब वो अपना हित साधने के लिए विशवविद्यालय को दी भारी रकम (पैसे ) वसूली के लिए मिलावट कर अपनें चिकित्सक धर्म पर दाग लगाते हैं |कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सक जो इसी तरह सांठगांठ से विशविद्यालय से अपनी उपाधि लेकर निकलें हैं वो आयुर्वेदिक चिकित्सक अपनें आसपास के ऐलोपैथिक चिकित्सालय मे वहां पर पहलें से नोकरी कर रहे पुरूष एव महिला नर्सिंग कमर्चारियों से कम वेतन पर नोकरी करते नजर आते हैं कहने को तो चिकित्सक होतें हैं लेकिन उन नर्सिंग कर्मचारियों से कुछ ऐलोपैथिक अनुभव लेकर गावों मे या शहरों के किसी कोने मे अपनी दूकान खोलते हैं | विशवविद्यालय को दी गईं मोटी शुल्क अपने दूकानों पर आनेवाले गरीब ग्रामीण वयक्ति से या बीमारियों से परेशान लोगों से वसूल करतें है | देश और दुनिया मे आयुर्वेदिक की किरकिरी करतें हैं | जहाँ तक मेरा मानना है आयुर्वेदिक प्राचीन,प्रचिलत,स्वदेशी,दुष्प्रभाव रहित होते हुए भी देश मे भी अपनी जगहें नहीं बना पा रहा हैं इसका उपरोक्त कारण ही हो सकते हैं | सभी आयुर्वेदिक चिकित्सक जो अपनी पैथियो से हटाकर चिकित्सा करतें हैं वो अपनें रोगीयों दवा पर्ची मे ऐलोपैथिक दवाओं के साथ एक आयुर्वेदिक दवा लिख कर सेवन करने की सलाह दे तो अपनें उपाधि से वफादारी के साथ आयुर्वेदिक अधिक प्रचलित होगा व लोगों का आयुर्वेदिक के प्रति विशवास उतपन्न होगा स्वदेशी क्रांति आएगी स्वस्थ रहेंगे अनेकों हानिकारक दवाओं से दूर व रोगों से मुक्त रहेंगे | ****®अच्छा लगें तो शेयर कमेन्ट जरूर करें | ** लेखक नहीं हूँ 

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