बारिश के ये साधारण मौसमी फल इन रोगों की छुट्टी कर देते हैं.....
बारिश का मौसम आ गया है। हमारे देश के कई हिस्से बरसात से तरबतर हैं। बरसात में रोगकारकों की ज्यादा उपस्थिति हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर ज्यादा तेजी से आक्रमण करती है। संक्रामक रोगों के होने का भय अक्सर बना रहता है। ऐसे में, पौष्टिक भोजन और स्वास्थवर्धक गुणों से भरपूर मौसमी फलों से हम कई तरह के रोगों से अपना बचाव कर सकते हैं और इस मौसम का भरपूर आनंद ले सकते हैं। चलिए, आज जानते हैं बारिश में आने वाले फलों के ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में.....
1. आडूमाना जाता है कि इसके सेवन से शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इस फल का रस कई तरह के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण से बचाव करता है। आडू के सेवन से कब्जियत और अपच की समस्या का निदान हो जाता है।
2. जामुनजामुन में लौह और फॉस्फोरस जैसे तत्व प्रचुरता से पाए जाते हैं। इसमें कोलीन और फोलिक एसिड भी भरपूर मात्रा में होता है। पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि जामुन के सेवन से पेट की सफाई हो जाती है। यह मुंह के स्वाद को भी ठीक कर देता है। जामुन के ताजे फल की करीब 100 ग्राम मात्रा को 300 मिली पानी के साथ रगड़ लें। इसके छिलके और रस निकाल कर बीजों को अलग कर लें। रस को छानकर कुल्ला करें और निगल जाएं। इससे मुंह के छाले पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे और पेट की सफाई भी हो जाएगी।
बरसात में सेहत दुरुस्त रखने के लिए मौसमी फलों के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत ज्ञान का जिक्र कर रहे हैं डॉ. दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्य प्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहे हैं।
3. जामुन की छालजामुन के पौधे की छाल निकालकर उसकी करीब 50 ग्राम मात्रा 250 मि.ली. पानी में उबालें। उबलने के बाद ठंडा होने पर उससे कुल्ला करें। इससे दांतों की सड़न और मुंह की बदबू दूर हो जाएगी। मुंह के छालों में भी तुरंत राहत मिलेगी।
1. आडूमाना जाता है कि इसके सेवन से शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इस फल का रस कई तरह के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण से बचाव करता है। आडू के सेवन से कब्जियत और अपच की समस्या का निदान हो जाता है।
2. जामुनजामुन में लौह और फॉस्फोरस जैसे तत्व प्रचुरता से पाए जाते हैं। इसमें कोलीन और फोलिक एसिड भी भरपूर मात्रा में होता है। पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि जामुन के सेवन से पेट की सफाई हो जाती है। यह मुंह के स्वाद को भी ठीक कर देता है। जामुन के ताजे फल की करीब 100 ग्राम मात्रा को 300 मिली पानी के साथ रगड़ लें। इसके छिलके और रस निकाल कर बीजों को अलग कर लें। रस को छानकर कुल्ला करें और निगल जाएं। इससे मुंह के छाले पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे और पेट की सफाई भी हो जाएगी।
बरसात में सेहत दुरुस्त रखने के लिए मौसमी फलों के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत ज्ञान का जिक्र कर रहे हैं डॉ. दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्य प्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहे हैं।
3. जामुन की छालजामुन के पौधे की छाल निकालकर उसकी करीब 50 ग्राम मात्रा 250 मि.ली. पानी में उबालें। उबलने के बाद ठंडा होने पर उससे कुल्ला करें। इससे दांतों की सड़न और मुंह की बदबू दूर हो जाएगी। मुंह के छालों में भी तुरंत राहत मिलेगी।
4. गुंदाइसके पके फल 100 ग्राम लेकर इतनी ही मात्रा पानी के साथ उबाल लें। जब यह एक-चौथाई शेष रहे तो इससे कुल्ला करें। फिर इसे पी लें। इससे मसूड़ों की सूजन, दांतों का दर्द और मुंह के छालों में आराम मिल जाता है।
5. फालसाखून की कमी होने पर फालसा के पके फल खाना चाहिए। इससे खून बढ़ता है। यदि शरीर की त्वचा में जलन हो तो फालसे के फल या शर्बत को सुबह-शाम लेने से अतिशीघ्र आराम मिलता है। यदि चेहरे पर निकल आई फुंसियों में से मवाद निकलता हो तो फालसा के फलों और पत्तियों के रस को लगाने से मवाद सूख जाता है और फुंसिया ठीक हो जाती हैं।
6. केलापके हुए ताजे केले को खाने से शरीर में गज़ब की ऊर्जा का संचार होता है। माना जाता है कि केले पर काला नमक छिड़ककर खाने से अधिक फायदा होता है। इससे पेट की तकलीफों में आराम मिलता है।
5. फालसाखून की कमी होने पर फालसा के पके फल खाना चाहिए। इससे खून बढ़ता है। यदि शरीर की त्वचा में जलन हो तो फालसे के फल या शर्बत को सुबह-शाम लेने से अतिशीघ्र आराम मिलता है। यदि चेहरे पर निकल आई फुंसियों में से मवाद निकलता हो तो फालसा के फलों और पत्तियों के रस को लगाने से मवाद सूख जाता है और फुंसिया ठीक हो जाती हैं।
6. केलापके हुए ताजे केले को खाने से शरीर में गज़ब की ऊर्जा का संचार होता है। माना जाता है कि केले पर काला नमक छिड़ककर खाने से अधिक फायदा होता है। इससे पेट की तकलीफों में आराम मिलता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें