आयुर्वेदिक_पाचक_मुखवास

आयुर्वेदिक_पाचक_मुखवास

सामग्री - सौंफ-50 ग्राम, अजवायन-50 ग्राम मुलहठीचूर्ण-50 ग्राम धनिया दाल (मींगनी)-50 ग्राम छोटी इलायची-05 ग्राम लौंग-05 ग्राम, जायपत्री-05 ग्राम, एक छोटा जायफल.
मिश्री-25 ग्राम सेंधा नमक-05 ग्राम, काला नमक-20 ग्राम पुदीने का सत्व- 02 ग्राम

नोट- धनिया के बीजों को हल्का पीसकर छान लें छानने से बचा हुआ जो हिस्सा छन्नी में रह जाता है यही धनिया दाल (मींगनी) है. इसी का प्रयोग करना है. छाने हुए चूर्ण को दुसरे कामों के लिए रख लें.

निर्माण_विधि -
सबसे पहले सौंफ , धनिया दाल , अजवाइन , लौंग हलका भून लें. अब इसके साथ बाकी बची सब सामग्री मुलहठी,मिश्री , जायफल , पुदीनासत्व, सेंधानमक, कालानमक, छोटी इलायची आदि मिलाकर सिल पर खूब महीन पीस लें और छान लें.

सेवन_विधि_लाभ -- भोजन के बाद चौथाई चम्मच से आधा चम्मच की मात्रा में मुह में डालकर चूसें. इसके सेवन से भोजन जल्दी पचता है. गैस नहीं बनती. भूख खुलकर लगती है.
वृद्धावस्था में अक्सर मुख सूखता है और कुछ चटपटा मुह में डालने की इच्छा होती है. बुजुर्गों को यह चूर्ण छोटी डिब्बी में भरकर दे दें. एक दो चुटकी चूर्ण थोड़े थोड़े अंतराल पर लेने से मुख नहीं सूखता. चटपटा स्वाद होने से बच्चों को भी पसंद आता है. यह साँसों की बदबू दूर करने में भी सहायक है. जिन्हें भोजन के बाद तम्बाकू आदि की तलब लगती है वो इस मुखवास का सेवन करने का प्रयास करें. आदत छूट जाएगी ।

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