संदेश

जुलाई, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गजचर्म चर्मदख :

गजचर्म चर्मदख : शरीर के जिस भाग का रंग लाल हो, जिसमें बराबर दर्द रहे, खुजली होती रहे और फोड़े फैलकर जिसका चमड़ा फट जाय तथा किसी भी पदार्थ का स्पर्श न सह सके, उसे चर्मदख कहते हैं। ➡ विचर्चिका तथा विपादिका : इस रोग में काली या धूसर रंग की छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं, जिनमें से पर्याप्त मात्रा में मवाद बहता है और खुजली भी होती है तथा शरीर में रूखापन की वजह से हाथों की चमड़ी फट जाती है, तो उसे विचर्चिका कहते हैं। अगर पैरों की चमड़ी फट जाय और तीव्र दर्द हो, तो उसे विपादिता कहते हैं। इन दोनों में मात्र इतना ही भेद है। ➡ पामा और कच्छु : यह भी अन्य चर्म रोगों की तरह एक प्रकार की खुजली ही है। इसमें भी छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं। उनमें से मवाद निकलता है, जलन होती है और खुजली भी बराबर होती रहती है। अगर यही फुन्सियां बड़ी-बड़ी और तीव्र दाहयुक्त हों तथा विशेष कमर या कूल्हे में हो तो उसे कच्छू कहते है। ➡ चर्मरोग उपचार : दाद, खाज, खुजली में आंवलासार गंधक को गौमूत्र के अर्क में मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम लगायें। इससे दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है। शुद्ध किया हुआ आंवलासार गंधक एक रत्ती को 10...

धूम्रपान से मुंह की बीमारियों का खतरा क्यों!

सिगरेट पीने से न सिर्फ कुछ जीवाणु मुंह में जमा हो जाते हैं, बल्कि वे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र पर भी हावी हो जाते हैं, जिसके कारण मुंह संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। एक नए शोध से यह जानकारी मिली है। ये जीवाणु दांत, हृदय वॉल्व और धमनियों में बायोफिल्म्स का निर्माण करते हैं। बॉयोफिल्म कई सारी सूक्ष्म जीवाणुओं से मिलकर बनी जटिल संरचना होती है। शोधकर्ताओं में से एक अमेरिका के युनिवर्सिटी ऑफ लूईसविले स्कूल ऑफ डेंटिस्ट्री के डेविड स्कॉट ने कहा, ‘‘एक बार ये रोगाणु अपने आप को बॉयोफिल्म में तब्दील कर लेते हैं। फिर इसका उन्मूलन काफी कठिन हो जाता है, क्योंकि यह मेजबान के प्रतिरक्षा तंत्र के खिलाफ अवरोध उत्पन्न कर देता है। यहां तक कि इनपर एंटीबायोटिक दवाओं का भी असर नहीं होता है और लगातार संक्रमण में मदद करने लगता है।’’ स्कॉट ने कहा, ‘‘इसके अलावा बॉयोफिल्म जीवाणुओं के समुदाय के बीच अनुवांशिक सामग्रियों का भी आदान-प्रदान करते हैं, जिसके कारण इनकी एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है और संक्रमण को काफी अधिक बढ़ावा मिलने लगता है।’’शोधकर्ताओं का कहना है कि जीवाणुओं से बना यह बॉयोफिल...

त्वचा को चमकदार बनाएं, अपनाएं कुछ आसान टिप्स

त्वचा को चमकदार बनाएं, अपनाएं कुछ आसान टिप्स जून का महीना चल रहा है, लू लपट का इस समय कोई जवाब नहीं और मान लीजिए ऐसे में किसी पार्टी में जाना पड़े तो आप मेक अप तो करने से रहे और सादे सिंपल इंसान को कोई देखता नहीं। इसलिए आज हम आपको सिंपल सुन्दर और गर्मी से बचने के कुछ ऐसे टिप्स आपको बताने जा रहे , जो आपको गर्मी से भी बचाएगा और पार्टी में सीधे साधे लुक में आप सुन्दर भी लग सकेंगे।जी हाँ आज हम आपको चेहरे को चमकदार बनाने के घरेलु उपाय बताने जा रहे है, जिसे आप आसानी से कर सकती है। दही और शहद जैसे की आप सभी जानते है कि दही और शहद को एक सोफेटिनिंग एजेंट माना जाता है, इस पेस्ट को मनाने के लिए दही और शहद लें और उसका पेस्ट बनाए, फिर इस पैक को चेहरे और गर्दन पर अच्छी तरह लगा लीजिए और अच्छे से सूखने दीजिए। सूखने के बाद इसे ठन्डे पानी से धो दें। इस पेस्ट को लगाने से आपकी त्वचा चमकदार हो जाएगी, ये पेस्ट एक मॉस्चराइज़र का काम भी करता है। हल्दी और दूध चेहरे पर चमक लाने के लिए हल्दी और दूध को सबसे अच्छा माना जाता है। अगर किसी लड़की की शादी होने वाली है तो उसके लिए ये पैक अच्छा रहेगा। इस फेसपैक को...

अब पैरों से पता करें अपनी बीमारी

आज साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है, लेकिन क्यों आज भी आयुर्वेदिक चीज़ों से बीमारियों का पता लगाया जाता है, क्योंकि पहले के जमाने में न कोई एक्सरे मशीन न एलर्जी चेक करने का कोई कोई उपकरण। लेकिन तब बीमारी के लक्षण देखकर बीमारी का पता लगा लिया जाता था, ठीक वैसे आज हम आपको बताने जा रहे है कि पैर देखकर कैसे आप अपने बीमारियों का पता लगा सकते है। अगर गर्मियों में आपके पैर सूखे रहते तो तो ये किसी खतरे से खाली नहीं, ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाइए, नहीं तो ये किसी बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है।अगर अक्सर आपके पैरों में दर्द रहता है या ऐठन होती है तो, इसे गम्भीरता से ले और तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।अगर आपके पैर बारह महीने ठन्डे रहते है तो आपको थाइरोइड जैसी बीमारी हो सकती है, ऐसी स्थिति तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आपका पैर में जखम है और वे भरने में समय ले रहा है तो आपको डायबिटीज का खतरा हो सकता है।

धूम्रपान से मुंह की बीमारियों का खतरा क्यों!

सिगरेट पीने से न सिर्फ कुछ जीवाणु मुंह में जमा हो जाते हैं, बल्कि वे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र पर भी हावी हो जाते हैं, जिसके कारण मुंह संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। एक नए शोध से यह जानकारी मिली है। ये जीवाणु दांत, हृदय वॉल्व और धमनियों में बायोफिल्म्स का निर्माण करते हैं। बॉयोफिल्म कई सारी सूक्ष्म जीवाणुओं से मिलकर बनी जटिल संरचना होती है। शोधकर्ताओं में से एक अमेरिका के युनिवर्सिटी ऑफ लूईसविले स्कूल ऑफ डेंटिस्ट्री के डेविड स्कॉट ने कहा, ‘‘एक बार ये रोगाणु अपने आप को बॉयोफिल्म में तब्दील कर लेते हैं। फिर इसका उन्मूलन काफी कठिन हो जाता है, क्योंकि यह मेजबान के प्रतिरक्षा तंत्र के खिलाफ अवरोध उत्पन्न कर देता है। यहां तक कि इनपर एंटीबायोटिक दवाओं का भी असर नहीं होता है और लगातार संक्रमण में मदद करने लगता है।’’ स्कॉट ने कहा, ‘‘इसके अलावा बॉयोफिल्म जीवाणुओं के समुदाय के बीच अनुवांशिक सामग्रियों का भी आदान-प्रदान करते हैं, जिसके कारण इनकी एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है और संक्रमण को काफी अधिक बढ़ावा मिलने लगता है।’’शोधकर्ताओं का कहना है कि जीवाणुओं से बना यह बॉयोफिल...

गजब का पेन किलर है एल्यूमिनियम फॉयल (aluminium foil) ..!!!

गजब का पेन किलर है एल्यूमिनियम फॉयल (aluminium foil) ..!!! कैसे इसकी परतें करती हैं दर्द छू – मंतर – एल्‍यूमिनियम फॉयल का इस्‍तेमाल अक्‍सर खाने को पैक करने के लिए करते हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि नियमित रूप से एल्‍यूमिनियम फॉयल का इस्‍तेमाल खाने को रैप करने के अलावा कुछ स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के उपचार के लिए किया जा सकता है। जी हां यह बात एक नये शोध से सामने आई है कि एल्‍यूमिनियम फॉयल के इस्‍तेमाल से शरीर के किसी भी अंग में होने वाले दर्द को दूर किया जा सकता है। आइए इसके बारे में हम विस्‍तार से बताते हैं|  शरीर के दर्द वाले हिस्से पर एल्यूमिनियम फॉयल लगा रात भर के लिए छोड़ दें ! 1.गर्दन – पीठ – कंधे – घुटने या पैरों में दर्द हो रहा हो तो दर्द वाले हिस्से पर एल्यूमिनियम फॉयल लगाएं – दर्द गायब होजाएगा !इस फॉयल में चिकित्सकीय गुण होते हैं – एल्यूमिनियम फॉयल का एक टुकड़ा दर्द वाली जगह लगा उस पर बैंडेज बांध दें,इससे दर्द मे काफी राहत मिलेगी ! 2.यह गठिया और निशान के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है ! 3.कमर दर्द सताने लगे – दवाई न खाएं – रसोई में रखे एल्यूमिनियम फॉय...

औरत चाहे घर को स्वर्ग बना दे, चाहे नर्क!

एक गांव में एक जमींदार था। उसके कई नौकरों में जग्गू भी था। गांव से लगी बस्ती में, बाकी मजदूरों के साथ जग्गू भी अपने पांच लड़कों के साथ रहता था। जग्गू की पत्नी बहुत पहले गुजर गई थी। एक झोंपड़े में वह बच्चों को पाल रहा था। बच्चे बड़े होते गये और जमींदार के घर नौकरी में लगते गये। सब मजदूरों को शाम को मजूरी मिलती। जग्गू और उसके लड़के चना और गुड़ लेते थे। चना भून कर गुड़ के साथ खा लेते थे। बस्ती वालों ने जग्गू को बड़े लड़के की शादी कर देने की सलाह दी। उसकी शादी हो गई और कुछ दिन बाद गौना भी आ गया। उस दिन जग्गू की झोंपड़ी के सामने बड़ी बमचक मची। बहुत लोग इकठ्ठा हुये नई बहू देखने को। फिर धीरे धीरे भीड़ छंटी। आदमी काम पर चले गये। औरतें अपने अपने घर। जाते जाते एक बुढ़िया बहू से कहती गई – पास ही घर है। किसी चीज की जरूरत हो तो संकोच मत करना, आ जाना लेने। सबके जाने के बाद बहू ने घूंघट उठा कर अपनी ससुराल को देखा तो उसका कलेजा मुंह को आ गया।जर्जर सी झोंपड़ी, खूंटी पर टंगी कुछ पोटलियां और झोंपड़ी के बाहर बने छः चूल्हे (जग्गू और उसके सभी बच्चे अलग अलग चना भूनते थे)। बहू का मन हुआ कि उठे और सरपट अपने ग...

मधुमेह के कुछ आसन से घरेलू उपाय-

मधुमेह के कुछ आसन से घरेलू उपाय- (1)-परिचय- (1)---बदलता परिवेश और रहन-सहन शहर में मधुमेह के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा कर रहा है। खान-पान पर नियंत्रण न होना भी इसके लिए जिम्मेदार है। डायबिटीज के मरीज को सिरदर्द, थकान जैसी समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं। मधुमेह में खून में शुगर की मात्रा बढ जाती है। वैसे इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। परंतु जीवनशैली में बदलाव, शिक्षा तथा खान-पान की आदतों में सुधार द्वारा रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। (2)----मधुमेह लक्षण :- (1)--- बार-बार पेशाब आना। (2)--- बहुत ज्यादा प्यास लगना। (3)---बहुत पानी पीने के बाद भी गला सूखना। (4)---खाना खाने के बाद भी बहुत भूख लगना। (5)---मितली होना और कभी-कभी उल्टी होना। (6)--- हाथ-पैर में अकड़न और शरीर में झंझनाहट होना। (7)--- हर समय कमजोरी और थकान की शिकायत होना। (8)--- आंखों से धुंधलापन होना। (9)--- त्वचा या मूत्रमार्ग में संक्रमण। (10)--- त्वचा में रूखापन आना। (11)--- चिड़चिड़ापन। (12)--- सिरदर्द। (13)--- शरीर का तापमान कम होना। (14)--- मांसपेशियों में दर्द। (15)--- वजन में कमी होना। (3)--यहाँ मधुमेह ...

पत्तागोभी के औषधीय उपयोग :

पत्तागोभी के औषधीय उपयोग : पायरिया (दांतों के मसूढों से पीव का आना) : पत्तागोभी के कच्चे पत्ते 50 ग्राम रोजाना खाने से पायरिया व दांतों के अन्य रोगों में लाभ होता है। बंदगोभी का रस निकालकर पीयें तथा इसके मध्य भाग को सलाद बनाकर खाने से पायरिया तथा दांतों के अन्य रोग ठीक होते हैं। घाव (चोट) : पत्तागोभी के रस का सेवन करने से घाव ठीक होते हैं। पत्तागोभी के आधे गिलास रस में 5 बार पानी मिलाकर पीना चाहिए। घाव पर पत्तागोभी के रस की ही पट्टी बांधने से आराम मिलता है। कैंसर : सुबह खाली पेट पत्तागोभी का कम से कम आधा कप रस रोजाना पीने से आरम्भिक अवस्था में कैंसर, बड़ी आंत का प्रवाह (बहना) ठीक हो जाता है। कोलाइटिस (वृहद आंत्रिक प्रदाह) : 1 गिलास छाछ में चौथाई कप पालक का रस, 1 कप पत्तागोभी का रस मिलाकर रोजाना दिन में 2 बार पिलाने से कोलाइटिस ठीक हो जाती है। बालों का गिरना : पत्तागोभी के 50 ग्राम पत्ते को रोजाना 1 महीने तक खाने से झड़े हुए बाल फिर से उग आते हैं। गैस्ट्रिक अल्सर : पत्तागोभी के रस को पीने और गोभी के मध्य भाग को कच्चा सलाद के रूप में खाने से गैस्ट्रिक अल्सर और पेप्टिक अल्सर में लाभ होता...

एड़ी में दर्द -

एड़ी में दर्द - कई बार लोगो को किसी दवाई के दुष्परिणाम से या खानपान की गड़बड़ी से एड़ी में दर्द होने लगता है. इसके लिए निम्न उपचार करें - 1. आप सल्फर 200 को सुबह 7 बजे, दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को आठ बजे नक्स वोम 200 की पांच-पांच बूँद आधा कप पानी से एक हफ्ते तक ले, 2. एगरिकस 30 की पांच बूँद आधा कप पानी से दिन में तीन बार लें 3. साईंक्लैमेन 200 की पांच बूँद को आधा कप पानी से दिन में दो बार ले. 4. साईंक्लैमेन 200 की पांच बूँद को दो चम्मच नारियल तेल में मिलाकर रात को तलवे और एड़ी में सोते समय लगायें. 5. बायोकाम्ब नं. 27 की छः गोली को दिन में चार बार चूसे. • शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग – हमेशा स्वस्थ रहने के लिए कोई भी व्यक्ति या परिवार अगर निम्न उपचार द्वारा अपने शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग करता है और खान-पान तथा एक्सरसाइज भी निम्न अनुसार लेता है, तो उसे कभी भी कैंसर, डायबटीज, ह्रदय रोग, लिवर रोग, किडनी फेल्यर, टी.बी., फेफड़े के रोग, चर्म रोग आदि कोई भी गंभीर बीमारी नहीं होगी और वह आजीवन सपरिवार स्वस्थ, प्रसन्न और खुशहाल रह सकेगा - 1. सबसे पहले आप सुबह 7 बजे कुल्ला करके सल्फर 20...