नारी कल्याण पाक: श्रेष्ट बलवर्द्धक
आज महिलायओं को अनेक रोग देखे जा रहे है भागदोड़ में महिलाये अपने स्वास्थय की तरफ ध्यान ही नही दे पा रही है या पता न होने के कारण भी स्वास्थ पर प्रभाव पड़ रहा है पहले हमारी दादी नानी मां यह सब सर्दीयों में पाक बनाकर खाती थी ताकी आगे रोग ना आये
कोई मूंग पाक कोई सूण्ठीपाक अलवैरा पाक या गाजर पाक खाते थे तो वह शरीर को स्वस्थ रखने के लिये खाते थे पर अब यह चलन बन्द हो रहे है जो पहले हमारे बडे़ बूढे थे उन्के पास जो ज्यान था वो अदभूत था वही हमें आयूर्वेद में देखने को मिल रहा है
घटक:
चिकनी सूपारी
सफेद मूसली
असगन्ध नागौरी
तीनों सो सो ग्राम देशी गाय का शुद्ध दूध 300लिटर दूध दो किलो मिश्री दो किलो सोंठ पीपल पीपलामूल जीरा लौंग दालचीनी तेजपात नागकेसर चव्य चित्रकछाल लाजवन्ती के बीज तालमखाना मोचरस सम्हालू के बीज काली मूसली लौंह भस्म प्रवाल भस्म अभ्रक भस्म और बंग बस्म सब दस दस ग्राम
विधि :
चिकनी सूपारी सफेद मूसली और असगन्ध नागौरी को अलग अलग कूट कर महिन चूर्ण कर ले भस्मों को अलग रख कर शेष सभी द्रव्यों एक साथ कूट पीस कर मबारीक चूर्ण कर छान ले तीन बार छाने छलनी से ताकी मिक्स हो जाये अच्छी तरह फिर कलईदार कढाई में दूध डाल कर आग पर गर्म कर औटाये रबडी जैसा हो जाये इसमें सुपारी तीवो द्रव्यों का मिश्रण डालकर हिलाके चलाते रहे जब खोया यानी मावा बन जाये तब इस मावा को घी में सेके अच्छे से जब गूलाबी रंग का हो जाये तब और सूगन्ध आने लगे तब उतार लें और मिश्री की चासनी बनाकर डेढ तार की चासनी कर ले और मावा डालकर मिवाये और अब इसमें सब भस्मे डालकर नीचे उतारकर खूब हिलाये चला कर मिला ले और बाकी दवाई भी सोंठ पिपर आदि दवाइयों का चूर्ण भी मिलाकर हिला चला कर अच्छी तरह मिक्स कर ले पिर परात में फेलाकर उपर से सूखे मावे भी डाल ले बादाम पिस्ता मून्नका आदि 25-50ग्राम की मात्रा या पाचन शक्ति के अनूसार प्रात साय खाये चबा चबा कर उपर से दूघ पिये यह नारी के लिय बहूत गूणकारी व पोस्टीक पाक है इसके सेवन से शरीर पुष्ट सूडोल और सबल चेहरा भरा और तेजस्वी रहता है तथा सभी नारी रोग दूर होते रहते है महिलाओं को किसी भी आयू में सेवन योग्य एव श्रेष्ट बलवर्द्धक योग है तो आजमाये खाये व ओरों को बतलाये धन्याबाद जी
कोई मूंग पाक कोई सूण्ठीपाक अलवैरा पाक या गाजर पाक खाते थे तो वह शरीर को स्वस्थ रखने के लिये खाते थे पर अब यह चलन बन्द हो रहे है जो पहले हमारे बडे़ बूढे थे उन्के पास जो ज्यान था वो अदभूत था वही हमें आयूर्वेद में देखने को मिल रहा है
घटक:
चिकनी सूपारी
सफेद मूसली
असगन्ध नागौरी
तीनों सो सो ग्राम देशी गाय का शुद्ध दूध 300लिटर दूध दो किलो मिश्री दो किलो सोंठ पीपल पीपलामूल जीरा लौंग दालचीनी तेजपात नागकेसर चव्य चित्रकछाल लाजवन्ती के बीज तालमखाना मोचरस सम्हालू के बीज काली मूसली लौंह भस्म प्रवाल भस्म अभ्रक भस्म और बंग बस्म सब दस दस ग्राम
विधि :
चिकनी सूपारी सफेद मूसली और असगन्ध नागौरी को अलग अलग कूट कर महिन चूर्ण कर ले भस्मों को अलग रख कर शेष सभी द्रव्यों एक साथ कूट पीस कर मबारीक चूर्ण कर छान ले तीन बार छाने छलनी से ताकी मिक्स हो जाये अच्छी तरह फिर कलईदार कढाई में दूध डाल कर आग पर गर्म कर औटाये रबडी जैसा हो जाये इसमें सुपारी तीवो द्रव्यों का मिश्रण डालकर हिलाके चलाते रहे जब खोया यानी मावा बन जाये तब इस मावा को घी में सेके अच्छे से जब गूलाबी रंग का हो जाये तब और सूगन्ध आने लगे तब उतार लें और मिश्री की चासनी बनाकर डेढ तार की चासनी कर ले और मावा डालकर मिवाये और अब इसमें सब भस्मे डालकर नीचे उतारकर खूब हिलाये चला कर मिला ले और बाकी दवाई भी सोंठ पिपर आदि दवाइयों का चूर्ण भी मिलाकर हिला चला कर अच्छी तरह मिक्स कर ले पिर परात में फेलाकर उपर से सूखे मावे भी डाल ले बादाम पिस्ता मून्नका आदि 25-50ग्राम की मात्रा या पाचन शक्ति के अनूसार प्रात साय खाये चबा चबा कर उपर से दूघ पिये यह नारी के लिय बहूत गूणकारी व पोस्टीक पाक है इसके सेवन से शरीर पुष्ट सूडोल और सबल चेहरा भरा और तेजस्वी रहता है तथा सभी नारी रोग दूर होते रहते है महिलाओं को किसी भी आयू में सेवन योग्य एव श्रेष्ट बलवर्द्धक योग है तो आजमाये खाये व ओरों को बतलाये धन्याबाद जी
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