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गैस और कब्ज से छुटकारा दिलाने वाला गैसहर चूर्ण।

गैस और कब्ज एक ऐसी बीमारी हैं जो होती तो गलत खान पान से या गलत जीवन शैली से हैं। मगर एक बार हो जाए तो जिन्न की तरह पीछे पड़ जाती हैं और पीछा नहीं छोड़ती। और बड़े से बड़ा आदमी भी इस के आगे बेबस सा बन जाता हैं। तो आइये जाने इस से बचने का एक ऐसा रामबाण इलाज जो सफलता पूर्वक आजमाया हुआ हैं। गैस और कब्ज से छुटकारा दिलाने वाला गैसहर चूर्ण। छोटी हरड़ (हर्रे) एक किलो ले कर इसको साफ़ कर लीजिये। इसको दही की छाछ में फुलाइये। फूलने के लिए सुबह छाछ में डाल दीजिये। दूसरे दिन छाछ से निकले, साफ़ करे और छाया में एक कपडे के ऊपर डाल कर सुख लीजिये। जब सूख जाए तो ताज़ा छाछ में दोबारा डाल दीजिये। छाछ में डाल कर सुखाने को ‘मही की भावना’ देना कहते हैं। इस प्रकार इन हर्रो को मही की 3-4-6 तक भावनाए दीजिये। भावना देने के बाद, सूख जाने पर इनको पीस लीजिये। और बारीक चलनी से छान लीजिये। इस प्रकार बनाये गए एक किलो छोटी हरड़ के चूर्ण में एक पाव अजवायन पी कर मिला लीजिये। फिर इस चूर्ण में काला नमक रूचि के अनुसार मिला लीजिये। बस, उत्तम गैसहर चूर्ण तैयार हैं। सेवन विधि – भोजन के बाद, सेहत के अनुसार, यह चूर्ण गुनगुने पानी ...

99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी रिमूव कर सकता है पीपल का पत्ता....

हार्ट अटैक : ना घबराये ....!! ------------------------------------ सहज सुलभ उपाय .... 99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी रिमूव कर सकता है पीपल का पत्ता.... पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल, गुलाबी कोंपलें न हों, बल्कि पत्ते हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों। प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें। पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार ...!! इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः से लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती ! किसी भी परिस्थिति में अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले। दिल के रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें ... * पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अद्भुत क्षमता है। * इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2 बजे ली जा सकती हैं। * खुर...

आँखों के लिये काजल बनाने की विधि

नीम की पत्तियां ....... 25 नग कपूर.......                10रत्ती गाय का घी आवस्यकतानुसार... रूई... आवस्यकतानुसार... *बनाने की विधि* सबसे पहले रूई को कपड़े की तरह फैलाकर उसपर नीम की पत्ती बिछाकर कपूर का चूर्ण उपर से फैला दें व उसकी बत्ती बनाकर धी मे डुबोकर दीपक की तरह जलायें एवं कांसे की थाली में उसका काजल पार लें !! एवं सुरक्षित रख लें !! व रात को सोते समय लगायें !! *लगाने से लाभ* आँखों की लाली ,, आँखों से धुंधला दिखाई देना,, पानी बहना आदि में अनुभूत है । आंखें बहुत ही सुन्दर दिखने लगेगी ।

केले खाते समय सावधान 🍌🍌🍌🍌🍌🍌🍌🍌🍌

मित्रों हम सभी केले पसंद करते हैं और इनका भरपूर स्वाद उठाते हैं परंतु अभी बाज़ार में आने वाले केले  कार्बाइडयुक्त पानी में भिगाकर पकाए जा रहे हैं , इस प्रकार के केले खाने से १००% कॅन्सर या पेट का विकार हो सकता है.  इसलिए अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करें और ऐसे केले ना खाएँ . परंतु केले को कार्बाइड का उपयोग करके पकाया है इसे कैसे पहचानेंगे :- यदि केले को प्राकृतिक तरीके से पकाया है तो उसका डंठल काला पड जाता है  और केले का रंग गर्द पीला हो जाता है . कृपया नीचे दिए फोटो को देखें साथ ही केले पर थोड़े बहुत काले दाग रहते हैं . परंतु यदि केले को कारबाइड का इस्तेमाल करके पकाया गया है तो उसका डंठल हरा होगा और केले का रंग लेमन यलो अर्थात नींबुई पीला होगा इतना ही नही ऐसे केले का रंग एकदम साफ पीला होता है उसमे कोई दाग धब्बे नहीं होते कारबाइड आख़िर क्या है , यदि कारबाइड को पानी में मिलाएँगे तो उसमें से उष्मा (हीट) निकलती है और अस्यतेलएने गॅस का निर्माण होता है जिससे गाँव देहातों में गॅस कटिंग इत्यादि का काम लिया जाता है अर्थात इसमें इतनी कॅलॉरिफिक वॅल्यू होती है  की उससे एल पी...

जनेऊ या यज्ञोपवीत क्या है ?

आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को जनेऊ कहते हैं। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है। यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे। तीन सूत्र क्यों : जनेऊ में मुख्‍यरूप से तीन धागे होते हैं। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं और  यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है। यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है।यह तीन आश्रमों का प्रतीक है। संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है। नौ तार : यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। इस तरह कुल तारों की संख्‍या नौ होती है। एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं। पांच गांठ : यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है। यह पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों का भी प्रतीक भी है।...

आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर मे जितने भी रोग होते है वो त्रिदोष: वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते है ।

आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर मे जितने भी रोग होते है वो त्रिदोष: वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते है । वैसे तो आज की तारीक मे वात,पित कफ को पूर्ण रूप से समझना सामान्य वुद्धि के व्यक्ति के बस की बात नहीं है । लेकिन आप थोड़ा समझना चाहते है तो इतना जान लीजिये । सिर से लेकर छाती के मध्य भाग तक जितने रोग होते है वो कफ के बिगड़ने के कारण होते है ,और छाती के मध्य से पेट खत्म होने तक जितने रोग होते है तो पित्त के बिगड़ने से होते है और उसके नीचे तक जितने रोग होते है वो वात (वायु )के बिगड़ने से होते है । लेकिन कई बार गैस होने से सिरदर्द होता है तब ये वात बिगड़ने से माना जाएगा । ( खैर ये थोड़ा कठिन विषय है ) जैसे जुकाम होना ,छींके आना ,खांसी होना ये कफ बिगड़ने के रोग है तो ऐसे रोगो मे आयुवेद मे तुलसी लेने को कहा जाता है क्यों कि तुलसी कफ नाशक है , ऐसे ही पित्त के रोगो के लिए जीरे का पानी लेने को कहा जाता है क्योंकि जीरा पित नाशक है । इसी तरह मेथी को वात नाशक कहा जाता है लेकिन मेथी ज्यादा लेने से ये वात तो संतुलित हो जाता है लेकिन ये पित को बढ़ा देती है । महाऋषि वागभट जी कहते है की आयुर्वेद ज़्या...

जहरीले और अन्य घावों के लिए नीम का मलहम घर पर बनायें >>

 जहरीले और अन्य घावों के लिए नीम का मलहम घर पर बनायें अक्सर सभी को कभी न कभी घाव लग जाता है , अगर समय पर उपचार न किया जाए तो वो जहरीला भी हो सकता है , कुछ दूषित चीज़ों की वजह से होने वाला घाव भी जहरीला हो सकता है . इसके लिए आप मलहम घर बना सकते हैं : नीम का तेल 250 मिली , मोम 125 ग्राम , नीम की हरी पत्ती का रस एक लीटर , नीम की जड़ की छाल का चूर्ण 50 ग्राम , नीम की पत्ती की राख 25 ग्राम ले लें . लोगे की कडाही में नीम का तेल और हरी पत्तियों का रस डालकर धीमी आंच पर पकाएं , जब यह 50 मिली रह जाए तब इसमें मोम दाल दें . मोम पिघलकर तेल में मिल जाए तो कडाही को नीचे उतारकर तेल की गाद को कपडे से छान कर अलग कर लें , अब इसमें नीम का चूर्ण और राख मिला दें . हो गया मलहम तैयार . स्वस्थ भारत - मजबूत भारत

आयुर्वेदिक टिप्स फॉर हेल्थी लाइफ

💐 *अति महत्वपूर्ण जानकारी* 💐     🙏🙏🙏 *स्वस्थ्य वृत्त अगर आप हमेशा स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आपको अपनी दिनचर्या में थोड़ा सा बदलाव करना होगा। भारतीय संस्कृति के अनुरूप अपने पूर्वजो के दिए हुए ज्ञान को जीवन में आत्मसात करे और आरोग्य की प्राप्ति करे। 👉 *आंवला* किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे, जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा। 👉 *दातुन* दातुन हमारे पूर्वजो की वो विरासत हैं जिसको अगर हम संभाल ले तो आरोग्य का खज़ाना प्राप्त कर सकते हैं। दातुन सिर्फ दाँतो के लिए ही लाभदायक नहीं हैं वरन ये हमारे सम्पूर्ण शरीर के जटिल रोगो से लड़ने में भी बहुत सहाई हैं। मगर आज पाश्चात्य जगत के पिछलगू बन कर हमने अपनी इस महान धरोहर को भुला दिया, इसी के परिणामस्वरूप हम आज ऐसी अस्वस्थ परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। 👉 *मेथी* मेथीदाना पीसकर रख ले। एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए। मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले इस पानी में। इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा। 👉 *नेत्र स्नान* मुंह में पानी का कुल्...

कुछ महत्वपूर्ण बातें भी अपनी दिनचर्या में ध्यान रखते है तो काफी समस्यायों से बच सखते है

कुछ महत्वपूर्ण बातें भी अपनी दिनचर्या में  ध्यान रखते है तो काफी समस्यायों से बच सखते है आओ जाने कुछ मुख्य बातें :- 1) हमेशा पानी को घूट-घूट करके चबाते हुए पिये और खाने को इतना चबाये की पानी बन जाये।किसी ऋषि ने कहा है कि"खाने को पियो और पीने को खाओ" 2) खाने के 40 मिनट पहले और 60-90मिनट के बाद पानी पिये और फ्रीज का ठंडा पानी, बर्फ डाला हुआ पानी जीवन मे कभी भी नही पिये। गुनगुना या मिट्टी के घडे का पानी ही पिये । 3)सुबह जगने के बाद बिना कुल्ला करे 2से 3 गिलास पानी सुखआसन मे बैठकर पानीघूटं-घूटं करके पिये यानी उषा पान करे। 4) खाने के साथ भी कभी पानी न पिये। जरुरत पड़े तो सुबह ताजा फल का रस, दोपहर मे छाछ और रात्रि मे गर्म दूध का उपयोग कर सकते हैं। 5) भोजन हमेशा सुखआसन मे बैठकर करे औरध्यान खाने पर ही रहे, मतलब टेलीविजन देखते, गाने सुनते हुए, पढ़ते हुए, बातचीत करते हुए कभी भी भोजन न करे। 6) हमेशा बैठ कर खाना खाये और पानी पिये। अगर संभव हो तो सुखासन, सिद्धासन मे बैठ कर ही खाना खाये।7) फ्रीज़ मे रखा हुआ भोजन न करें या उसे साधारण तापमान में आने पर ही खायेदुबारा कभी भी गर्म ना करे ...

गुप्त रोगों के घरेलू उपाय

 गुप्त रोगों के  घरेलू उपाय शीघ्रपतन, धात गिरना , सवपनदोष , नपुंसकता के  इलाज के लिए नुसखा सूरण :- 9 ग्राम तुलसी :- 9 ग्राम अशवगंधा :- 9 ग्राम सफेद मुसली :- 4.5 ग्राम गोखरू :- 1.8 ग्राम शतावरी :- 4.5 ग्राम कौंच बीज :- 9 ग्राम विदारीकंद :- 9 ग्राम नागौरी असगंध :- 1.8 ग्राम शुद्ध शिलाजीत :- 900  मिलीग्राम अकलकरा :- 1.8 ग्राम स्वर्ण भसम :- 1.8 मिलीग्राम जायफल :- 900 मिलीग्राम लौंग :- 900 मिलीग्राम सौंठ :- 1.8 ग्राम केसर :- 90 मिलीग्राम पीपर :- 900 मिलीग्राम जावित्री :- 900 मिलीग्राम इलायची :- 900 मिलीग्राम दालचीनी :- 900 मिलीग्राम तामलपत्र :- 900 मिलीग्राम नागकेशर :- 1.8 ग्राम वंशलोचन :- 7.2 ग्राम उपरोक्त सभी औषधियों को आपस मे मिला दे और हर रोज 430 मिलीग्राम रात को सोने से पहले दूध के साथ ले । नोट :- औषधि सेवन के दौरान खटाई का सेवन और कच्चे प्याज का सेवन बंद कर दे ।

*पेरासिटामोल लो न लो लेकिन इसे जानिये ज़रूर*

बुखार की आम दवा पैरासिटामोल के बारे में ये बातें जरुर जाननी चाहिए... यह घर घर में मौजूद एक आम दवा है इसके कई नाम है जैसे क्रोसिन, काल्पोल इत्यादि.! *पैरासिटामोल के कुछ चौकाने वाले तथ्य* पैरासिटामोल का ओवरडोज (अधिक मात्रा) जहर है और प्राणघातक भी है.! लेकिन यह बात हज़ारो लोगो को पता नहीं है... *1)* ओवर डोज़ से लीवर फेल होने से मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है.! *2)* ज्यादा दिन लगातार लेने से किडनी फेल हो जाती है.! *3)* लगातार लेने से लीवर पर बुरा असर पढता है और पीलिया (जौंडिस) हो जाता है.! ओवरडोज क्यों होता है.? डाक्टर की लापरवाही से.! बुखार से पीड़ित डाक्टर के पास आने पर पहले से पैरासिटामोल ले रहा होता है.! डाक्टर अपनी चतुराई दिखा कर उसे 'एसिटामिनोफिन' लेने को कहते है जो की पैरासिटामोल का दूसरा नाम है। मरीज़ इन दोनों को अलग दवा समझ कर दोनों लेता है और नतीजा ओवरडोज.! आयुर्वेद में पेरासिटामोल का बाप है ये फार्मूला. तो इसको अपनाये. *तुलसी के पत्ते और गिलोय की डण्डी का काढा बुखार उतारने में लाभदायक है.!* अनेक स्थानों पर लोग साधारण बुखार को सूर्य की धूप में कम्बल ओढकर ...

पानी तेल या दूध का कुल्ला करने के चमत्कारिक फायदे.

हमारी परम्पराएँ और घरेलु ज्ञान इतना ज़बरदस्त है के अगर हम इन पर थोडा भी ध्यान देवें तो बिना दवा के भी स्वस्थ रह सकते हैं. आज आपको ऐसी ही एक विधि से परिचित करवा रहें हैं जिसका नाम है कुल्ला. कुल्ला एक ऐसी विधि है जिससे आप बिना दवा के जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गले के रोग, मुंह के छाले, शरीर को डी टोक्सिफाय करने, गर्दन के सर्वाइकल जैसे रोगों से मुक्ति पा सकते हैं. आइये जानते हैं कुल्ला करने की सही विधि और इसके चमत्कारिक लाभ. पानी का कुल्ला मुंह में पानी का कुल्ला तीन मिनट तक भर कर रखें. इससे गले के रोग, जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गर्दन का दर्द जैसे कड़कड़ाहट से छुटकारा मिलता है. नित्य मुंह धोते समय, दिन में भी मुंह में पानी का कुल्ला भर कर रखें. इससे मुंह भी साफ़ हो जाता है. मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोएं. ऐसा दिन में तीन बार करें. जब भी पानी के पास जाएँ मुंह में पानी का कुल्ला भर लें और नेत्रों पर पानी के छींटे मारें, धोएं. मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुनः कुल्ला भर लें. मुंह का पानी गर्म ना हो इसीलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहें. भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से न...

*"प्राचीन स्वास्थ्य दोहावली"*

पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात! सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!! धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार! दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!! ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर! कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!! प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप! बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!! ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार! करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!! भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार! चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!! प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस! सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!! प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार! तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!! भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार! डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !! घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर! एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!! अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास! पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास!! रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय! सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!! सुबह खाइये क...

*सुखपूर्वक निरोगी जीवन*....

जीवन को जीना मात्र ही मनुष्य का उद्देश्य नहीं है, बल्कि सुखपूर्वक निरोगी जीवन बिताना आवश्यक है। आयुर्वेद के कुछ टिप्स अपनाकर आप सुखपूर्वक निरोगी जीवन व्यतीत कर सकते हैं। माना जाता है कि नियमपूर्वक इनके सेवन से। •  प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त (4-6 बजे ) के मध्य अर्थात सूरज उगने से पूर्व बिस्तर छोड़ दें। •  सुबह दंतधावन एवं शौचादि से पूर्व ताम्बे के लोटे में रात्रि को रखा पानी पीयें,इससे मल खुलकर आता है तथा कब्ज की शिकायत नहीं होती है। •  नाश्ता या भोजन हमेशा भूख से थोड़ा कम करें तथा योग्य आहार का ही सेवन करें तथा  भोजन के साथ -साथ पानी पीने क़ी प्रवृति से बचें। •  दिनचर्या में जानबूझकर,अनजाने में या असयंमित होकर किये गए आचरण को प्रज्ञापराध की श्रेणी में रखा जाता है,इससे से बचें क्योंकि यह सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोगों का कारण है। •  आहार स्वयं एक औषधि है,अत:ज्ञानेन्द्रिय को वश में करते हुए ही भोजन सहित अन्य आचरण करना स्वस्थ रहने में मददगार होता है। •  शुद्ध जल एवं वायु का सेवन आयुर्वेद अनुसार रोगों से मुक्ति का मार्ग है। •  भोजन...

पानी में हल्दी मिलाकर पीने से होते है यह 7 फायदें

1. गुनगुना हल्दी वाला पानी पीने से दिमाग तेज होता है. सुबह के समय हल्दी का गुनगुना पानी पीने से दिमाग तेज और उर्जावान बनता है. 2. रोज यदि आप हल्दी का पानी पीते हैं तो इससे खून में होने वाली गंदगी साफ होती है और खून जमता भी नहीं है. यह खून साफ करता है और दिल को बीमारियों से भी बचाता है. 3. लीवर की समस्या से परेशान लोगों के लिए हल्दी का पानी किसी औषधि से कम नही है. हल्दी के पानी में टाॅक्सिस लीवर के सेल्स को फिर से ठीक करता है. हल्दी और पानी के मिले हुए गुण लीवर को संक्रमण से भी बचाते हैं. 4. हार्ट की समस्या से परेशान लोगों को हल्दी वाला पानी पीना चाहिए. हल्दी खून को गाढ़ा होने से बचाती है. जिससे हर्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है. 5. जब हल्दी के पानी में शहद और नींबू मिलाया जाता है तब यह शरीर के अंदर जमे हुए विषैले पदार्थों को निकाल देता है जिससे पीने से शरीर पर बढ़ती हुई उम्र का असर नहीं पड़ता है. हल्दी में फ्री रेडिकल्स होते हैं जो सेहत और सौर्दय को बढ़ाते हैं. 6. शरीर में किसी भी तरह की सजून हो और वह किसी दवाई से ना ठीक हो रही हो तो आप हल्दी वाला पानी का सेवन करें. हल्दी में क...

स्वस्थ जीवन के मूल मन्त्र

1-- 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी। 2-- कुल 13 अधारणीय वेग हैं | 3--160 रोग केवल मांसाहार से होते है | 4-- 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये। 5-- 80 रोग चाय पीने से होते हैं। 6-- 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं। 7-- शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है। 8-- अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं। 9-- ठंडे जल (फ्रिज) और आइसक्रीम से बड़ी आंत सिकुड़ जाती है। 10-- मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है। 11-- भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। 12-- बाल रंगने वाले द्रव्यों (हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है। 13-- दूध (चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है। 14-- शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं। 15-- गर्म जल से स्नान से...

स्टीविया – शुगर और मोटापे में अमृत समान

स्टीविया – शुगर और मोटापे में अमृत समान स्टीविया एक ऐसा आयुर्वेदिक पौधा  है जो डायबिटीज और मोटापे जैसी खतरनाक बीमारी से राहत दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है डायबिटीज के मरीजों के लिए मीठा खाना जहर नहीं बनेगा बशर्ते वह खाने के तुरंत बाद आयुर्वेदिक पौधे स्टीविया की कुछ पत्तियों को चबा लें। गन्ने से तीन सौ गुणा अधिक मीठा होने के बावजूद स्टीविया पौधे फैट व शुगर से फ्री है। इतना अधिक मीठा होने के बावजूद यह शुगर को कम तो करता ही है साथ ही इसे रोकने में भी सहायक है। आइये जाने इसके फायदे। 1.स्टीविया बहुत मीठा होता है लेकिन शुगर फ्री होता है। स्टीविया खाने से पैंक्रियाज से इंसुलिन आसानी से मुक्त होता है। 2.आयुर्वेद चिकित्सकों की माने तो यदि रोजाना स्टीविया के चार पत्तों का चायपत्ति के रूप में सेवन किया जाए तो यह शुगर और मोटापे के लिए रामबाण की तरह साबित होगा। 3.मौजूदा समय में शुगर, मोटापा, कैलोरी आदि रोग से राहत पाने लिए अयुर्वेद में तीनों मर्ज के लिए हरबल प्लांट स्टीविया पौधे का उल्लेख किया गया है, जिस पर आयुर्वेद चिकित्सकों को अभी भी विश्वास कायम है। उनकी माने तो स्टीविया सा...