वातरोग नाशक सिंघाडे के लड्डू

वातरोग नाशक सिंघाडे के लड्डू
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पानी में उगने वाला सिंघाड़ा सेहत के लिए
पौष्टिकता से भरपूर होता है। इतना ही नहीं, यह कई बीमारियों में भी फायदेमंद साबित होता है।
सिंघाड़े के फायदे और उपयोग के बारे में बता रहे हैं
पानी में पैदा होने वाला तिकोने आकार का फल है
सिंघाड़ा। इसके सिर पर सींग की तरह दो कांटे होते हैं,
जो छिलके के साथ होते हैं। तालाबों तथा रुके हुए
पानी में पैदा होने वाले सिंघाड़े के फूल अगस्त में आ जाते हैं, जो सितम्बर-अक्तूबर में फल का रूप ले लेते हैं। छिलका हटाकर जो बीज पाते हैं, वही कहलाता है सिंघाड़ा।
इस जलीय फल को कच्चा खाने में बड़ा मजा आता है। सिंघाड़ा अपने पोषक तत्वों, कुरकुरेपन और अनूठे स्वाद की वजह से खूब पसंद किया जाता है।
फलाहार में होता है शामिल व्रत-उपवास में सिंघाड़े को फलाहार में शामिल किया जाता है। इसके बीज को सुखाकर और पीसकर बनाए गए आटे का सेवन किया जाता है। असल में एक फल होने के कारण इसे अनाज न मान कर फलाहार का दर्जा दिया
गया है। यूं तो सिंघाड़े को कच्चा ही खाया जाता है,
लेकिन कुछ लोग इसे हल्का उबालकर नमक के साथ खाते हैं।
सिंघाड़े से साग-सब्जी और बर्फी, हलवा जैसे मिष्ठान भी बनते हैं, जो अनोखा स्वाद लिए होते हैं।
पौष्टिकता से भरपूर सिंघाड़े में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी व सी, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस जैसे
मिनरल्स, रायबोफ्लेबिन जैसे तत्व पर्याप्त मात्रा में
मिलते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि सिंघाड़े में भैंस के दूध की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक खनिज लवण और क्षार तत्व पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों ने तो अमृत तुल्य बताते हुए इसे ताकतवर और पौष्टिक तत्वों का खजाना बताया है। इस फल में कई औषधीय गुण हैं, जिनसे शुगर, अल्सर, हृदय रोग, गठिया जैसे रोगों से बचाव हो सकता
है। बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह काफी गुणकारी है।

● सिघाड़े के आटे के लड्डू वात रोगों में विषेश लाभदायक है।
• सिंघाड़े के लड्डू के लिए सामग्री |
सिंघाड़े का आटा - 400 ग्राम
गुड़ - 200 ग्राम
सोंठ पाउडर- 1 छोटी चम्मच
देसी घी - 250 ग्राम
काजू-बादाम - 50 ग्राम
इलायची - 1/2 छोटा चम्मच
सिंघाड़े का लड्डू बनाने की विधि |
कड़ाही में करीब 150 ग्राम घी गर्म कर
लीजिए आटे को अच्छे से भून ले अब गुड़ के ऊपर गरम-गरम सिंघाड़े के आटे को इस तरह से डालिए कि गुड़ पूरी तरह से ढक जाए। आटे की गर्मी से गुड़ नरम हो जाएगा और सिंघाड़े का लड्डू बनाने में आसानी होगी।
आटे के ऊपर अब सोंठ, घी और मेवे डालकर
चम्मच की मदद से अच्छी तरह मिला लीजिए।
ध्यान रहे कि मिश्रण ठंडा होने से पहले ही
आप इसे मिला लें।
जब मिश्रण इतना गरम रह जाए कि आप इसे
हाथ से छू सकें, तब इसे एक बार हाथ से भी
अच्छी तरह मिक्स कर लीजिए।
और नींबू के आकार के लड्डू बना लेवे।
रोज एक लड्डू एक कप गर्म दूध के साथ 40 दिन तक लेवे।

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