सेम एक फायदे अनेक
परिचय :
सेम को संस्कृत भाषा में `राज-शिम्ब` के नाम से जाना जाता है। हिन्दुस्तान में सेम की जंगली किस्में भी उपलब्ध होती हैं। सेम की फली को पपड़ी के नाम से भी जाना जाता है। सेम 2 तरह की होती है खेतों में उगाए जाने वाले खड़े पौधे वाली और परती जमीन में अथवा बाड़े में उगाने वाली बेल।
सेम का इस्तेमाल हरी पपड़ी के रूप में और सूखे दलहन के रूप में होता है। अजवाइन मिलाकर बनाया हुआ सेम का साग स्वादिष्ट होता है। सेम वायुकारक होता है। अत: सेम के साथ तेल का सेवन करना जरूरी होता है। सेम और उसकी फली अधिकतर वातल विष मानी जाती है। सेम में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, सोडियम, पोटाशियम, गन्धक और लौह है। इसमें विटामिन `ए´ अधिक मात्रा में और विटामिन सी थोड़ी मात्रा में होता है। सेम मीठा, सूखा, पकाने पर खट्टी, त्रिदोषहन, भारी, मल निष्कासक और कषैली होती है। यह पित, खून, पेशाब, वायु और अफारा करती है। यह जलन पैदा करने वाली है, शुक्रनाशक एवं जहर, कफ, और सूजन नाशक भी है।
सेम के पत्तों का साग मल को तोड़ने वाला होता है। वायु प्रकृति वालों के लिए सेम अपथ्य मानी गई है। सेम उनके लिये भी निषेध है जो पारा से बनी रसायन औषधियों का प्रयोग करते हैं। सेम ज्यादा वायु कारक है इसलिए इसका सेवन कम करना चाहिए। हालांकि सेम खून साफ करने वाली है, फुर्ती लाती है और शरीर को मोटा करती है, पाचन होने पर अम्ल रस पैदा करती है, सेम ताकत को बढ़ाती है और साफ दस्त लाने वाली है परन्तु सूखे और गरिष्ठ होने से पेट में भारीपन महसूस कराती है और गैस को पैदा करती है। यह गर्म और दाहक होने के कारण शरीर का शोषण करती है एवं वीर्यनाशक भी है। सेम शरीर के भीतरी जहर को खत्म करती है परंतु साथ ही आंखों की रोशनी को भी कम करती है।
विभिन्न रोगों मे सहायक :
1. नाक के मस्से : नाक के मस्से को सेम की फली से अच्छी तरह रगड़ कर फली को पानी में रख दें। जैसे-जैसे फली गलती जाएगी वैसे-वैसे नाक के मस्से भी ठीक हो जायेगें।
2. त्वचा के रोग : खून के द्वारा त्वचा रोग उत्पन्न होने पर सेम की सब्जी का खाने में प्रयोग करें इससे खून साफ हो जाता है और त्वचा के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
3. बच्चों के बुखार में : सेम के पत्तों का रस और एलुआ दोनों को मिलाकर बच्चों के हाथ व पैर के तलवों पर लेप करें इससें बच्चों को होने वाला बुखार जल्द उतर जाता है।
4. चेहरे के दाग धब्बे : चेहरे के काले धब्बों पर सेम के पत्तों का रस लगाते रहने से लाभ होता है।
5. बिच्छू का जहर : बिच्छू के डंक पर सेम के पत्तों का रस लगाने से जहर फैलता नहीं है।
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