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आयुर्वेदिक सरल उपचार: कैंसर - कितने तैयार हैं आप।

आयुर्वेदिक सरल उपचार: कैंसर - कितने तैयार हैं आप। आज हमारे चारो और ही नहीं बल्कि हमारे आस पड़ोस में ये आम ही सुनने को आ जाता हैं के फला व्यक्ति कैंसर से खत्म हो गया, जबकि उसने महंगी से महंगी दवा भी ली और बड़े से बड़े डॉक्टर को भी दिखाया। ये सब सुनते ही मन में एक भय व्याप्त हो जाता हैं के कही हम या हमारे परिवार में कोई इस रोग का ग्रास न बन जाए। मन भय और पूर्वाग्रहों से ग्रसित हो जाता हैं, तो ऐसे में मन में ख्याल आता हैं के क्या हम इस भयंकर रोग से बच सकते हैं ? आज हम कुछ उन बातो पर चिंतन करेंगे जिनसे हम इस रोग से लड़ाई लड़ सके।सब से पहले हम उन तथ्यों को देखेंगे जिन से हमारा स्वस्थ्य इतना गिर गया के हम इन भयंकर रोगो से घिर गए और हम इनको बदल कर इन रोगो से बच सकते हैं। 1. पानी : - हमारा देश वह देश हैं जिसके लिए विदेशो में गायन हैं की हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती हैं, हमारा पानी में इतने गुण थे के अकेला यही हमको अनेका अनेक रोगो से बचाता था, मगर एक सोची समझी साज़िश के तहत हमारे पानी को दूषित कर दिया गया। और जिस देश में लोग प्याऊ लगाते थे वहां पानी ...

माइग्रेन का इलाज के घरेलू नुस्खे और उपाय

माइग्रेन का इलाज के घरेलू नुस्खे और उपाय सिर दर्द जब इतना तेज हो जाए की किसी मेडिसिन से भी आराम न मिले, ऐसे में घरेलू नुस्खे प्रयोग करके माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। 1. हर रोज दिन में 2 बार गाय के देसी घी की दो – दो बूँदें नाक में डालें। इससे माइग्रेन में आराम मिलता है। 2. तेल को हल्का गर्म कर ले और माइग्रेन का दर्द सिर के जिस हिस्से में हो वहां पर हल्के हाथों से मालिश करवाये। हेड मसाज के साथ साथ कंधो, गर्दन, पैरों और हाथों की भी मालिश करे। 3. सूभ खाली पेट सेब खाये। माइग्रेन से छुटकारा पाने में ये उपाय काफी असरदार है। 4. माइग्रेन अटैक आने पर मरीज को बेड पर लेट दे और उसके सिर को बेड के नीचे की और लटका दे। सिर के जिस भाग में दर्द है अब उस तरफ की नाक में कुछ बूंदे सरसों के तेल की डाले और रोगी को ज़ोर से सांसों को उपर की और खींचने को कहें। इस घरेलू उपाय को करने पर कुछ ही देर में सिर दर्द कम होने लगेगा। 5. घी और कपूर का इस्तेमाल करे। थोड़ा सा कपूर गाय के देसी घी में मिलाकर सिर पर हल्की हल्की मालिश करने पर head pain से relief मिलता है। 6. माइग्रेन के इलाज में कुछ लोग...

प्राकृतिक चिकित्सा से चर्म रोग (Skin Disease) उपचार

चर्म रोग (Skin Disease) परिचय:- हमारे शरीर की त्वचा मुख्य रूप से मल-निष्कासक अंगों के अन्तर्गत आती हैं। त्वचा के माध्यम से प्रतिदिन पसीने के रूप में हमारे शरीर की अधिकांश गंदगी बाहर निकलती रहती है। जब तक हमारी त्वचा स्वस्थ रहती है तब तक शरीर के अन्दर किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं रहती हैं। लेकिन जब किसी कारण से यह अस्वस्थ हो जाती है तब इसके छिद्र बंद हो जाते हैं या शरीर में गंदगी का भार इतना अधिक बढ़ जाता है कि वह इस अंग द्वारा बाहर नहीं निकल पाती तो प्रकृति शरीर को मल-भार से मुक्त करने के लिए बहुत से रोग उत्पन्न कर देती है। जिससे यह गंदगी शरीर के बाहर निकलने लगती है। ये रोग इस प्रकार हैं- खाज-खुजली, दाद, फोड़े-फुन्सियां, उकवात, पामा, छाजन, कुष्ठ, चेचक तथा कण्ठमाला आदि। ये सभी चर्म रोग होते हैं। चर्म रोग के लक्षण-           इस रोग से पीड़ित रोगी की त्वचा पर सूजन हो जाती है तथा उसके फोड़े-फुंसियां निकलने लगता है। रोगी व्यक्ति को खुजली तथा दाद हो जाता है और उसके शरीर पर छोटे-छोटे लाल या पीले दाने निकल आते हैं। चर्म रोग होने का कारण:- चर्म रोग होने का सबसे ...

गला ख़राब हो, छाती जाम हो या खाँसी हो, अपनाए ये घरेलू उपचार ! घर में ही बनेगी दवा

गला ख़राब हो, छाती जाम हो या खाँसी हो, अपनाए ये घरेलू उपचार ! घर में ही बनेगी दवा गले में कितनी भी ख़राब से ख़राब बीमारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अच्छी दवा है हल्दी । जैसे गले में दर्द है, खरास है , गले में खासी है, गले में कफ जमा है, गले में टोनसीलाईटिस हो गया ; ये सब बीमारियों में आधा चम्मच कच्ची हल्दी का रस लेना और मुह खोल कर गले में डाल देना , और फिर थोड़ी देर चुप होके बैठ जाना तो ये हल्दी गले में नीचे उतर जाएगी लार के साथ ; और एक खुराक में ही सब बीमारी ठीक होगी दुबारा डालने की जरुरत नही । ये छोटे बच्चों को जरुर करना ; बच्चों को टोन्सिल जब बहुत तकलीफ देते है न तो हम ऑपरेशन करवाके उनको कटवाते है ; वो करने की जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है ।

शैम्पू की जगह उपयोग किये जा सकने वाले घरेलू उत्पाद

सुबह स्नान करने और बालों के साबुन के स्थान पर ये घरेलू उत्पाद प्रयोग करें शैम्पू का प्रयोग भी बंद कर दें महिलाएं और पुरुषों दोनों के ही इससे बालों के झडने की समस्या खत्म हो जायेगी और बाल मुलायम और खुबसुरत रहेगें 1:- रात्रि में एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी को भिगो कर रखें और सुबह स्नान करते समय बालों पर लगाएं शैम्पू की तरह लगाये फिर इसी को शरीर पर लगाये साबुन की तरह लगाये 2:- अरिठा पाउडर, शिकाकाई पाउडर और मुल्तानी मिट्टी तीनो को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना ले और उसे सुबह नहाने से 30 मिनट पहले पानी में भिगोकर रखें इससे बालों को धोये शैम्पू की तरह और फिर इसी से स्नान करे 3:- स्नान करने मे यह भी पर्योग कर सकते हो एक कप कच्चे दूध में थोड़ा-सा सा नीबू निचोड़ कर मिला दे फिर इसे छोटा सुती कपडा ले और उसे इस दूध में डुबोकर शरीर पर रगडे हल्का हल्का और फिर हल्के गुनगुने पानी से स्नान कर ले ध्यान रखें कि गर्म पानी को कभी भी सर पर नहीं डालना चाहिए इससे आयु कम होती है 4:- गाय के दूध की मलाई में थोड़ा-सा सा चने की दाल का आटा और चुटकी भर हल्दी मिलाकर रखें इसे शरीर पर साबुन की तरह लगाये और गुनगुना पान...

प्राकृतिक चिकित्सा : प्राकृतिक चिकित्सा की विभिन्न विधियाँ

प्राकृतिक चिकित्सा : प्राकृतिक चिकित्सा  स्वस्थ जीवन बिताने की एक कला एवं विज्ञानं है। यह ठोस सिद्धांतो पर आधारित एक औषधि रहित रोग निवारक पद्धिति है। स्वास्थ्य, रोग,तथा चिकित्सा सिद्धांतो के सम्बन्ध प्राकृतिक चिकित्सा एक अमूल्य धरोहर है। प्राकृतिक चिकित्सा एक अति प्राचीन विज्ञानं है। वेदो व अन्य प्राचीन ग्रंथो में हमे अनेक सन्दर्भ मिलते है। "विजातीय पदार्थ का सिंद्धांत ", "जीवनी शक्ति सम्बन्धी अवधारणा " तथा अन्य धारणाये जो प्राकृतिक चिकित्सा को आधार प्रदान करती है , प्राचीन ग्रंथो  से ही उपलब्ध है तथा इस बात का संकेत करती है कि इनका प्रयोग भारत में व्यापक रूप से प्रचलित था। प्राकृतिक चिकित्सा व अन्य चिकित्षा प्रणालियो में मुख्य अंतर् यह है कि प्राकृतिक चिकित्सा का दृष्टिकोण समग्रता का है जबकि अन्य चिकित्षा पद्धतिया विशिष्टता का दृष्टिकोण  अपनाती है। प्राकृतिक चिकित्सा प्रत्येक रोग के अलग कारण तथा उसकी विशिष्ट चिकित्षा में विश्वास नहीं रखती अपितु अप्राकृतिक रहन सहन, विचार करने,सोने-जगाने, कार्य करने व यौन सम्बन्धी आचरण में विषमता आदि कारणों को ही रोगो के मुख्य क...

ह्रदय रोग (सी. एच. डी.) क्या है ? आयुर्वेदीय उपचार :

ह्रदय रोग (सी. एच. डी.) क्या है ? दूषित हुए दोष ह्रदय में जाकर रस धातु को दूषित कर ह्रदयस्थ धमनी रोध उत्पन्न करते है।  कोरोनरी हार्ट डिजीज एक प्रकार का ह्रदय रोग है जो दोषो के प्रकोप के कारण उत्पन्न होता है। इसमें ह्रदय में वेदना का अनुभव होता है। इसके क्या  कारण है ? आयुर्वेद विकृत आहार एवं जीवन शैली को ह्रदय रोगो का प्रमुख कारण मानता है।  कुछ अन्य कारण इस प्रकार है :- शारीरिक/ मानसिक तनाव  खाए गए भोजन के पचने से पहले पुन: भोजन करना  अधारणीय वेगो को धारण करना  इसके लक्षण है ? ह्रदय रोग (सी. एच. डी. ) निम्नलिखित किसी प्रकार से लक्षित हो सकता है।  श्वास लेने में कष्ट  शरीर का वर्ण विकृत होना  जी मिचलाना  छाती में दर्द का होना  आयुर्वेदीय उपचार : आयुर्वेदीय चिकित्सा विकृत हुए दोष पर निर्भर करती है। सामान्यत: निम्न चिकित्साए की जाती है : लंघन (उपवास) पंचकर्म - जैसे वमन विरेचन इत्यादि।  स्नेहशामक एवं हृच्छूलरोधी औषधियाँ जैसे पुष्करमूल एवं गुग्गुलु द्वार लाक्षणिक चिकित्सा भी लाभदायक है।...