असगंध
असगंध एक वर्ष तक यथाविधि सेवन करने से शरीर रोग रहित हो जाता है। केवल सर्दीयों में ही इसके सेवन से दुर्बल व्यक्ति भी बलवान होता है। वृद्धावस्था दूर होकर नवयौवन प्राप्त होता है।
असंगध चूर्ण, तिल व घी 10-10 ग्राम लेकर और तीन ग्राम शहद मिलाकर नित्य सर्दी में सेवन करने से कमजोर शरीर वाला बालक मोटा हो जाता है।
अश्वगंधा का चूर्ण 6 ग्राम, इसमें बराबर की मिश्री और बराबर शहद मिलाकर इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलायें, इस मिश्रण को सुबह शाम शीतकाल में चार महीने तक सेवन करने से बूढ़ा व्यक्ति भी युवक की तरह प्रसन्न रहता है।
अश्वगंधा चूर्ण 20 ग्राम, तिल इससे दुगने, और उड़द आठ गुने अर्थात 140 ग्राम, इन तीनों को महीन पीसकर इसके बड़े बनाकर ताजे-ताजे एक ग्राम तक खायें।
अश्वगंधा चूर्ण और चिरायता बराबर-बराबर लेकर खरल (कूटकर) कर रखें। इस चूर्ण को 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह ग्राम शाम दूध के साथ खायें।
एक ग्राम अश्वगंधा चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मिश्री डालकर उबालें हुए दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट होता है, बल बढ़ता है।
अश्वगंधा का चूर्ण 6 ग्राम, इसमें बराबर की मिश्री और बराबर शहद मिलाकर इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलायें, इस मिश्रण को सुबह शाम शीतकाल में चार महीने तक सेवन करने से बूढ़ा व्यक्ति भी युवक की तरह प्रसन्न रहता है।
अश्वगंधा चूर्ण 20 ग्राम, तिल इससे दुगने, और उड़द आठ गुने अर्थात 140 ग्राम, इन तीनों को महीन पीसकर इसके बड़े बनाकर ताजे-ताजे एक ग्राम तक खायें।
अश्वगंधा चूर्ण और चिरायता बराबर-बराबर लेकर खरल (कूटकर) कर रखें। इस चूर्ण को 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह ग्राम शाम दूध के साथ खायें।
एक ग्राम अश्वगंधा चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मिश्री डालकर उबालें हुए दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट होता है, बल बढ़ता है।
नपुंसकता :
अश्वगंधा का कपड़े से छना हुआ बारीक चूर्ण और चीनी बराबर मिलाकर रखें, इसको 1 चम्मच गाय के ताजे दूध के साथ सुबह भोजन से 3 घंटे पूर्व सेवन करें। इस चूर्ण को चुटकी-चुटकी भर खाते हैं और ऊपर से दूध पीते रहें। रात के समय इसके बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह घोटकर लगाने से इन्द्रिय की शिथिलता दूर होकर वह कठोर और दृढ़ हो जाती हैं।
अश्वगंधा, दालचीनी और कडुवा कूठ बराबर मात्रा में कूटकर छान लें और गाय के मक्खन में मिलाकर 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सुपारी छोड़करक शेष लिंग पर मलें, इसको मलने के पूर्व और बाद में लिंग को गर्म पानी से धो लें।
अश्वगंधा, दालचीनी और कडुवा कूठ बराबर मात्रा में कूटकर छान लें और गाय के मक्खन में मिलाकर 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सुपारी छोड़करक शेष लिंग पर मलें, इसको मलने के पूर्व और बाद में लिंग को गर्म पानी से धो लें।
संधिवात (जोड़ों का दर्द) में :
अश्वगंधा के पंचांग (जड़, पत्ती, तना, फल और फूल) को कूटकर, छानकर 25 से 50 ग्राम तक सेवन करने से जोड़ों का दर्द (गठियावात) दूर होता है। गठिया में अश्वगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्ते, 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर जब पानी आधा रह जाये तो छानकर पी लें। 1 सप्ताह पीने से ही गठिया में जकड़ा और तकलीफ से रोता रोगी बिल्कुल अच्छा हो जाता है तथा इसका लेप भी बहुत लाभदायक है।
अश्वगंधा के चूर्ण की मात्रा 2 ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध तथा पानी के साथ खाने से गठिया के रोगी को आराम हो जाता है।
अश्वगंधा के तीन ग्राम चूर्ण को तीन ग्राम घी में मिलाकर, एक ग्राम शक्कर मिलाकर सुबह-शाम खाने से संधिवात दूर होता है। अश्वगंधा की 15 ग्राम कोंपले या कोमल पत्ते लेकर 200 मिलीलीटर पानी में उबालें जब पत्ते गल जाये या नरम हो जायें तो छानकर गर्म-गर्म तीन-चार दिन पीयें, इससे कफ जन्य खांसी भी दूर होती है।
अश्वगंधा के चूर्ण की मात्रा 2 ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध तथा पानी के साथ खाने से गठिया के रोगी को आराम हो जाता है।
अश्वगंधा के तीन ग्राम चूर्ण को तीन ग्राम घी में मिलाकर, एक ग्राम शक्कर मिलाकर सुबह-शाम खाने से संधिवात दूर होता है। अश्वगंधा की 15 ग्राम कोंपले या कोमल पत्ते लेकर 200 मिलीलीटर पानी में उबालें जब पत्ते गल जाये या नरम हो जायें तो छानकर गर्म-गर्म तीन-चार दिन पीयें, इससे कफ जन्य खांसी भी दूर होती है।
कमर दर्द :
अश्वगंधा के 2-5 ग्राम चूर्ण को गाय के घी या शक्कर के साथ चाटने से कमरदर्द और नींद में लाभ होता है।
असगंध और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें। इससे कमर दर्द से आराम मिलता है।
असंगध और सफेद मूसली को पीसकर बराबर मात्रा में बनाया गया चूर्ण 1 चम्मच भर, रोजाना दूध के साथ सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है।
1-1 छोटे चम्मच असगंध का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने और ऊपर से एक गिलास दूध पीने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।
असगंध और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें। इससे कमर दर्द से आराम मिलता है।
असंगध और सफेद मूसली को पीसकर बराबर मात्रा में बनाया गया चूर्ण 1 चम्मच भर, रोजाना दूध के साथ सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है।
1-1 छोटे चम्मच असगंध का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने और ऊपर से एक गिलास दूध पीने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें