अपने देश की प्रकृति के हिसाब से ही बदल लेना चाहिए।
हमारे देश की प्रकृति गर्म है। यूरोप के सभी देश ठण्डी प्रकृति के हैं
इसलिए हमारे देश के साथ उन देशों की लजवयु के साथ कोई मेल नही है अगर हम उनकी नकल करके उनके जैसा भीजन करेंगे तो बीमारियां आएंगी
उनके जैसे वस्त्र पहनेंगे तो भी बीमार होंगे
लेकिन सभी चीजों मे उनकी नकल चल रही है
जून की दहकती गर्मी मे तन से चिपकी जीन्स पहनते है वो ठण्ड के कारण पहनते है और यहां गर्मी मे भी जीन्स पाना शान समझते हैं।
उनकी जैसी एलोपेथी दवाएं खाएंगे तो बीमार होंगे
क्यों की एलोपेथी की भी प्रकृति गर्म है गर्म प्रकृति वाले देश के लोग गर्म प्रकृति की कोई चीज खाएंगे तो फिर बीमार होंगे।
तो हमे अपनी
भाषा
भूषा
भेषज
भोजन
भजन अपने देश की प्रकृति के हिसाब से ही बदल लेना चाहिए।
इसलिए हमारे देश के साथ उन देशों की लजवयु के साथ कोई मेल नही है अगर हम उनकी नकल करके उनके जैसा भीजन करेंगे तो बीमारियां आएंगी
उनके जैसे वस्त्र पहनेंगे तो भी बीमार होंगे
लेकिन सभी चीजों मे उनकी नकल चल रही है
जून की दहकती गर्मी मे तन से चिपकी जीन्स पहनते है वो ठण्ड के कारण पहनते है और यहां गर्मी मे भी जीन्स पाना शान समझते हैं।
उनकी जैसी एलोपेथी दवाएं खाएंगे तो बीमार होंगे
क्यों की एलोपेथी की भी प्रकृति गर्म है गर्म प्रकृति वाले देश के लोग गर्म प्रकृति की कोई चीज खाएंगे तो फिर बीमार होंगे।
तो हमे अपनी
भाषा
भूषा
भेषज
भोजन
भजन अपने देश की प्रकृति के हिसाब से ही बदल लेना चाहिए।
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